वानस्पतिक नाम : Adenocalymma alliaceum (Lam.) Miers
(एडेनोकैलिमा एलिसियम) Syn-Bignonia alliacea Lam., Mansoa alliacea (Lam.) A.H. Gentry
कुल : Bignoniaceae (बिग्नोनिएसी)
अंग्रेज़ी नाम : Cross vine (क्रॉस वाईन)
संस्कृत-कुटीर वल्लरी; हिन्दी-लसुन बेल; गुजराती-लसन बेल (Lasan beil); बंगाली-लता पारुल (Lata parul)।
अंग्रेजी-क्वार्टर-वाइन (Quarter-vine), आमेजोनियन गार्लिक बुश (Amazonian garlic bush), गार्लिक वाईन (Garlic vine)।
परिचय
समस्त भारत में प्राय घरों के बाहर या बाग-बगीचों में शृंगारिक पौधे के रूप में इसकी बेलें लगी हुई मिलती है। इसके पुष्प अत्यन्त सुन्दर तथा नीले वर्ण के होते हैं। पौधे के किसी भी भाग को तोड़कर मसलने से लसुन के जैसी गन्ध आती है, इसलिए इसे लसुन बेल कहते है।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
लसुन बेल के पत्र कटु, तीक्ष्ण, पूयरोधी, मृदुविरेचक, मूत्रल, दीपन, क्षुधावर्धक तथा सूक्ष्मजीवाणुरोधी होते हैं।
इसके शुष्क पुष्पों में अल्परक्तवसाकारक प्रभाव दृष्टिगत होता है।
इसके तैल में भी कवकरोधी प्रभाव दृष्टिगत होता है।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग :पत्र तथा पुष्प।
मात्रा :चिकित्सक के परामर्शानुसार।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…