वानस्पतिक नाम : Tectona grandis Linn. f. (टेक्टोना ग्रैन्डिस) Syn-Jatus grandis (Linn.f.) Kuntze, Tectona theca Lour.
कुल : Verbenaceae (वर्बीनेसी)
अंग्रेज़ी में नाम : Indian teak tree (इण्डियन टीक ट्री)
संस्कृत-भूमिसह, क्रकच पत्र, गृहद्रुम, अतिपत्रक, भूमिरुह, द्वारदारु, वरदारु, खरच्छद, महापत्र, स्थिरसारा, श्रेष्ठकाष्ठ, सुरभिसारक; हिन्दी-सागौन, सागवन, सागु; उर्दू-सगुन (Sagun); उड़िया-सगौउन (Saguan), टेको (Teko), सगुनी (Saguni); असमिया-चिंगजागु (Chingjagu); कोंकणी-साइलो (Sailo); कन्नड़-जड़ी (Jadi), तड़ी (Tadi), तेगिन (Tegin), टेगा (Tega); गुजराती-सागा (Saga), सागवान (Sagwan); तेलुगु-थीक्का (Thekka), टेकु (Teku); तमिल-टेक्कु (Tekku); बंगाली-सेगून (Segun), शाक (Shak), माग (Maag); पंजाबी-सगून (Sagun), सागवान (Sagwan); मराठी-साग (Sag), सागा (Saga), सागवान (Sagwan), टेक्का (Tekka); मलयालम-टेक्का (Tekka), थेक्कू (Thekku)।
अंग्रेजी-इण्डियन ओक (Indian oak), शिप ट्री (Ship tree), टीक ट्री (Teak tree), कॉमन टीक वुड (Common teak wood), कॉमन टीक (Common teak); अरबी-साज (Saj); फारसी-साज (Saaj)।
परिचय
समस्त भारत में 500 से 1200 मी0 की ऊचाईं तक इसकी खेती की जाती है। सागौन की लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर तथा घरों के दरवाजे आदि बनाने में किया जाता है। कई स्थानों पर इसके पत्रों का प्रयोग भोजन के लिये पात्र रूप में किया जाता है। यह 24-30 मी ऊँचा वृक्ष होता है। इसके पत्र सरल, बड़े 30-60 सेमी लम्बे एवं 15-30 सेमी चौड़े होते हैं। इसके पुष्प अनेक, छोटे, श्वेत वर्ण के तथा मधुरगंधि होते हैं।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
सागौन कषाय, शीत, कटु, लघु, रूक्ष, कफपित्तशामक, सारक, रुचिकारक, विशद तथा रक्तपित्तप्रसादक होता है।
यह दाह, श्रम, मूत्रकृच्छ्र, अर्श, रक्तपित्त, क्षतक्षीण, पाण्डुरोग, प्रमेह, मेदोरोग तथा कुष्ठनाशक है।
इसके पुष्प तिक्त, कषाय, विशद, लघु, रूक्ष, वातप्रकोपक, कफपित्तशामक तथा प्रमेह नाशक होते हैं।
इसकी छाल मधुर, कषाय, रूक्ष, रुचिकारक तथा कफशामक होती है।
इसके फल हृद्य, रुचिप्रद, तृष्णा, मूत्र विकार तथा वातशामक होते हैं।
इसकी मूल सर्प तथा वृश्चिकदंश में लाभकारी होती है।
इसके पत्रों का सत्त् कवक वेत्राणु जन्य राजयक्ष्मा का सम्पूर्ण रूप से निरोधन करता है।
मूल का मेथेनॉलिक सार विस्टर एल्बिनो चूहों (Wistar albino rats) में किण्व पेरित ज्वर में ज्वरघ्न क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।
त्वक् का एथेनॉलिकसार एलोक्सान (Alloxan) प्रेरित मधुमेही चूहों में मधुमेहरोधी तथा वृक्करक्षात्मक क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग : पत्र, बीज, छाल तथा मूल।
मात्रा : चूर्ण 1-3 ग्राम। क्वाथ 15-30 मिली।
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