Contents
क्या आफ जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एक फूल भी है? यह फूल है गुलदाउदी (chrysanthemum in hindi) का। पिछले वर्ष इस्रायल सरकार ने गुलदाउदी फूल को नरेंद्र मोदी के सम्मान में मोदी फूल नाम दिया है। गुलदाउदी के फूल अनेक रंगों के और बहुत ही मनमोहक होते हैं। गुलदाउदी का पौधा (Guldaudi Plant) लोग अक्सर अपने बागीचों में या गमलों में इसे लगाते हैं। सच बात तो यह है कि गुलदाउदी केवल शोभा बढ़ाने वाला फूल नहीं हैं बल्कि गुलदाउदी का इस्तेमाल औषधीय कार्यों के लिए भी किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गुलदाउदी का उपयोग कर आप अपने या किसी के भी स्वास्थ्य भी ठीक रख सकते हैं।
गुलदाऊदी (chrysanthemum in hindi) काफी पौष्टिक और हृदय के लिए लाभकारी होती है। यह वीर्यवर्धक, शरीर की चमक बढ़ाने वाली, वात तथा पित्त को शान्त करने वाली तथा जलन को समाप्त करने वाली होती है। इसकी जड़ को चबाने से अकरकरा की जड़ के समान मुंह में चरमराहट उत्पन्न होती है। इसके फूल भोजन को पचाने वाले, हृदय को स्वस्थ रखने वाले तथा रक्त का प्रवाह ठीक करने वाले होते हैं।
सर्दियों की रानी के नाम से प्रसिद्ध गुलदाउदी (Chrysanthemum) एक सजावटी फूलों का पौधा है। इसकी लगभग 30 प्रजातियों पाई जाती हैं। गुलदाऊदी के फूल (Guldaudi Flower) सफेद, नारंगी, पीले, गुलाबी, बैंगनी अनेक रंगों के होते हैं। गुलदाऊदी की पत्तियां भी आकार में अलग-अलग होती हैं। यह सीधा, कम पत्तों वाला, कुछ ही वर्ष तक जीवित रहने वाला पौधा होता है।
गुलदाउदी (chrysanthemum in hindi) के पत्ते पतले, कपास अथवा करेले के पत्तों जैसे कटे हुए तथा अलग-अलग आकार के होते हैं। गुलदाउदी के फूल छोटे और बड़े दो प्रकार के होते हैं। छोटे तथा सफेद अथवा पीले रंग के फूल वाली गुलदाउदी औषधि के लिए अधिक गुणकारी है। इस पर फूल और फल लगने का समय सितम्बर से फरवरी तक होता है।
गुलदाउदी का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम क्राईसेन्थिमम् इंडिकम् (Chrysanthemum indicum Linn.), Syn-Pyrethrum indicum DC. है। क्राईसेन्थिमम् का अर्थ होता है स्वर्ण फूल यानी सोने का फूल और इंडिकम् यानी भारत का। यह ऐस्टरेसी (Asteraceae) कुल का पौधा है। इसका अंग्रेजी नाम इण्डियन क्राइसेन्थिमम् (Indian chrysanthemum) है। अन्य भारतीय भाषाओं में इसके नाम निम्नानुसार हैं।
Guldaudi in –
गुलदाउदी के पौधे (guldaudi plant) घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखते हैं, जिससे घर के सदस्यों का सामान्य स्वास्थ्य ठीक रहता है। गुलदाउदी के फूलों के अलावा पत्तियां और जड़ भी बहुत फायदेमंद होती हैं। बड़े फूलों की बजाय गुलदाउदी के छोटे फूल (guldaudi flower) अधिक फायदेमंद होते हैं।
इसके फूलों और पत्तियों को सुखाकर रख लें और जरूरत पड़ने पर इन्हें पानी में उबालकर चाय के समान पिएं। यह प्रयोग अनेक प्रकार के रोगों में लाभ देता है। यहाँ गुलदाउदी के कुछ ऐसे प्रयोग बताए जा रहे हैं जिनसे आप कई गंभीर बीमारियों को ठीक कर सकते हैं।
आधासीसी का दर्द यानी माइग्रेन सिर दर्द का एक प्रकार है, जो सिर के केवल आधे हिस्से में होता है, इसलिए इसे आधासीसी का दर्द और आयुर्वेद में अर्धावभेदक भी कहते हैं। इसमें सिर के किसी एक हिस्से में बहुत ही तेज और असहनीय दर्द होता है। इसकी वजह से लकवा और ब्रेन हैमरेज होने की भी संभावना रहती है। गुलदाऊदी के पत्तों को पीसकर मस्तक पर लगाने से आधासीसी के दर्द से आप छुटकारा पा सकते हैं।
और पढ़ें – माइग्रेन के दर्द में अपराजिता के फायदे
गुलदाऊदी के फूलों (Guldaudi Flower) को पीसकर आँख के बाहर चारों तरफ लगाएं। इससे आँखों की जलन, दर्द और खुजली आदि आँख की समस्याएं ठीक होती हैं।
इसके फूलों का हल्का काढ़ा बनाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आँख के रोग ठीक होते हैं।
पेट में गैस बनना और उसके कारण दर्द की परेशानी आज लगभग सभी की समस्या बन गई है। गुलदाऊदी के फूलों (guldaudi flower) का काढ़ा बनाकर 20 मि.ली. मात्रा में सुबह और शाम पीने से गैस के कारण होने वाले पेट के दर्द में लाभ होता है।
और पढ़ें : गैस दूर करने के घरेलू उपाय
बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि कहा भी न जाए, दर्द सहा भी न जाए। गुलदाउदी (guldaudi plant) के प्रयोग से आप बवासीर के दर्द में आराम पा सकते हैं। गुलदाउदी के पत्तों के 10-20 मि.ली. काढ़े में 20 ग्राम चीनी मिलाकर पीने से बवासीर में लाभ होता है।
और पढ़ें – बवासीर के दर्द में सुगन्धबाला के फायदे
गुलदाऊदी के 8-10 पत्तों को 2 नग काली मिर्च के साथ पीस लें। इसे दिन में दो-तीन बार पिलाने से पेशाब खुल कर आने लगता है और पेशाब की जलन आदि समस्याओं में लाभ होता है।
गुलदाउदी के सूखे फूलों को पीस लें। इसे रोग की गंभीरता के अनुसार 1-6 ग्राम की मात्रा में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर खाएं। इससे गुर्दे की पथरी टूटकर पेशाब के रास्ते से निकल जाती है।
गुलदाऊदी के 30 ग्राम फूलों (guldaudi flower) को 400 मि.ली. पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई बचे तो इसका काढ़ा बना लें। इसे सुबह और शाम पीने से पथरी चूर-चूर होकर निकल जाती है।
और पढ़े: पथरी में कृष्णसारिवा के फायदे
गुलदाउदी के 10-20 ग्राम फूलों को 240 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई शेष बचे तो काढ़ा बनाकर रोजाना सुबह और शाम पीने से मासिक धर्म की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
और पढ़ें – मासिक धर्म विकार में राई के फायदे
गुलदाऊदी (guldaudi plant) की जड़ को पीसकर उसमें काली मिर्च मिला लें। इसे पिलाने से उपदंश यानी सिफलिस रोग की शुरुआती अवस्था में लाभ होता है।
गुलदाउदी की जड़ को पीसकर उसकी पुल्टिस (गिली पट्टी) बनाकर बांधने से उपदंश की कच्ची गांठे बिखर जाती हैं और पकने वाली गांठें जल्दी पक जाती हैं।
और पढ़े – उपदंश में शालाकी के फायदे
गुलदाऊदी फूल के रस को लगाने से रोमकूप (बालों की जड़) की सूजन ठीक होती है।
10 ग्राम गुलदाऊदी के फूल, तीन ग्राम सोंठ और एक ग्राम सफेद जीरा लें। तीनों को पीसकर लेप करने से कफ की वजह से होने वाली सूजन ठीक होती है।
गुलदाउदी के प्रयोग से यौन शक्ति भी बढ़ती है। गुलदाउदी के हरे पत्तों को पीसकर अण्डकोश और गुदा के मध्य लगाने से कामेन्द्रिय की शक्ति बढ़ती है।
गुलदाउदी की जड़, कुलांजन और सोंठ को बराबर मात्रा में लें। इनकी 10 ग्राम मात्रा को 100 मि.ली. पानी में उबालकर चाय की तरह बना लें। इसे पीने से दर्द, स्त्रियों का दौरा, सिर का दर्द तथा नींद ना आने की परेशानी आदि रोग ठीक होते हैं।
काढ़ा – 10-20 मि.ली.
अर्क – 4-6 बूंद
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
पत्ते,
जड़
फूल
गुलदाऊदी के प्रयोग अधिक मात्रा में करने से दस्त जैसी समस्या हो सकती है।
गुलदाउदी (Guldaudi Plant) की खेती हजारों वर्ष पूर्व एशिया के भारत तथा चीन वाले भू-भाग से होते हुए इंग्लैंड, जापान, अमेरिका एवं विश्व के अन्य भागों में पहुंच गई है। इसकी खेती बहुत ही सहज एवं सरल है। इसे अच्छी धूप की आवश्यकता होती है और इसे तेज आंधी, गर्मी एवं बर्फवारी से बचाना चाहिए। जापान में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है एवं इसे वहां के राष्ट्रीय पुष्प का दर्जा प्राप्त है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…