शरीर को सतेज और ऊर्जा युक्त बनाये रखने के साथ-साथ जीवित रखने के लिए खाना और पानी दोनों की आवश्यकता होती है। खाना और पानी के अभाव में शरीर कभी भी एक्टिव नहीं रह सकता है, पर कभी-कभी यही भोजन और जल अगर लापरवाही और गंदगी से लिया जाए तो ये शरीर को नुकसान पहुँचाती है। कहने का मतलब यह है कि दूषित भोजन के सेवन से बहुत तरह की बीमारियां होने की संभावना होती है, उनमें से एक हैं, फूड पॉइजनिंग।
फूड पॉइजनिंग क्या होता है? (What is Food Poisoning?)
अभी तक तो आप समझ ही गए होंगे कि खाना या पेय दोनों पदार्थ गंदा या संक्रमित हो तो फूड पॉइजनिंग होने की संभावना होती है। वैसे तो फूडप्वाइजनिंग के अधिकांश मामले कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन शिशुओं, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों में फूडप्वाइजनिंग होने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि इससे इनके सेहत को काफी नुकसान पहुँचता है। ये ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आप एक-दो दिन में या फिर हफ्ते में खुद ही कर सकते हैं। पर इसके मामले में लापरवाही करना भविष्य में पेट संबंधी गम्भीर बीमारियों का संकट भी ला सकता है। इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी के बारे में आपको पूरी जानकारी हो जिससे समय रहते या शुरुआती दौर में ही इस पर काबू पा सकें।
शायद आपको पता नहीं कि असंतुलित आहार और जीवन शैली के कारण भी फूड प्वाइजनिंग हो सकती है। फूड प्वाइजनिंग तब होती है जब हम ऐसे भोजन खाते हैं जो बैक्टीरिया, वायरस और दूसरे रोगाणुओं या विषैले तत्वों से संक्रमित होता है। बच्चे और बुजुर्ग फूड प्वाइजनिंग के शिकार अधिक होते हैं क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
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फूड प्वाइजनिंग आहार और जीवनशैली दोनों के असंतुलन होने के कारण होता है, इसके अलावा और भी बातें हैं जो निम्नलिखित हैं-
-फूड प्वाईजनिंग दूषित भोज्य पदार्थ के सेवन करने से होता है। जैसे-बासी खाना खाने से।
-घर से खाना बनाते वक्त अगर उसको धोने में गन्दे पानी का इस्तेमाल किया गया हो या फिर खाना बनाने में गन्दे पानी का इस्तेमाल हुआ हो तो फूडप्वाइजनिंग हो सकती है।
-खाने के सामान को ढक कर न रखने पर गंदी मक्खी के बैठने से भी हानिकारक जीवाणु खाने में पहुँच जाते हैं। जिससे फूड प्वाइजनिंग हो जाती है।
-अक्सर रास्ते में लगी खाने की दुकानें में खाने की चीजों को ढक के रखा नहीं जाता है, जिसके कारण एक तो सड़क के उड़ते हुए धूल सीधे खाने में पहुंच जाते हैं। दूसरी तरफ गन्दी मक्खी भी खाने में पहुँच जाती है, जो खाने में हानिकारक जीवाणु को पहुँचाते हैं। जब हम उस खाने को खाते हैं तो यह बीमारी हो जाती है।
-अगर लम्बे समय तक घर में इस्तेमाल होने वाले पानी के टैंक की सफाई नहीं हुई हो तो पानी दूषित हो जाता है। जब हम उस पानी को किसी भी रूप में इस्तेमाल करते हैं तो इस बीमारी की संभावना होती है।
-फूड प्वाइजनिंग की समस्या सिर्फ दूषित खाने की वजह से नहीं होती, कई बार यह हमारे गंदे हाथों से खाना खाने से भी हो जाता है।
फूड प्वाइजनिंग के होने पर शरीर में कई तरह की बिमारियों के लक्षण महसूस होने लगते हैं-
–पेट में तेज दर्द होने लगता है।
-हर 15 से 20 मिनट के अंतराल में उल्टी होने लगती है।
–दस्त होने लगते हैं।
-खाना पचता नहीं है, कुछ भी खाने से वह तुरंत उल्टी के रूप में बाहर निकल जाता है।
–सिर दर्द होने लगता है।
-शरीर बहुत ज्यादा थका हुआ और कमजोर महसूस होने लगता है। जिससे शरीर बेजान -सा लगने लगता है।
-शरीर का तापमान बढ़ने लगता है अर्थात् बुखार हो जाता है।
और पढ़े- बुखार से राहत पाने के घरेलू उपचार
फूड प्वाइजनिंग से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है, जैसे-
-खाना बनाने से पहले अपने हाथों को साबुन से गुनगुने पानी में अच्छे से धो लें।
-भोजन के बर्तन, बोर्ड व अन्य सतहों को साबुन से गर्म पानी में धोएं।
-बाजार से खरीददारी करते समय कच्चे मांस, चिकन और मछली आदि को अन्य खाद्य पदार्थों से दूर रखें क्योंकि इससे क्रॉस कोन्टामिनेशन होता है।
-कच्ची हरी साग-सब्जियों को पकाने से पहले या फिर खाने से पहले जरूर धोएं।
-भोजन को तब तक पकाएं जब तक उसके विषैले तत्व बाहर न निकल जाएं।
-खाना को हमेशा साफ कंटेनर में ही रखें।
-भोजन करने के तुरंत बाद भोजन को फ्रिज में रखें।
-ऐसा खाना न खाए जो कहीं देर से खुले में रखा हुआ हो और उसमें से महक आने लग गई हो। इसके अलावा अगर पैकेट पर डेट एक्सपायर हो गई हो तब भी उसे न खाएं।
-टॉयलेट से आने के बाद अपने हाथों को साबुन से जरूर धोयें।
-अगर आपको घर में पालतू जानवर है तो भी उसे छूने के बाद हाथों को धोएं।
-ट्रैवल के दौरान अपने साथ घर का बना गरम खाना ही ले जाएं। ठंडा और कच्चा खानां तब तक न रखें जब तक वह छिलके वाला न हो।
-जितना हो सके पेय पदार्थ पीजिए-पानी, डिकैफनेटेड चाय या जूस जो भी आप पी सकते हैं, वो लें। इससे आप तरल पदार्थ की कमी दूर कर सकते हैं और निर्जलीकरण को रोकने में भी ये मददगार होगा।
-शराब, दूध या कैफीनयुक्त पेय पदार्थों को न ले तो अच्छा है।
-नरम खाद्य पदार्थ खाना शुरू करें जैसे-चावल, केला, टोस्ट आदि।
-मसालेदार भोजन, तले हुए खाद्य पदार्थ, डेयरी और हाई फैट खाद्य पदार्थों से बचें।
-अपने खाने में प्रोबायोटिक्स लेना शुरु करें।
अगर फूड प्वाइजनिंग हो गया है तो इन चीजों से परहेज करनी चाहिए-
फूड प्वाइजनिंग विशेष रूप से वृद्धों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो उनके लिए एक गंभीर और जीवन के लिए खतरनाक स्थिति बन सकती है। ऐसी अवस्था में शारीरिक स्थिति और खराब न हो इससे बचने के लिए इन चीजों को खाने से परहेज करनी चाहिए-
-पॉल्ट्री और कच्चा मीट न खायें
-कच्ची और अधपकी मछली न खायें
-कच्चे या अधपके अंडे, और इनसे युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से बचें
-कच्ची अंकुरित चीजें खाने से बचें।
-अनपॉश्चराइज्ड जूस न लें।
-अनपॉश्चुराइज्ड दूध और उसके उत्पाद लेने से परहेज करें।
आम तौर पर फूड प्वाइजनिंग से निजात पाने के लिए लोग सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही आजमाते हैं। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से फूड पॉइजनिंग के कष्ट से आराम पाया जा सकता है।
फूड प्वाइजनिंग के उपचार में ज्यादा से ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाना चाहिए कि मरीज के शरीर में पानी की कमी न हो। इसलिए इससे लक्षण नजर आने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं, साथ ही सूप, पतली खिचड़ी, नारियल पानी, चावल का पानी, इलेक्ट्रॉल पाउडर का घोल आदि देने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है।
फूड प्वाइजनिंग में जीरे का इस्तेमाल भी बहुत फायदेमंद होता है। जीरे का इस्तेमाल पेट की सूजन और पीड़ा को कम करने का बहुत ही गुणकारी घरेलू उपाय है। इसके लिए एक चम्मच जीरे को भूनकर पीस लें और अपने सूप में मिलाकर इस्तेमाल करें।
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कुछ तुलसी के पत्तों के रस में एक चम्मच शहद मिला लें। इसके इस्तेमाल के मरीज के अवस्था के अनुसार कुछ घंटों के भीतर ही कष्ट से राहत मिलने की संभावना रहती है।
केला पोटेशियम का स्रोत है। केला फूड प्वाइजनिंग से जल्दी ठीक होने और उसके प्रभाव को कम करने का बहुत ही प्रभावशाली उपाय है। इसके लिए केले को दही में मैश करके खाना चाहिए।
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सेब फूड प्वाइजनिंग के खिलाफ प्रभावी रूप से काम करता है। सेब उस एंजाइम की तरह काम करता है जो बैक्टीरिया के विकास को रोकने में मदद करता है।
नींबू के रस की एसिडिटी फूड प्वाइजनिंग के बैक्टीरिया को समाप्त करता है। इसलिए इसे फूड प्वाइजनिंग में लाभकारी मानते हैं। इसके लिए एक नींबू का रस निचोड़कर उसमें एक चुटकी चीनी मिलाकर इसका सेवन दवा की तरह करने से परिणाम बेहतर मिलता है। इसके अलावा नींबू को आप अपनी चाय में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अपने क्षारीय गुण के कारण सिरका, विशेष रूप से एप्पल साइडर विनेगार पेट में बैक्टीरिया पनपने से रोकता है। इससे फूड प्वाइजनिंग के प्रभाव को तेजी से कम किया जा सकता है।
पुदीना चाय सिर्फ अरोमाथैरेपी नहीं है बल्कि पेपरमिंट तेल अपने सुखदायक प्रभाव के लिए बेहद फायदेमंद होता है। जब कभी पेट में दर्द के साथ ऐंठन हो तो, चाय में इसकी कुछ बूंदे डालकर पीने से जल्द आराम मिलता है।
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फूड प्वाइजनिंग में हमें डॉक्टर से जल्द से जल्द सम्पर्क करना चाहिए। निम्नलिखित लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत सम्पर्क करना बेहतर होता है-
-फूड प्वाइजनिंग के साथ यदि बुखार भी हो।
-दस्त में खून आ रहा हो।
-अगर बार-बार उल्टी हो रही हो और पानी निकल रहा हो।
-अगर समस्या 3 दिन से ज्यादा हो रही हो।
-अगर शरीर पर रैशेज आ रहे हों।
-यदि मुँह सूख रहा हो।
-चक्कर एवं थकान की अनुभूति हो।
-हार्ट रेट बढ़ गया हो।
-सांस लेने में परेशानी हो रही हो।
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