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Granthiparni: बहुत गुणकारी है ग्रन्थिपर्णी- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

ग्रंथिपर्णी का परिचय (Introduction of Granthiparni)

Granthiparni

शायद बहुत लोग ग्रंथिपर्णी नाम से अनजान होंगे क्योंकि सामान्य तौर पर इसका इस्तेमाल कम किया जाता है। हिन्दी में इसको गठिवन कहते हैं। नाम कितनी भी अजीब हो लेकिन आयुर्वेद में औषधी के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। ग्रंथिपर्णी झाड़ीनूमा होता है। इसके जड़, फूल और पत्तों का इस्तेमाल औषधी के रूप में किया जाता है। औषधी के रूप में ग्रंथिपर्णी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है, इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे जानते हैं। 

 

ग्रंथिपर्णी क्या है? (What is Granthiparni in Hindi?)

यह अनेक शाखा-प्रशाखायुक्त, कठोर, तंतु सदृश, आरोही, 1-5 मी ऊँचा झाड़ी होता है। इसका तना  2-6 मिमी लम्बे कांटो से भरा, शाखाएं गोलाकार, भूरे रंग की होती हैं। इसके पत्ते 2.5-7.5 सेमी लम्बे, 1.8-5.0 सेमी चौड़े, ऊपर की तरफ लम्बे, नुकीले होते हैं। इसके फूल व्यास में 5.1 सेमी, पुष्पगुच्छों में लगे होते हैं; वाह्यदल-9 मिमी लम्बे; दल-गुलाबी सफेद, गुलाबी या रक्त-बैंगनी रंग के होते हैं। पुंकेसर अनेक तथा लम्बे होते हैं। इसके फल मृदु, व्यास में 3-5 सेमी, अतिसख्त वृन्त से युक्त, पके अवस्था में 4-कोणीय चमकीले धब्बेदार या बैंगनी रंग के होते हैं। इसके बीज संख्या में 5-7, वृत्ताकार, सफेद रंग के गूदे में धंसे हुए होते हैं। इसका पुष्पकाल जनवरी से अप्रैल तक तथा फलकाल जून से जुलाई तक होता है।

 

अन्य भाषाओं में ग्रंथिपर्णी के नाम (Names of Granthiparni in Different Languages)

ग्रंथिपर्णी का वानास्पतिक नाम Capparis zeylanica Linn. (कैपेरिस जेलनिका) Syn-Capparis acuminata Roxbहोता है। इसका कुल  Capparidaceae (कैपेरिडेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Ceylon caper (सीलोन कैपर) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि ग्रंथिपर्णी और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-गृध्रनखी, व्याघनखी, तपसप्रिय, करम्भा, व्याघघण्टी; 

Hindi-अरदन्दा, जख्मबेल, हिंस, झिरिस, करवा; 

Odia-गोविन्दी (Govindi); 

Konkani-गोविन्द फल (Govindphal); 

Kannada-मुल्लुकट्टारी (Mullukattari), टोट्टे (Totte), टोट्टूल्ला (Tottulla); 

Gujarati-गोविन्दफल (Govindphal); 

Tamil-अडोन्डाई (Adondai), कगुतुरट्टी (Kaguturatti), कट्टोट्टी (Kattotti), मिगुपेलेट्टम (Migupalattam); 

Telugu-अडोन्डा (Adonda), अरीडोन्डा (Aridonda), चिट्टीगरा (Chittigara), डोड्डी (Doddi), पलकी (Palaki); 

Bengali-असारी लता (Asarilata); कलोकेरा (Kalokera); 

Nepali-गोविन्द फल (Govind phal), बन केरा (Ban kera); 

Punjabi-करवीला (Karvila), हीस (His); 

Malayalam-करथोट्टी (Karthotti); 

Marathi-गोविन्दी (Govindi)।

English-इण्डियन केपर (Indian caper), केपर बेरी (Caper berry)।

ग्रंथिपर्णी का औषधीय गुण (Medicinal Properties of   Granthiparni in Hindi)

ग्रंथिपर्णी का इलाज किन-किन बीमारियों के लिए किया जाता है, इसके बारे में जानने के लिए औषधीपरक गुणों के बारे में जानना ज़रूरी होता है। यह प्रकृति से पित्तकारक, गर्म, रुचिकारक, विष तथा कफ को दूर करने वाला होता है।

इसके फल कड़वे, गर्म तथा तीनों दोषो को हरने वाले होते हैं।

इसकी त्वचा की छाल भूख को बढ़ाने वाली, आमाशयिक-स्राववर्धक (Gastric juice secretion enhancer) तथा दर्दनिवारक गुणों वाली होती है।

इसका पञ्चाङ्ग शामक यानि आराम देनेवाले तथा मूत्र को बढ़ाने में मददगार होते हैं।

गृधनखी शूल, विसूचिका या पेचिश(dysentery), शोथ या सूजन, रक्तपित्त या नाक-कान से खून बहने की बीमारी,  प्रमेह या डायबिटीज, आमवात या गठिया, व्रण या अल्सर, उदरशूल या पेट में दर्द, स्नायुशूल या नर्व में दर्द, लंग्स में सूजन, स्तन में दर्द तथा सूजन को कम करने में मदद करता है।

और पढ़े- कुलत्थ मूत्र संबंधी रोगों में फायदेमंद

ग्रंथिपर्णी के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Granthiparni in Hindi) 

ग्रंथिपर्णी में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

पेट दर्द को कम करने में असरदार ग्रंथिपर्णी (Granthiparni Beneficial to Treat Stomach Ache in Hindi)

stomach ache

अगर खान-पान में गड़बड़ी के वजह से पेट में दर्द हो रहा है तो  इसके तने की छाल को पीसकर पेट में लेप करने से पेट दर्द में आराम मिलता है।

भूख बढ़ाने में फायदेमंद ग्रंथिपर्णी (Benefit of Granthiparni to Boost Apetite in Hindi)

अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण भूख कम लगती है तो 1 ग्राम पत्ते को काली मिर्च, इमली तथा लहसुन के साथ पीसकर सेवन करने से भूख बढ़ती है।

बवासीर के दर्द से दिलाये आराम ग्रंथिपर्णी (Granthiparni Beneficial to Get Relief from Piles in Hindi)

मल त्याग करते हुए बवासीर के कारण बने मस्सों से जब रक्त बहता है और दर्द होता है तब इसके पत्तों को पीसकर अर्श के मस्सों पर लगाने से दर्द से आराम मिलता है।

पांडुरोग या एनीमिया में फायदेमंद ग्रंथिपर्णी (Benefit of Granthiparni in Anemia in Hindi)

नीमत्वक्, इंद्रवारुणी मूल, बबूल की फली, गृध्रनखी तथा रक्त कचनार त्वक् को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं। 15-30 मिली काढ़े में गुड़ मिलाकर सेवन करने से पाण्डु तथा विबंध (कब्ज) में लाभ होता है।

योनिशूल के इलाज में फायदेमंद ग्रंथिपर्णी (Granthiparni Beneficial to Get Relief from Vaginal Pain in Hindi)

vaginal pain

तगर, व्याघनखी, सेंधा-नमक तथा देवदारु को समान मात्रा में लेकर उसमें तेल सिद्ध करके छानकर रख लें।  गुनगुन तेल में रूई को भिगोकर योनि में रखने से योनि के दर्द से जल्दी राहत मिलने में मदद मिलती है। 

फिरङ्ग या सिफिलिस के इलाज में लाभकारी ग्रंथिपर्णी (Benefit of Granthiparni in Syphilis in Hindi)

सिफिलिस यौनसंचारित रोग होता है। पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से फिरङ्ग में लाभ होता है।

वृषण शोथ से राहत दिलाने में फायदेमंद ग्रंथिपर्णी (Benefit of Granthiparni to Get Relief from Hydrocele Inflammation in Hindi)

ग्रंथिपर्णी जड़ की छाल को पीसकर लेप करने से से वृषण के सूजन, पिड़का या ग्रन्थि के सूजन को कम करने में सहायता करती है।

श्लीपद या फाइलेरिया के इलाज में फायदेमंद ग्रंथिपर्णी (Granthiparni Beneficial to Treat Filaria in Hindi)

फाइलेरिया के सूजन के साथ लिम्फ नॉड पर भी असर पड़ता है। शरीर की इस परेशानी से राहत पाने के लिए जड़ तथा पत्ते को पीसकर लगाने से श्लीपद में लगाने से लाभ होता है।

फूंसी के इलाज में लाभकारी ग्रंथिपर्णी (Benefit of Granthiparni to Get Relief from Boil Inflammation in Hindi)

जड़ की छाल को पीसकर लेप करने से पिडकाओं या फूंसियों से आराम मिलता है। 

सूजन या जलशोफ को कम करने में सहायक ग्रंथिपर्णी (Benefit of Granthiparni to Get Relief from Inflammation in Hindi)

अगर किसी स्थान का सूजन कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो ग्रंथिपर्णी के जड़ तथा पत्ते को पीसकर सूजन वाले स्थान में लगाने से सूजन कम होता है। इसके अलावा जड़ को पीसकर उसमें कासमर्द तथा मौलसिरी मिलाकर जलशोफ रोगी के शरीर पर रगड़ने से जलशोफ में लाभ मिलता है।

बुखार के कष्ट को कम करने में फायदेमंद ग्रंथिपर्णी  (Granthiparni Beneficial to Treat Fever in Hindi)

Home remedies for Viral Fever

ग्रंथिपर्णी के जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से बुखार से राहत मिलती है।

 

ग्रंथिपर्णी का उपयोगी भाग (Useful Parts of Granthiparni)

आयुर्वेद के अनुसार ग्रंथिपर्णी का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-जड़

-छाल

-पत्ता

-कंटक और

-कच्चे फल।

 

ग्रंथिपर्णी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Granthiparni in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए ग्रंथिपर्णी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 15-30 मिली काढ़ा का सेवन कर सकते हैं।

 

ग्रंथिपर्णी कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Granthiparni Found or Grown in Hindi)

यह भारत में सर्वत्र मुख्यत सूखे वनों के क्षुपीय तथा झाड़ीदार स्थानों पर पाया जाता है। इसकी कई प्रजातियां होती हैं जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।