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Dhamasa: सेहत के लिए कमाल का है धमासा- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आयुर्वेद चिकित्सा में ऐसे हजारों जड़ी-बूटियां मिल जायेंगी जो हमारे आस-पास ही होती हैं लेकिन हमें नहीं पता होता है कि वह हमारे लिए कितने फायदेमंद होती हैं। ऐसी ही एक बूटी होती है धमासा। आयुर्वेद में धमासा का प्रयोग रक्त को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा किन-किन बीमारियों में इसका इस्तेमाल औषधी के लिए किया जाता है, चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

Contents

धमासा क्या है? (What is Dhamasa in Hindi?)

प्राचीन आयुर्वेदीय संहिताओं तथा निघण्टुओं में दुरालभा, समुद्रान्ता तथा दुस्पर्शा आदि नामों से इसका वर्णन प्राप्त होता है। चरक-संहिता के तृष्णानिग्रहण तथा अर्शोंघ्न गणों में इसका वर्णन किया गया है। प्रत्येक पत्ते के पास दो नुकीले काँटे निकले हुए होते हैं। इसके कांटे शरीर पर चुभने से बहुत ज्यादा दर्द होता है। इस लेख में आगे हम आपको धमासा के फायदे, नुकसान और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं :

अन्य भाषाओं में धमासा के नाम (Names of Dhamasa in Different Languages)

धमासा का वानास्पतिक नाम Fagonia cretica Linn. (फैगोनिआ क्रेटिका) Syn-Fagonia deflexa Moench; Fagonia elongata Salisb होता है। इसका कुल  Zygophyllaceae (जाइगोफिलेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Khorasan thorn (खुरासन थॉर्न) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि धमासा और किन-किन नामों से जाना जाता है।

  • Sanskrit-धन्वयास, दुरालभा, उष्ट्रभक्ष्या, समुद्रान्ता, दुस्पर्शा, कच्छुरा, अजभक्ष्य, गान्धारी अनन्ता;
  • Hindi-धमासा, हिंगुआ, धमहर, उर्स्तुगर, उर्स्तखर, हींगुना;
  • Urdu-बदरह (Badrah), बडावरद (Badavard);
  • Gujrati-धमासो (Dhamaso);
  • Tamil-तुल्नागरी (Tulnagari);
  • Telugu-चीट्टीगरा (Chittigara), गीरेगटी (Giregati);
  • Bengali-दुरालभा (Duralabha);
  • Punjabi-धमाह (Dhamah), धमान्ह (Dhamanh), धामा (Dhama)
  • Marathi-धमासा (Dhamasa), धूमसा (Dumasa)।
  • Persian-बादा बर्द (Bada bard), बडावर्द (Badavard);
  • Arbi-शुकाई (Shukai), शौकुबेइतीजा (Shaukubaitiza)।

धमासा का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Dhamasa in Hindi)

प्रकृति से धमासा मधुर, कड़वा, कषाय, शीतल, लघु, कफवात से आराम दिलाने वाले, रक्त को शुद्ध करने वाला तथा अर्शोघ्न होता है।

यह विषमज्वर (मलेरिाय), तृष्णा या प्यास, छर्दि या उल्टी, प्रमेह या डायबिटीज, मोह, विसर्प या हर्पिज, शूल या दर्द, गुल्म, श्वास, कास, भम, मद तथा कुष्ठ नाशक होता है।

धमासा के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Dhamasa in Hindi)

धमासा में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

सिरदर्द से दिलाये आराम धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Headache in Hindi)

तनाव के परेशान रहने के कारण सिर के दर्द से परेशान रहते हैं तो धमासा के पत्तों को पीसकर माथे पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है।

मुँह के बीमारियों के इलाज में  फायदेमंद धमासा (Benefits of Dhamasa to Treat Mouth related Diseases in Hindi)

धमासा पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक (Stomatitis), गले के दर्द तथा अन्य मुँह संबंधी समस्याओं में लाभ होता है। इसके अलावा धमासा पञ्चाङ्ग को पीसकर गले में लगाने से गले की सूजन से आराम मिलता है।

खाँसी के परेशानी में मददगार धमासा (Dhamasa Beneficial in Cough in Hindi)

देवदारु, शटी, रास्ना, कर्कट शृंगी तथा धमासा के समान भाग में चूर्ण (1-2 ग्राम) में मधु तथा तिल तेल मिलाकर सेवन करने से वातदोषयुक्त कफज कास से आराम मिलता है।

फुफ्फुस रोग या लंग्स के बीमारी में फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial in Lungs Diseases in Hindi)

धमासा के रस को गन्ने के रस के साथ उबालकर, उसका अवलेह बनाकर सेवन करने से फुफ्फुस रोगों में लाभ होता है।

हिक्के के कष्ट से दिलाये आराम धमासा (Benefit of Dhamasa to Get Relief from Hiccups in Hindi)

अगर आप अक्सर हिक्के के कष्ट से परेशान रहते हैं तो 10-30 मिली धमासा काढ़े में शहद मिलाकर पिलाने से हिक्का से आराम मिलता है।

और पढ़ेहिक्का में फायदेमंद कर्कटशृंगी

कफज छर्दी के कष्ट से दिलाये राहत धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Cough related Vomiting in Hindi)

1-2 ग्राम धमासा चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से कफज छर्दि में लाभ होता है। इससे बलगम के कारण जो उल्टी होने  लगती है उससे आराम मिलता है।

ग्रहणी या आंतों के रोग के इलाज में फायदेमंद धमासा (Benefit of Dhamasa to Get Relief from Stomach Diseases in Hindi)

दुरालभा चूर्ण का सेवन करने से ग्रहणी, खून की कमी, कुष्ठ, प्रमेह या डायबिटीज, रक्तपित्त (कान, नाक के खून बहने की बीमारी) तथा कफज संबंधी बीमारी से आराम मिलने तथा स्वर एवं वर्ण की वृद्धि होती है।

उदावर्त के उपचार में लाभकारी धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Large Intestine in Hindi)

बड़ी आँत के समस्या से परेशान हैं तो 5 मिली धमासा पत्ते के रस को पीने से उदावर्त या बड़ी आँत के समस्याओं से राहत मिलने में आसानी होती है।

ज्वरयुक्त अतिसार में फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial in Diarrhoea and Fever in Hindi)

धमासा के साथ समान मात्रा में मुनक्का मिलाकर, काढ़ा बनाकर 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से दस्त होने के साथ अगर बुखार हुआ है, उससे जल्दी राहत पाने में आसानी होती है।

मूत्राघात के इलाज में लाभकारी धमासा (Benefit of Dhamasa in Anuria in Hindi)

अगर पेशाब करते वक्त आपको परेशानी होती है और वह रूक-रूक कर आती है तो धमासा का सेवन इसके इलाज में लाभप्रद होता है।

मूत्रकृच्छ्र के बीमारी में फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat

Dysuria in Hindi)

धमासा रस से पकाए हुए दूध में घी मिलाकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ्र या मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभ होता है।

विद्रधि या अल्सर से दिलाये राहत धमासा (Benefit of Dhamasa Heals Ulcer in Hindi)

धमासा पञ्चाङ्ग को पीसकर लगाने से विद्रधि, व्रण या घाव, मसूरिका या चेचक तथा गले की गांठों के इलाज में मदद मिलती है।

-धमासा के रस को घाव पर लगाने से घाव में पाक नहीं होता तथा घाव शीघ्र भर जाता है।

-धमासे का काढ़ा बनाकर व्रण को धोने से घाव में पूय या पीव नहीं बनती तथा घाव जल्दी भर जाता है।

पामा या खुजली की परेशानी करे दूर धमासा (Dhamasa Beneficial in Scabies in Hindi)

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी समस्या होना आम बात हो गया है। धमासा तने की छाल को पीसकर लगाने से पामा में लाभ होता है।

कुष्ठ के इलाज में धमासा फायदेमंद (Benefit of Dhamasa in Leprosy in Hindi)

कुष्ठ के लक्षण ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है तो धमासा पत्ते को पीसकर लगाने से रोमकूप के सूजन तथा श्वेत कुष्ठ के इलाज में लाभकारी होता है।

और पढ़े-कुष्ठ रोग में तीखुर के औषधीय गुण के फायदे

भ्रम के उपचार में लाभकारी फायदेमंद धमासा (Dhamasa Beneficial to Treat Hallucination in Hindi)

10-20 मिली धमासा काढ़े में 5 मिली घी मिलाकर सेवन करने से भ्रम के इलाज में मदद मिलती है।

रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहना) में धमासा का औषधीय गुण फायदेमंद (Dhamasa Benefits in Bleeding Problem in Hindi)

समान मात्रा में धमासा, पर्पट, कमल-नाल तथा चन्दन से बने (1-2 ग्राम) पेस्ट का सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

बुखार के इलाज में फायदेमंद धमासा का औषधीय गुण (Benefit of Dhamasa to Treat Fever in Hindi)

मौसम के बदलाव के कारण बार-बार बुखार हो जाता है तो धमासा का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है-

-धमासा के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पीने से बुखार तथा पित्तज संबंधी समस्याओं से आराम मिलता है।

-धमासा से बने काढ़े में जल मिलाकर स्नान करने से बुखार से आराम मिलता है।

-गिलोय, सोंठ, नीम छाल, अडूसा पञ्चाङ्ग, कुटकी, हरड़, पोहकर मूल, भृंगराज तथा धमासा का समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़े में शहद मिलाकर पीने से सभी प्रकार के बुखार से आराम मिलता है।

सूजन कम करने में सहायक धमासा (Dhamasa Beneficial in Inflammation in Hindi)

सूजन के कष्ट को दूर करने के लिए धमासा को दूध में पकाकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से सूजन से आराम मिलता है।

सांप काटने पर उसके विष के प्रभाव को कम करने में सहायक धमासा (Benefit of Dhamasa to Treat Snake Poison in Hindi)

धमासा पञ्चाङ्ग के पेस्ट को सांप के काटे हुए जगह पर लगाने से सांप के विषाक्त प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।

धमासा का उपयोगी भाग (Useful Parts of Dhamasa)

आयुर्वेद के अनुसार धमासा का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-पत्ता

-पञ्चाङ्ग और

-जड़।

धमासा का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Dhamasa in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए धमासा का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 1-2 ग्राम चूर्ण, 5-10 मिली रस और 10-12 मिली काढ़ा ले सकते हैं।

धमासा कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Dhamasa Found or Grown in Hindi)

कठोर तना तथा कण्टकों से युक्त यह झाड़ी भारत के रूखे भागों में मुख्यत उत्तर-पश्चिमी भारत, पंजाब, गंगा के ऊपरी मैदानी भागों, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कोंकण एवं पश्चिमी प्रायद्वीप में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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