सहदेवी का परिचय (Introduction of Sahdevi)
समस्त भारत में यह लगभग 1200 मी0 की ऊचाईं तक पायी जाती है। सामान्यत खरपतवार के रूप में यह खाली पड़े मैदानी भागों में तथा सड़कों के किनारों पर पाई जाती है। इसके सन्दर्भ में कहा जाता है कि इसकी मूल को सिर के नीचे रखकर साने से निद्रा अच्छी आती है तथा सिर में इसकी मूल को बांधने से ज्वर का शमन होता है। यह 15-75 सेमी ऊँचा, सीधा अथवा प्रसरणशील, श्वेत रोमश, शाकीय पौधा होता है। सहदेवी (Sahdevi) के पुष्प गुलाबी-बैंगनी वर्ण के होते हैं।
वानस्पतिक नाम : Vernonia cinerea (Linn.) Less. (वर्नोनिया साइनैरिया) Syn-Conyza cinerea Linn., Cyanthillium cinereum (Linn.) H. Rob.
कुल : Asteraceae (ऐस्टरेसी)
अंग्रेज़ी में नाम : Fleabane (फ्लीबेन)
संस्कृत-सहदेवी, दण्डोत्पला, सहदेवा; हिन्दी-सहदेई, सहदैया; कन्नड़-करे हिन्दी (kare hindee), सहदेबी (Sahadebi); गुजराती-सहदेवी (Sahadevi), सदोरी (Sadori) सदोडी (Sadodi), शेदरडी (Shedradi); तमिल-नैचिट्टे (Neichettei), मुकूट्टीपुनडू (Mukuttipundu); तेलुगु-घेरिट्टेकरनिना (Gherittkarnina), गारिटिकम्मा (Garitikamma); बंगाली-कूकसीम (Kuksim), छोट कुकासिमा (Chot kukasima), कालाजीरा (Kala jira); पंजाबी-सहदेवी (Sahadevi) मराठी-सहदेवी (Sahadevi), सायिदेवि (Sayidevi); मलयालम-पिरिना (Pirina), पूवनकुरुनथल (Puvankuruntal)।
अंग्रेजी-ऐश कलर्ड ऑयरनवीड (Ash Colored iron weed), ऐश कलर्ड फ्लीबेन (Ash coloured flebane), परपैल फ्लीबेन (Purple fleabane)।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
सहदेवी (Sahdevi) तिक्त, उष्ण, लघु, रूक्ष तथा कफवातशामक होती है।
यह वातानुलोमक, निद्राकारक; मूत्रकृच्छ्र, विषमज्वर तथा सिध्म-नाशक है।
सहदेवी का पञ्चाङ्ग मधुर, शीत, बलकारक, आमाशयोत्तेजक, स्वेदक, शोथहर, जीवाणुनाशक, कवकनाशी, विषाणुनाशक, मूत्रल शोधक तथा अश्मरीनाशक होता है।
इसके बीज विषघ्न, कृमिहर तथा कटु होते हैं।
इसके पुष्पों का प्रयोग नेत्र की श्लैष्मिक कला शोथ, ज्वर एवं वात प्रकोप के उपचार के लिए हितकर है।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग : पञ्चाङ्ग।
मात्रा : कल्क 1 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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