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थैलेसेमिया या एप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों के लिए डाइट प्लान : Diet Plan for Thalassemia / Aplastic Anemia

थैलेसीमिया रक्त से जुड़ा एक रोग है जिसमें हीमोग्लोबिन के बनने की प्रक्रिया बिगड़ जाती है। इस रोग के कारण लाल रक्त कणों की उम्र घटने लगती है। यह एक आनुवांशिक रोग है और इस बीमारी के होने के बाद एनीमिया होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। थैलेसीमिया के मरीजों को अपने खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए और ऐसी चीजें खानी चाहिए जो लाल रक्त कोशिकाओं (रेड ब्लड सेल्स) को बढ़ाने में मदद करती हों। आइये जानते हैं थैलेसीमिया/ एप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों को अपने खानपान में क्या बदलाव लाने चाहिए।

थैलेसीमिया / एप्लास्टिक एनीमिया के मरीज क्या खाएं :

  • अनाज: पुराने शाली चावल, जौ, गेहूं, मकई, चना
  • दाले: मूंग, मसूर, सोयाबीन, चना
  • फल: अमरुद, कीवी, स्ट्रॉबरी, अंगूर, पपीता, सेब, अनार, केला, नाशपाती, अनानास, चकोतरा, सूखी खुबानी, सूखा नारियल, आदि
  • सब्जियां: करेला, लौकी, तोरी, परवल पालक, कद्दू, चकुंदर और मौसमी सब्जियाँ टमाटर, बीन्स, मटर, गाजर, ब्रोकॉली, पत्तागोभी आदि
  • अन्य: हल्का, तरल भोज्य पदार्थ, थोड़ा-थोड़ा पानी पियें, बादाम, तुलसी, पुदीना, तेज पत्ता

और पढ़ें: नाशपाती के फायदे

लाल रक्त कोशिकाएं (RBC) बढ़ाने के लिए विटामिन युक्त भोजन

  • फोलिक एसिड शरीर मे नए सेल्स बनाने के लिए आवश्यक है फोलिक एसिड के लिए बीन्स, मटर, ब्रसेल्स, केला, मकई, चुकंदर, अनानास, नाशपती, पालक, चना, भूरे  चावल आदि खाएं।

और पढ़ें: अनानास के फायदे

  • विटामिन B12 आवश्कयता शरीर मे नए ब्लड सेल्स मे बनाने के लिए होती है इसके लिए लम्बे समय तक दूध व पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
  • विटामिन C आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है। यह विशेष रूप से नॉन-हेमी आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है, खट्टे फलों मे अधिक मात्रा पाया  जाता है जैसे- कीवी, स्ट्रॉबेरी, हरी सरसों आदि। विटामिन C की अधिक मात्रा शरीर से फोलिक एसिड का उत्सर्जन कर सकती है।

थैलेसीमिया/एप्लास्टिक एनीमिया के मरीज क्या ना खाएं

  • अनाज: नया चावल, मैदा
  • दाले: मटर, उड़द, चना
  • सब्जियां: आलू, भिंडी, बैंगन
  • अन्य: तैलीय भोज्य पदार्थ, कढ़ी, लसहुन, अदरक, मांसहार, अचार, घृत, अत्यधिक नमक, कोल्डड्रिंक्स, बेकरी प्रोडक्ट्स, मदिरा, फास्टफूड, जंक फ़ूड, देर से पचने वाले भोज्य पदार्थ, डिब्बाबंद भोजन, कच्चा दूध

थैलेसीमिया के इलाज के दौरान अपनाएं ये डाइट प्लान

सुबह उठकर बिना ब्रश किये ही खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पिएं और नाश्ते से पहले पतंजलि आवंला व एलोवेरा स्वरस पियें।

डाइट चार्ट

समय

आहार योजना ( शाकाहार )

नाश्ता (08:30AM)

1कप दूध वाली पतंजलि दिव्य पेय + 2 चपाती (मिश्रित अनाज आटा, पतंजलि) + हरी पत्तेदार सब्जियां (नारियल तेल से बनी हुई) /फ़लों का सलाद (कीवी, स्ट्रॉबरी, अनार, एवोकाडो, अंगूर, पपीता, नाशपाती, अनानास, अमरुद, संतरा)

दिन का भोजन

(12:30-01:30 PM)

चावल -1 छोटी कटोरी +2-रोटी/चपाती (मिश्रित अनाज आटा, पतंजलि)  + 1 कटोरी दाल + 1/2 कटोरी हरी पत्तेदार सब्जी +1 कटोरी सलाद (खीरा, चकुंदर, गाजर, टमाटर, नीम्बू, धनिया ) + आलू / शकरकंद ।

सांयकालीन (04:30 -05:00 pm )

1 कप पतंजलि दिव्य पेय + पतंजलि आरोग्य बिस्कुट /सब्जियों का सूप / सलाद/ 2-3 पतंजलिआरोग्य बिस्कुट/

रात्रि का भोजन(7:00-8:00 Pm)

2-चपाती (मिश्रित अनाज आटा, पतंजलि) + 1 कटोरी दाल + 11/2 कटोरी हरी ( पत्तेदार सब्जी )

थैलेसीमिया के इलाज के दौरान अपनाएं ये जीवनशैली

  • गर्मी से बचें।
  • किचन मे स्वच्छता रखें।
  • कच्ची व अधपकी सब्जियों का सेवन ना करें।

ध्यान रखने वाली बातें

  • ताजा एवं हल्का गर्म भोजन करें।
  • भोजन धीरे धीरे शांत स्थान मे शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करें।
  • तीन से चार बार भोजन अवश्य करें।
  • किसी भी समय का भोजन छोड़ें नहीं और अत्यधिक भोजन से परहेज करें।
  • हफ्ते मे एक बार व्रत करें।
  • अमाशय का एक तिहाई या एक चौथाई भाग खाली छोड़े अर्थात भूख से थोड़ा कम भोजन करें।
  • भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खाएं।
  • भोजन करने के बाद 3-5 मिनट टहलें।
  • सूर्यादय से पहलें उठें (5:30 – 6:30 am)
  • प्रतिदिन दो बार ब्रश करें और नियमित रूप से जीभ की सफाई करें।
  • भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें और रात में सही समय पर नींद लें (9- 10 PM)।

योग और आसन से करें थैलेसीमिया / एप्लास्टिक एनीमिया का इलाज

  • योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप
  • आसन: सूक्ष्म व्यायाम, उत्तानपादासन, भुजंगासन, मर्कटासन

और पढ़े

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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