मुँह में होने वाले बीमारियों में जैसे दांत के दर्द से परेशान रहते हैं वैसे ही मसूड़ों के दर्द से भी असुविधा होती है। लाल और सूजे हुए मसूड़ों से ब्लीडिंग होती है। ब्रश या फ्लासिंग करते समय भी ब्लीडिंग होता है। इसके अलावा-
-मसूड़ों पर सफेद धब्बे
-मसूड़ों का ऐसा आकार होना, जैसे वे दाँतों से दूर हट रहे हो या जगह छोड़ रहे हो।
-मसूड़ों या दाँतों के बीच मवाद।
-दाँतों के ढाँचे और उनके बीच मौजूद खाली जगह में बदलाव।
-आंशिक रूप से लगाए गए नकली दाँतों के फिट होने के तरीके में बदलाव।
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अनुपचारित जिंजीवाइटिस मसूड़े के रोग को बढ़ा सकता है, जो कि अंतर्निहित ऊतक या टिशु एवं हड्डी तक फैल सकते हैं। अगर स्थिति अधिक गम्भीर हो गई तो ये दाँतों तक फैल सकता है।
माना जाता है कि पुरानी जिजिवल सूजन कुछ बीमारियाँ जैसे कि श्वसन रोग मधुमेह कोसेनरी धमनी रेग स्ट्रोक और रुमेटाइट गठिया से जुड़ी होती है।
ट्रेंच माउथ को नेक्रोटाइजिंग अल्सरेटिव जिंजिवाइटिस भी कहा जाता है। यह जिंजिवाइटिस का गम्भीर रूप है, जो कष्टदायक संक्रमित मसूड़ों से रक्त स्राव और अल्सरेशन का कारण बनता है।
मसूड़ों की बीमारी ज्यादातर मुँह की समुचित रूप से सफाई न करने के कारण होती है। इसके कारण फ्लाक और कैलकुलस में बैक्टीरिया दाँतों पर मौजूद रहता है और मसूड़ों को संक्रमित कर देता है। लेकिन अन्य कारक भी है जो इसकी गंभीरता को बढ़ाते हैं, कुछ सामान्य जोखिम कारक निम्नलिखित हैं-
-दाँतों की बिल्कुल देखभाल न करना।
-लार उत्पादन में कमी।
-धुम्रपान करने या तम्बाकू का सेवन मसूड़ों के ऊतक को स्वस्थ होने से रोकता है।
-मधुमेह के कारण रक्त प्रवाह और मसूड़ों की स्वास्थ्य क्षमता को क्षति पहुँचती है।
-दौरा रोकने के दवाई जैसी दवाएं मसूड़ों के रोग को बढ़ाती हैं।
-कैंसर और कैंसर के उपचार से व्यक्ति में संक्रमण होने की सम्भावनाएं अधिक हो सकती हैं और मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
-शराब मौखिक रक्षा तंत्र को प्रभावित करती है।
-तनाव जीवाणु आक्रमण के प्रति रक्षा प्रतिक्रिया को कम कर देती है।
-टेढ़े-मेढ़े या एक दाँत के ऊपर दूसरा दाँत होने से फ्लाक और कैलकुलस को इकट्ठा होने के लिए ज्यादा जगह मिल जाती है और इन्हें साफ करना कठिन हो जाता है।
-युवावस्था गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति में होने वाले हार्मोनल बदलाव आमतौर पर जिंजीवाइटिस में वृद्धि से जुड़े रहते हैं। हार्मोन के बढ़ने के कारण मसूड़ों में मौजूद रक्त वाहिकाऐं बैक्टीरिया और रसायनिक हमले के प्रति संवेदनशील हो जाती है। गलत आहार जैसे अधिक मात्रा में शुगर और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन और पानी कम मात्रा में पीने से फ्लाक के निर्माण में वृद्धि होगी।
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मसूड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने के ज़रूरत होती है। इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना ज़रूरी होता है।
जीवनशैली-
स्वास्थ्य संबधित अच्छी आदतें-पौष्टिक आहार खाना और रक्त में शुगर की मात्रा को सामान्य बनाए रखना मधुमेह के साथ-साथ स्वस्थ मसूड़ों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मौखिक स्वच्छता का ध्यान रखना-इसका अर्थ है कि कम से कम दो बार, सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले अपने दाँतों को ब्रश करना और एक दिन में कम से कम एक फ्लासिंक करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप हर बार भोजन या नाश्ता करने के बाद या अपने दाँत के डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ब्रश करें। ब्रश से पहले फ्लासिंक करने से आपके दाँतों में फसे हुए भोजन के कण और जीवाणु बाहर आ जाते हैं।
दाँतों की नियमित जाँच-आमतौर पर हर 6 से 12 महीनों में अपने दंत चिकित्सक से दाँतों की सफाई करवाएँ। यदि आपके अंदर पेरिओडोटाइटिस की संभावना को बढ़ाने वाले जोखिम कारक है जैसे कि गला बार-बार सूखना, कुछ दवाऐं या धूम्रपान करना तो अक्सर आपको अनुभवी दंत चिकित्सक द्वारा दाँतों की सफाई कराने की आवश्यकता हो सकती है। वार्षिक दंत ऐक्सरे, आपके दाँतों के उन रोगों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। जो आपके दाँतों में होने वाले परिवर्तन को विजुअल दंत परीक्षा डेंटल चेकअप और मॉनिटर द्वारा नहीं दिखा पाता।
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आहार-
अम्लीय फूड से खाने से बचें- बैक्टीरिया और अन्य रोग जनक सूक्ष्म जीव अम्लीय वातावरण में पनपते हैं जो मसूड़ों के रोग में योगदान करते हैं। ऐसे में अम्लीय खाने से बचें।
शर्करायुक्त खाद्य पदार्थ से बचें- शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ अत्यधिक अम्लीय होते हैं। यही कारण है कि चीनी का अत्यधिक मात्रा में सेवन दाँतों की सड़न और मसूड़ों के रोग को बढ़ाता है।
ठण्डे पदार्थों से बचे- जब आपके मसूड़े, दाँतों को सहारा देने वाली नसों को ढीला छोड़ देते हैं तो नसें खुल जाती है जिसके परिणाम स्वरूप ये ठण्डे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थें के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
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मसूड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से मसूड़ों के दर्द को कुछ हद तक कम किया जा सकता है-
भोजन के बाद एक सेब खाना लार के उत्पादन में मदद करता है और दाँत में चिपकने वाले बैक्टीरिया को दूर कर दाँतों में होने वाली क्षति को कम कर सकता है।
दिन में एक बार ग्रीन टी पीने से साँसों को ताजा, दाँतों को मजबूत और मसूड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है। ग्रीन टी में उपस्थित एंटी-ऑक्सीडेंट कैंसर से भी रक्षा करता है।
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कैल्शियम की आवश्यकता के लिए कई प्रकार के सूखे मेवे एवं बीज खायें। बादाम व कद्दू के बीज में अधिक मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है।
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अजमोदा को चबाने से अतिरिक्त लार का उत्पादन है। यह प्राकृतिक रूप से अपघर्षक है, जो मसूड़ों की मालिश और दाँतों के बीच सफाई करता है।
मैग्नीशियम, पोटेशियम और मैगनीज से भरपूर केले मुँह के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। केला का सेवन दांत और मसूड़ों के लिए फायदेमंद होता है।
साबुत अनाज पोषक तत्व से भरपूर होते हैं और ये विटामिन-बी के अच्छे स्रोत होते हैं। इसके सेवन से दांत और मसूड़ों को सेहतमंद फायदा मिलता है।
अगर यह स्पष्ट नहीं है कि मसूड़े में सूजन का क्या कारण है तो आपके दंत चिकित्सक स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों की जाँच करने के लिए चिकित्सा मूल्यांकन का परामर्श दे सकते हैं। यदि आपको मसूड़ों की बीमारी ज्यादा बढ़ गयी है तो आपके दंत चिकित्सक आपको पेरियोडेंटिस्ट के पास भेज सकते हैं।
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