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Kampillak (Kabila): कम्पिल्लक (कबीला) के हैं अद्भुत फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

कम्पिल्लक का परिचय (Introduction of Kampillaka)

कम्पिल्लक या कबीला एक सुन्दर हल्के लाल रंग का गन्धहीन और स्वादहीन पदार्थ है। यह ठण्डे पानी में नहीं घुलता है। यह उबलते हुए पानी में थोड़ा घुलता है और एल्कोहल तथा ईथर में पूरी तरह से घुल जाता है। आप कम्पिल्लक के बारे में शायद बहुत अधिक जानकारी नहीं रखते होंगे लेकिन आयुर्वेदिक ग्रंथों में कम्पिल्लक के उपयोग या कम्पिल्लक के फायदे (kampillaka ke fayde) के बारे में बहुत अच्छी-अच्छी बातें बताई गई हैं।

क्या आप जानते हैं कि कम्पिल्लक या कबीला रोगों को ठीक करने का काम करता है? नहीं! तो यह जान लीजिए कि कम्पिल्लक या कबीला भूख बढ़ाता है, घाव को ठीक करता है, पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इसके साथ ही कबीला या कम्पिलक का उपयोग पेट के रोग, डायबिटीज, कब्ज, आदि बीमारियों में भी किया जाता है। आइए जानते हैं कि आप कम्पिल्लक या कबीला का प्रयोग किस तरह से कर सकते हैं।

कम्पिल्लक क्या है (What is Kampillaka?)

कम्पिल्लक के वृक्ष लगभग 10 मीटर तक ऊँचे और अनेक शाखा-प्रशाखाओं से युक्त तथा सदा हरे रहने वाले होते हैं। इस वृक्ष की लकड़ी लाल, चिकनी एवं मजबूत होती है। इसके फल गोलाकार तथा बीज श्यामले रंग के, चिकने और लगभग गोलाकार होते हैं।

फलों के पकते समय उन पर लालिमा युक्त चमकदार फल पराग उत्पन्न होता है। इसी को कबीला कहते है। फलों के पक जाने पर उन्हें मोटे कपड़े में डालकर रगड़ते हैं तथा इ तरह रज को अलग निकाल लिया जाता है।

शुद्ध कमीला हल्का, सुगन्धरहित, स्वाद रहित तथा लालिमायुक्त होता है। उँगली को जल में गीला कर कम्पिल्लक में रखने से जो रज उँगली में लगे उसे सफेद कागज पर रगड़ दें। यदि पीले रंग की रेखा व निशान पड़ जाए तो उसे शुद्ध मानना चाहिए।

अनेक भाषाओं में कम्पिल्लक के नाम (Kampillaka Called in Different Languages)

कम्पिल्लक का वानस्पतिक नाम mallotus philippensis (Lam) Muell-Arg. (मैलोटस फिलिपेनसिस) Syn-Croton philippensis Lam. है और यह  Euphorbiaceae (यूर्फेबिएसी) का पौधा है। कम्पिल्लक को देश और विदेश में अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-

Kampillaka in –

  • Hindi – कबीला, कमीला, काम्बीला
  • English – मंकी फेस ट्री (Monkey face tree), रेड बेरी (Red berry), Kamala tree (कमाला ट्री)
  • Sanskrit – कम्पिल्लक, कर्कश, चन्द्र : , रेचन, रक्तचूर्णक, रक्ताङ्ग, रोचन, कपिला, बहुपुष्पा
  • Oriya – बोसोन्तोगुन्डी (Bosontogundi), कपिलोगुन्डी (Kapilogundi), कुन्कुमो (Kunkumo), पुनागो (Punago), सिंदूरी (Sinduri)
  • Urdu – कालिलेह (Kalileh)
  • Kannada – वसारे (Vasare), एट्युनालिगे (Etyunalige), कपिला (Kapila), चन्द्रहिट्टू (Chandrahittu)
  • Gujarati – कपीलो  (Kapilo)
  • Tamil – कपिला रङ्ग (Kapila rang)
  • Telugu – कुम्कुम (Kumkum); कपिला पोडि (Kapila podi)
  • Bengali – कमलागुरी (Kamalaguri)
  • Nepali – सफेद मल्लाटा (Safed mallata), सिन्दूरिऑ (Sinduriya), सिन्दुरे (Sindure)
  • Punjabi – कमल (Kamal), रूल्या (Rulya)
  • Marathi – शेन्द्रि कपिला (Shendri kapila), सिंदुर (Sindur)
  • Malayalam – पोनागम (Ponagam), चेन्कोलि (Chenkoli), कपिला (Kapila), कम्पिप्पला (Kampilla), मन्जना (Manjana)
  • Arabic – कम्बील (Kambil), किम्बील (Kimbil), बार्स (Barsh)
  • Persian – कम्बिलाय (Kambilay), कमीलह (Kamilah), कम्बेला (Kambela)

कम्पिल्लक के औषधीय गुण (Kampillaka Benefits and Uses in Hindi)

कम्पिल्लक के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

कानों के रोग में कम्पिल्लक के प्रयोग से लाभ (Benefits of Kampillaka in Treating Ear Disease in Hindi)

टंकण, कम्पिल्लक तथा हरीतकी चूर्ण को समान मात्रा में मिला लें। इसे हरीतकी काढ़ा की भावना देते हुए 125 मिग्रा की वटी बना ले।, अब इस वटी को घी में घिसकर लेप करें। इससे कान के घाव ठीक होते हैं।

सर्दी-जुकाम में फायदेमंद कम्पिल्लक का उपयोग (Kampillaka Benefits in Fighting with Cold and Cough in Hindi)

कम्पिल्लक के फल एवं पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से सर्दी व जुकाम में लाभ (kampillaka ke fayde) होता है।

गले के रोग (गण्डमाला) में कम्पिल्लक से लाभ (Uses of Kampillaka in Cure Goiter Disease in Hindi)

काले जीरे की बारीक चूर्ण में कम्पिल्लक (कबीला) चूर्ण तथा घी मिला लें। इसे गले की गांठों पर लेप करने से गण्डमाला में लाभ होता है।

पसली के दर्द (पार्श्वशूल) में फायदेमंद कम्पिल्लक का इस्तेमाल (Kampillaka  Uses in Getting Relief from Rib Pain in Hindi)

1 ग्राम कबीला में 125 मिग्रा हींग मिला लें। इसे पानी में पीसकर 125 मिग्रा की गोलियाँ बना लें। रोज 1 गोली को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पार्श्वशूल (पसली के दर्द) में लाभ होता है।

पेट के रोग (गुल्म) में कम्पिल्लक से लाभ (Benefits of Kampillaka in Cure Abdominal Disease in Hindi)

3 ग्राम कम्पिल्लक चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे पेट साफ हो जाता है और शरीर के दोष बाहर निकल जाते हैं। इससे पित्तज-गुल्म में लाभ होता है।

1-2 ग्राम कम्पिल्लक चूर्ण में शर्करा अथवा मधु मिलाकर सेवन करने से गुल्म में लाभ होता है।

पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए करें कम्पिल्लक का सेवन (Kampillaka Benefits in Killing Abdominal Bugs in Hindi)

2 ग्राम कम्पिल्लक चूर्ण में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म (kampillaka ke fayde) होते हैं। इसे दूध अथवा दही के साथ भी ले सकते हैं।

1 ग्राम कबीला चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटने से उदर-कृमि नष्ट हो जाते हैं।

डायबिटीज में लाभदायक कम्पिल्लक का उपयोग (Uses of Kampillaka in Controlling Diabetes in Hindi)

कम्पिल्लक (कबीला) फूल, सप्तपर्ण, साल, विभीतक, रोहितक, कुटज तथा कपित्थ की छाल को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। अब 5 ग्राम चूर्ण को मधु या आमलकी रस के साथ सेवन करें। इससे कफज तथा पित्तज दोष के कारण होने वाली डायबिटीज की परेशानी में तुरंत लाभ (kampillaka ke fayde) होता है।

कम्पिल्लक के प्रयोग से सिफलिस (उपदंश) रोग का इलाज (Kampillaka Uses in Syphilis Treating Disease in Hindi)

उपदंश के घाव पर कम्पिल्लक के चूर्ण को लगाने से घाव तुरंत ही भर जाता है।

मासिक धर्म विकार में कम्पिल्लक का उपयोग लाभदायक (Benefits of Kampillaka in Menstrual Disorder in Hindi)

1/4 या 1/2 ग्राम कम्पिल्लक (कबीला) चूर्ण को जल के साथ 3 दिनों तक रोज 2-3 बार सेवन करें। इससे मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है।

और पढ़े: मासिक धर्म विकार में नागरमोथा के फायदे

अण्डकोष की सूजन में फायदेमंद कम्पिल्लक का इस्तेमाल (Kampillaka Benefits in Reducing Testicular Swelling in Hindi)

कबीला चूर्ण को तिल के तेल में पीस लें। इसे अण्डकोष में लगाने से अण्डकोष की सूजन ठीक (kampillaka ke fayde) होती है।

घाव सुखाने के लिए करें कम्पिल्लक का इस्तेमाल (Kampillaka Uses in Wound Healing in Hindi)

कम्पिल्लक को तेल में पका लें। इसे घाव में लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।

और पढ़ेघाव सुखाने में दारुहरिद्रा से फायदा

कुष्ठ रोग में लाभदायक कम्पिल्लक का इस्तेमाल (Uses of Kampillaka in Fighting with Lepsoty in Hindi)

कम्पिल्लक चूर्ण को लगाने से कुष्ठ रोग तथा त्वचा विकारों में लाभ (kampillaka ke fayde) होता है।

कम्पिल्लक को पानी या तेल में पीसकर लगाने से त्वचा सुरक्षित रहती हैं।

और पढ़े: कुष्ठ रोग में मकोय के फायदे

कम्पिल्लक के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Kampillaka)

फल

पत्ते

कम्पिल्लक के प्रयोग की मात्रा (How Much to Consume Kampillaka?)

चूर्ण – 1-2 ग्राम

कम्पिल्लक कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Kampillaka Found or Grown?)

कम्पिल्लक (कबीला) भारत के उष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है। यह सूखे प्रदेशों को छोड़कर 1500 मीटर तक की ऊँचाई पर, हिमालय से कश्मीर, पूर्व की ओर बंगाल, अंडमान द्वीप, सिंध से दक्षिण एवं पश्चिमी घाटों में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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