आपमें से बहुत कम लोग उटंगन के नाम से परिचित होंगें। यह एक छोटे कद का पौधा है जिसकी पत्तियां गुच्छों में और हल्के मुलायम रोएं के आकार में होती है। उटंगन की पत्तियां घावों और अल्सर को ठीक करने में बहुत उपयोगी मानी जाती हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग उटंगन की पत्तियों और बीजों के चूर्ण का इस्तेमाल कई बीमारियों के घरेलू इलाज के रूप में करते हैं। इस लेख में हम आपको उटंगन के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
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उटंगन के पौधे नमी वाली ठंडी जगहों पर नदी के किनारे उत्पन्न होते हैं। इसकी पत्तियां गुच्छों में उगती हैं जो किनारों पर दांतेदार एवं कांटेदार होती हैं। उटंगन की पत्तियों की सब्जी बनाकर खाई जाती है और विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी पत्तियों की सब्जी खाने से अच्छी नींद आती है।
उटंगन का वानस्पतिक नाम Blepharis edulis (Forssk.) Pers. (ब्लेफेरिस् इडुलिस)
Syn-Blepharis persica (Burm.f) O. Kuntze है. इसके कुल का नाम Acanthaceae (ऐकेन्थेसी) है। आइये जानते हैं अन्य भाषाओं में उटंगन को किन नामों से पुकारा जाता है :
उटंगन तिक्त, उष्ण, रुचिकारी तथा हृद्रोग शामक होता है। इसके बीज मधुर, तिक्त, शीत, वृष्य, संतर्पण, गुरु, स्निग्ध, पिच्छिल तथा मूत्रल होते हैं।
आयुर्वेद में उटंगन के कई फायदों के बारे में बताया गया है. घावों और अल्सर को ठीक करने के अलावा यह अनियमित माहवारी जैसी समस्याओं में भी बहुत गुणकारी है. आइये उटंगन के कुछ प्रमुख फायदों के बारे में जानते हैं :
अगर आप सांस से संबंधित बीमारियों से परेशान हैं तो उटंगन का उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद है। इसके लिए 1-2 ग्राम उटिंगन के बीजों का सेवन करें या इन बीजों को पीसकर छाती पर लगाएं। इसे छाती पर लगाने से खांसी से भी आराम मिलता है।
उटंगन पञ्चाङ्ग को काटकर, सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से श्वास-कास में लाभ मिलता है।
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अगर आपको पेशाब करते समय दर्द होता है तो यह किसी संक्रमण की वजह से हो सकता है। इससे राहत पाने के लिए एक से दो ग्राम उटंगन के बीज के चूर्ण को मट्ठे के साथ मिलाकर लें या इसमें समान भाग में मिश्री मिलाकर सेवन करें।
ल्यूकोरिया और डायबिटीज जैसे गंभीर रोगों के इलाज में उटंगन लाभदायक है। इसके लिए 5-10 ग्राम ताजे पञ्चाङ्ग स्वरस में मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर पिएं।
10 ग्राम उटंगन बीज में बराबर मात्रा में गोक्षुर मिलाकर 200 मिली दूध में पकाएं। उबालने के बाद जब इसकी मात्रा आधी बचे तो इसे छानकर अलग रख लें। ठंडा होने पर इसमें मिश्री मिलाकर पिएं। इसके सेवन से वीर्य की गुणवत्ता बढ़ती है।
कई महिलाएं माहवारी के दौरान तेज दर्द और अनियमित स्राव से परेशान रहती हैं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार उटंगन के उपयोग से माहवारी में होने वाली दिक्कतों से आराम मिलता है। इसके लिए माहवारी के दौरान एक से दो ग्राम उटंगन चूर्ण का सेवन करें।
अगर आप अनियमित रक्तस्राव की समस्या से परेशान हैं तो उटंगन का इस्तेमाल करें, इसके उपयोग से खून की उल्टी और अनियमित रक्तस्राव में लाभ मिलता है। इसके लिए उटंगन के ताजे पत्तों का रस निकालें और 5 एमएल रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर उसका सेवन करें।
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उटंगन के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं। इसे लगाने से घाव जल्दी भरता है और दर्द से भी आराम मिलता है। घाव ज्यादा बड़ा या गंभीर हो तो चिकित्सक की सलाह के बाद ही इसका उपयोग करें।
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उटंगन के पञ्चाङ्ग को पीसकर उसमें समान मात्रा में चक्रमर्द पञ्चाङ्ग कल्क मिलाकर उसे दाद वाली जगह पर लगाएं। इसके उपयोग से कुछ ही दिनों में दाद की समस्या ठीक हो जाती है। इसी तरह अगर आप खुजली से परेशान हैं तो उटंगन के पत्तों को पीसकर खुजली वाली जगह पर इसका लेप लगाएं।
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अगर आप कोई भी काम करने में बहुत जल्दी थक जाते हैं और हमेशा कमजोरी महसूस होती है तो घरेलू उपायों की मदद से आप शरीर की ताकत बढ़ा सकते हैं। इसके लिए 1-2 ग्राम उटंगन के बीज के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे शरीर की दुर्बलता मिटती है और ताकत बढ़ती है।
आज के समय में अधिकांश लोग रात में नींद ना आने की वजह से परेशान रहते हैं। अच्छी नींद ना आने से कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, उटिंगन के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से अच्छी नींद आती है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार उटंगन के निम्न भागों का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है।
सामान्य तौर पर 1-2 ग्राम उटंगन के बीजों के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। अगर आप किसी बीमारी के घरेलू उपचार के लिए उटंगन के पत्तों या बीजों का उपयोग करने की सोच रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद इसका उपयोग करें।
उटंगन का पौधा भारत, पाकिस्तान और इरान में पाया जाता है।
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