चिकनगुनिया एक वायरल बिमारी होता है। चिकनगुनिया के लक्षण डेंगू से बहुत मिलते-जुलते हैं। यह रोग एडिस प्रजाति के मच्छर के काटने से होने वाली एक गम्भीर बिमारी है।
इसलिए चिकनगुनिया है या डेंगू या कि आम फीवर है ये जानने के लिए बुखार होने पर तुरन्त डॉक्टर के पास जाना चाहिए। चिकनगुनिया के बारे में जानने के लिए चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं और ये भी जानते हैं कि चिकनगुनिया से बचने के क्या घरेलू उपाय हैं।
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वस्तुत: चिकनगुनिया संक्रामक रोग होता है। चिकनगुनिया के बिमारी में 39 डिग्री सेल्सियस तक का बुखार (ज्वर) हो जाता है। हाथों और पैरों पर चकत्ते बन जाते हैं। शरीर के विभिन्न जोड़ों में पीड़ा होती है। इसके अतिरिक्त सिर में दर्द, आँखों में पीड़ा। इस रोग में ज्वर आम तौर पर दो दिन से ज्यादा नहीं चलता तथा अचानक समाप्त होता है। चिकनगुनिया विषाणु एक अर्बोविषाणु है जिसे अल्फाविषाणु परिवार का माना जाता है।
चिकनगुनिया होने पर ये परीक्षण करना जरूरी होता है तभी समझ सकते हैं कि चिकनगुनिया हुआ है कि नहीं-
1- रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पॉलीमिरेस चेन रियेक्शन (Reverse Transcription Polymerase Chain Reaction) चिकनगुनिया के जीन्स को अधिक स्पष्टता से दर्शाता है और चिकनगुनिया का होना प्रमाणित करता है-
2- इम्यूनोफ्लोरेसेन्स एसेस (Immunofluoresance assays)
3- हेमाग्लूटिनेशन इन्हिबिशन टेस्ट्स (Haemagglutination inhibition tests)
चिकनगुनिया वायरस एक संक्रमित मच्छर के काटने से फैलता है। इस रोग को शरीर में आने के बाद 2 से 4 दिन का समय फैलने में लगता है। इस रोग के लक्षणों में बुखार आमतौर पर दो से ज्यादा दिन तक नहीं चलता है तथा अचानक ही समाप्त भी हो जाता है। मूल रूप से यह रोग उष्णकटिबंधीय अफ्रिका तथा एशिया में पनपता है। यह रोग एडिस प्रजाति के मच्छर मानव शरीर मे फैलाते हैं।
जब कोई व्यक्ति वायरस से संक्रमित हो तो मच्छर भी इस वायरस से संक्रमित हो जाता है। यह मच्छर दिन के उजाले में काटते हैं। यह रोग मच्छर से मानव को और दोबारा मच्छर द्वारा मानव का संक्रमित खून पीने से होता है अर्थात् मानव-मच्छर-मानव के चक्र में फैलता है। यह रोग विषाणु मुख्यत अर्थात् मुख्य रूप से बन्दर में पायें जाते हैं किन्तु मानव शरीर सहित अन्य प्रजातियाँ भी इस से प्रभावित हो सकती है।
चिकनगुनिया को शरीर में आने के बाद फैलने में 4 दिन का समय लगता है और फिर उसके लक्षण समय के साथ नजर आने लगते हैं।
चिकनगुनिया से बचने के लिए जीवनशैली और आहार में बदलाव लाना जरूरी होता है। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं :
जीवनशैली से जुड़े बदलाव
खानपान में बदलाव :
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चिकनगुनिया होने पर उसके लक्षणों सर राहत पाने के लिए घरेलू इलाज करना ही लोग सबसे पहले चाहते हैं। ताकि घर पर आसानी से चिकनगुनिया के परेशानियों से राहत मिल सके।
चिकनगुनिया होने पर रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। पानी शरीर के सभी विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है । यदि चिकनगुनिया से ग्रसित रोगी को पानी कम मात्रा में पिलाया जाएगा तो उसे डीहाईड्रेशन की समस्या हो सकती है।
चिकनगुनिया से ग्रसित व्यक्ति को दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करना चाहिए।
चिकनगुनिया में अजवायन देने की सलाह दी जाती है। अजवायन में थाइमोल नामक एक तेल पाया जाता है जो लोकल एनेस्थिसिया की तरह काम करता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर का दर्द कम हो जाता है।
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चिकनगुनिया में सहजन की फलियों का सूप पीने को दिया जाता है। इसके पत्ते भी काफी फायदेमंद होते हैं। सहजन के सेवन से मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
हल्दी हर रोग का रामबाण है, इसे आप दूध में मिलाकर पीने से चिकनगुनिया से ग्रसित मनुष्य ठीक हो जाता है।
हम सब के घरों में तुलसी का पौधा औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी हमारे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और हमें बिमारियों से बचाती है।
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चिकनगुनिया से राहत के लिए गिलोय स्वरस या गिलोय कैप्सूल लें या एक दिन में एक ग्राम की डोज पर्याप्त है।
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7 से 8 ताजे पपीते की पत्तियां लेकर उन्हें धो लें और उनका पेस्ट बना लें। फिर उस रस को निचोड़कर 2-2 चम्मच रस 3-3 घण्टे बाद पिलाएँ। इस बुखार में शरीर के प्लेट्लेट्स तेजी से गिरते हैं और पपीते की पत्तियाँ प्लेट्लेट्स को बढ़ाते हैं।
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अंगूर के बीजरहित फल को गाय के गुनगुने दूध के साथ पीने से चिकनगुनिया का वायरस मर जाता है।
जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में लहसुन का कोई मुकाबला नहीं है। इसे प्रभावित जगह पर जितना ज्यादा लगाया जाए, उतना अच्छा होता है। यह ना सिर्फ दर्द से राहत दिलाता है, बल्कि सूजन को कम करके रक्त संचार को बेहतर करता है।
लहसुन की 10 से 12 कलियां लें और उनका पेस्ट बनाकर पानी के साथ पेस्ट (ग्राइंड) बना लें। अब इस पेस्ट को जोड़ों पर दर्द वाली जगह पर लगाएँ और कुछ घण्टों के लिए छोड़ दें।
चिकनगुनिया का इलाज करने के लिए शहद का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल व एंटी-माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। वहीं नीम्बू बुखार से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता (diet plan for chikungunya) है।
एक चम्मच शहद व आधे नीम्बू को एक गिलास पानी में मिलाकर इसका सेवन करें। आप पानी को गर्म कर उसमें नीम्बू व शहद को मिक्स कर उसकी चाय का सेवन भी कर सकते हैं।
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सब्जियों का सूप चिकनगुनिया में बहुत अधिक लाभदायक होता है इसलिए चिकनगुनिया में टमाटर का सूप पिएं इसके अलावा तरल पदार्थ का सेवन करें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। यह हमें दाल, अलसी और अखरोट से प्राप्त होता है।
केले में चीनी की मात्रा कम होती है और स्टार्च की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा केले में फाइबर भी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से पाचन क्रिया मजबूत रहती है।
चिकनगुनिया बुखार के दौरान रोगी को दिन में 2-3 बार चॉकलेट खानी चाहिए। दिन में 4-6 छेनी और सफेद रसगुल्ले खाने चाहिए क्योंकि ये कैलोरी बढ़ाने में मददगार साबित होता है। शुगर और ब्लड प्रेशर हाई पेशेन्ट्स को मीठे से परहेज करवाया जाता है।
बर्फ का पैक सूजन और दर्द में आराम पहुँचाता है।
कच्ची गाजर खाने से वह चिकनगुनिया के उपचार में बेहद फायदेमंद है। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
कुछ दिनों के लिए दिन में दो से तीन बार नारियल पानी का सेवन करें।
चिकनगुनिया एक वायरल बिमारी है। इसके लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते होते हैं। इस बिमारी में ग्रसित को तेज बुखार के साथ शरीर में दर्द होता है। कुछ दिन तक परहेज करने से या घरेलु उपचार का नियमित पालन करने से यह ठीक हो जाता है। यदि नियमित रूप से परहेज एवं घरेलु उपचार करने पर भी बुखार कम न हो और शरीर में दर्द बढ़ जाए तो ग्रसित को तुरन्त डॉक्टर से मिलकर परामर्श लेना चाहिए।
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