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टाइफाइड के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज : Symptoms, Causes and Home Remedies for Typhoid

टाइफाइड (typhoid) साल्मोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली एक बहुत ही खतरनाक बिमारी है। टाइफाइड पाचन-तंत्र और ब्लडस्ट्रीम में बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से होता है। गंदे पानी, संक्रमित जूस या पेय के साथ साल्मोनेला बैक्टीरिया शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाता है। बैक्टीरिया के शरीर में घुसने के बाद टाइफाइड के लक्षण महसूस होने लगते हैं। रोगी को टाइफाइड में कमजोरी महसूस होने लगती है। क्या आप जानते हैं कि टाइफाइड किस-किस कारण से हो सकता है। टाइफाइड होने पर कौन-कौन से लक्षण महसूस होते हैं, टाइफाइड में क्या परहेज करना जरूरी होता है, और टाइफाइड के उपचार (typhoid ka ilaj) के लिए क्या-क्या करना है।

 

Typhoid Fever

सच यह है कि टाइफाइड का बैक्टीरिया पानी या सूखे मल में हफ्तों तक जिंदा रहता है। इस तरह से दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में पहुँचकर संक्रमण का कारण बनता है। जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति का जूठा खाद्य-पदार्थ खाता या पीता है तो इससे दूसरे व्यक्ति को टाइफाइड रोग होने की संभावना बन जाती है। आइए जानते हैं कि जब आपको टाइफाइड के लक्षण महसूस हों या टाइफाइड में कमजोरी होने लगे तो आपको टाइफाइड के उपचार के लिए क्या घरेलू उपाय (typhoid bukhar ki dawa) करना है। 

 

Contents

टाइफाइड क्या है? (What is Typhoid in Hindi)

आमतौर पर प्रदूषित पानी पीना  व संक्रमित और बासी भोजन का सेवन करना टाइफाइड होने की मुख्य वजह है। वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के प्रकोप से टाइफाइड होता है। टाइफाइड एक संक्रामक रोग है। इसी कारण घर में किसी एक सदस्य को टाइफाइड होने पर घर के अन्य सदस्यों से भी इसके होने से खतरा होता है। मौसम में बदलाव और कुछ गलत आदतों के कारण इस बुखार के वायरस बहुत परेशान करते हैं। टाइफाइड तेज बुखार से जुड़ा रोग है जो सेलमोनेला टाइफाई बैक्टीरिया द्वारा फैलता है। यह बैक्टीरिया खाने या पानी से मनुष्य द्वारा एक जगह से दूसरी जगह अन्य लोगों तक पहुँचाता है।

नहाने से मनुष्य का शरीर दृढ़ और मजबूत हो जाता है। उसे ताजगी की अनुभूति होती है। त्वचा फ्रेश एवं खूबसूरत दिखती है। टाइफाइड में कमजोरी होने पर जब आपको थकान या आलस्य महसूस हो तो भी हिम्मत करके गरम पानी से स्नान करें। यदि रोगी स्वयं उठकर स्नान न कर पाए तो उसके शरीर में स्पौंजिंग करनी चाहिए। नहाने और स्पौंजिंग के लिए हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें। पसीना आने से बुखार कम हो जाता है।

 

टाइफाइड होने के कारण (Typhoid Causes in Hindi)

टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाईफी बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन या पानी के सेवन से होता है, या इस बैक्टीरिया से ग्रस्त व्यक्ति के निकटतम सम्पर्क से टाइफाइड की संभावना किसी संक्रमित व्यक्ति के जूठे खाद्य पदार्थ के खाने-पीने से भी होता है। वहीं दूषित खाद्य पदार्थ से भी ये संक्रमण हो जाता है। पाचन तंत्र में पहुँचकर इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। शरीर के अन्दर यह बैक्टीरिया एक अंग से दूसरे अंग में पहुँचते हैं।

 

टायफाइड के लक्षण (Typhoid Symptoms in Hindi)

टायफायड के ये लक्षण हो सकते हैंः-

  • बुखार टाइफाईड का प्रमुख लक्षण है।
  • -जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता जाता है वैसे-वैसे ही भूख कम हो जाती है।
  • -टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को सिर दर्द होता है।
  • -टाइफाइड के लक्षण के रूप में शरीर में दर्द होता है।
  • -ठण्ड की अनुभूति होना।
  • -सुस्ती एवं आलस्य का अनुभव होना।
  • -टाइफाइड में कमजोरी का अनुभव होना।
  • -टाइफाइड के लक्षण के रूप में दस्त होने लगता है।
  • -आमतौर पर टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को 102-104 डिग्री से ऊपर बुखार रहता है।
  • -बड़े बच्चों में कब्ज तथा बच्चों में दस्त भी हो सकता है।

और पढ़ें : बुखार से आराम पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपचार 

 

Fever

टाइफाइड से बचाव के उपाय (How to prevent Typhoid)

आमतौर पर भोजन और जीवनशैली के असर के कारण भी टाइफाइड होता है। इसके लिए आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव (typhoid remedies) लाने की जरूरत होती है। जैसे-

आहार में बदलाव 

  • -टाइफाइड में प्याज, लहसुन आदि तीव्र गंधि खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
  • -टाइफाइड में सभी मसाले जैसे कि मिर्च, सॉस, सिरका आदि से परहेज करें।
  • -टाइफाइड में गैस बनाने वाले आहार जैसे- अनानास, कटहल आदि से परहेज करें।
  • -टाइफाइड के लक्षण महसूस होने पर उच्च रेशेदार युक्त आहार, सब्जियाँ जिनमें उच्च मात्रा में रेशा, अघुलनशील रेशा हो जैसे-केला, पपीता, शक्करकन्द, साबुत अनाज से परहेज (typhoid remedies)  करें।
  • -टाइफाइड के लक्षण महसूस होने पर मक्खन, घी, पेस्ट्री, तले हुए आहार, मिठाईयाँ से परहेज करें।
  • -टाइफाइड में बाजार की बनी हुई चीजों से परहेज करें।
  • टाइफाइड में भारी भोजन करने से परहेज करें।
  • -टाइफाइड में मांसाहारी भोजन से परहेज करें।
  • -पेट भरकर कुछ भी न खायें।
  • -ऐसा भोजन न करे जो देर से पचता हो।
  • -चाय, कॉफी, दारु-शराब, सिगरेट के सेवन का टाइफाइड में परहेज करें।

 

जीवनशैली में बदलाव : 

  • उचित स्वच्छता बनाये रखें।
  • -अपने हाथों को गर्म साबुन युक्त पानी से धोएं।
  • -साफ उबला पानी पीएं, या केवल बोतल बंद पानी पिएं।
  • -कच्चा आहार न लें।
  • -उचित तरीके से पका भोजन गरमा-गरम ही खा लें।
  • -बाहरी दुकानों से पेय पदार्थ और खाद्य पदार्थ न लें।
  • -संक्रमित व्यक्तियें को घरेलू कार्यों से दूर रखें।
  • -संक्रमण को रोकने के लिए संक्रमित व्यक्ति के व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुओं को स्वच्छ (typhoid remedies) रखें।
  • -पानी को स्वच्छ करना, कूड़े-कचरे का निपटान सही तरीके से करना और प्रदूषण मुक्त भोजन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
  • -संक्रमित व्यक्तियों को अपने बर्तन और भोजन किसी से भी न बांटे।
  • -संक्रमित व्यक्तियों को भोजन भी नहीं पकाना चाहिए।
  • -कच्चे फल और सब्जियाँ खाने से बचें।
  • -ज्यादातर गर्म खाद्य-पदार्थों का सेवन करें।
  • -संग्रहित खाद्य-पदार्थों से बचें।
  • -घर की चीजों को नियमित रूप से साफ करें।
  • -टाइफाइड के लिए दो वैक्सीन उपलब्ध हैं- इंजेक्शन लगवा लें।

 

टाइफाइड के उपचार के लिए घरेलू उपाय (Home Remedies for Typhoid Fever in Hindi)

टाइफाइड से राहत (typhoid ka ilaj) पाने के लिए लोग पहले घरेलू नुस्खे आजमाये जाते हैं। जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन-से घरेलू उपाय हैं जो टाइफाइड के  उपचार में मदद करते हैंः-

 

टाइफाइड के लक्षणों से आराम के लिए फलों के रस का सेवन (Fruit Juice: Home Remedies for Typhoid Fever Treatment in Hindi)

टाइफाइड जैसे रोग अक्सर डिहाइड्रेशन का कारण बनते हैं, इसलिए रोगी को कुछ-कुछ समय बाद तरल पदार्थ जैसे पानी, ताजे फल के रस, हर्बल चाय आदि का सेवन करें। उबला और उचित तरीके से उबला हुआ पानी पीएं। केवल उबला आहार लें और बाहरी खाने से परहेज करें। यह टाइफाइड में कमजोरी की स्थिति में आपकी मदद करता है और बीमारी से राहत (typhoid ka ilaj) दिलाता है।

Fruit Juices

टाइफाइड के लक्षणों से राहत के लिए तुलसी का इस्तेमाल (Tulsi: Home Remedies for Typhoid Fever Treatment in Hindi)

तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफाइड का उपचार होता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

और पढ़ें : तुलसी के फायदे, नुकसान और सेवन का तरीका   

 

टाइफाइड के लक्षणों से राहत के लिए सेब के रस का सेवन (Apple Juice: Home Remedies for Typhoid Fever Treatment in Hindi)

सेब का जूस भी टाइफाइड के उपचार के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। सेब का जूस निकालें। इसमें अदरक का रस मिलाकर पिएं। इस तरह के बुखार में राहत (typhoid bukhar ki dawa) मिलती है।

और पढ़ें : सेब के फायदे और औषधीय गुण 

 

टाइफाइड का इलाज लहसुन से (Garlic: Home Remedies to Get Relief from Typhoid Fever in Hindi)

लहसुन की तासीर गर्म होती है और यह प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। घी में 5 से 7 लहसुन की कलियां पीसकर तलें और सेंधा नमक मिलाकर खाएं।

 

Garlic benefits for Typhoid

और पढ़ें : लहसुन के फायदे, नुकसान और उपयोग विधि 

 

टाइफाइड का इलाज लौंग से (Colve: Home Remedies to Get Relief from Typhoid Fever in Hindi)

आप टाइफाइड के उपचार के लिए लौंग का इस्तेमाल करें। लौंग में टाइफाइड ठीक करने के गुण होते हैं। आठ कप पानी में 5 से 7 लौंग डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए इसे छान लें। इस पानी को पूरा दिन पिएं। इस उपचार को एक हफ्ते लगातार करें। इससे टाइफाडइ में हुई कमजोरी दूर होती है।

और पढ़ें : कई बीमारियों में फायदेमंद हैं लौंग 

टाइफाइड का इलाज ठंडे पानी की पट्टी से (Cold Compress: Home Remedy to Get Relief from Typhoid Fever in Hindi)

टाइफाइड में पीड़ित को हाई फीवर रहता है, यह कई दिनों तक बना रहता है, ऐसे में यह जरूरी है कि हम रोगी के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखें, इसलिए ठण्डे पानी की मदद ले सकते हैं। रोगी के माथे, पैर और हाथों पर ठण्डे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए। इससे मदद (typhoid ka ilaj) मिलती है।

 

टाइफाइड के उपचार के लिए शहद का सेवन (Honey: Home Remedy to Treat Typhoid Fever in Hindi)

गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना टाइफाइड में अत्यन्त हितकारी होता है। यह टाइफाइड के उपचार के लिए उपयोग में लाया जाने वाला बहुत फायदेमंद उपाय है।

 

honey benefits

और पढ़ें : शहद के फायदे और सेवन का तरीका 

 

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to Contact a Doctor?)

टाइफाइड एक संक्रामक रोग है। यदि आपको तेज बुखार पेट में दर्द, कमजोरी और टाइफाइड के लक्षण (typhoid bukhar ke lakshan) महसूस हो तो जल्द से जल्द डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। डॉक्टर के पास जाने में विलम्ब न करें अन्यथा यह एक गम्भीर रोग में परिवर्तित हो सकता है। देरी के कारण आंतों में सूजन की समस्या हो सकती है। समय पर चिकित्सा न करने पर गंभीर नुकसान भी हो सकता है। डॉक्टर ने आपको जितने समय तक दवा के उपयोग की सलाह दी है। आपको उसका पालन करना है।

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