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Aartgal: आर्तगल के हैं बहुत अनोखे फायदे – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

आर्तगल का परिचय (Introduction of Aartgal)

आर्तगल नाम शायद ही किसी ने सुना होगा। इसको हिन्दी में वनोकरा कहते हैं। आयुर्वेद में वनोकरा का प्रयोग मूल रूप से त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा भी यह कई और बीमारियों में फायदेमंद होता है। चलिये इस विरल पौधे के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

Aartgal

आर्तगल क्या है? (What is Aartgal in Hindi?)

 आर्तगल उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों तथा हिमालय क्षेत्रों में 1500 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है। इसका प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों, सिरदर्द, बुखार, सर्दी-खांसी, अल्सर जैसे अनेक बीमारियों में औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

 

अन्य भाषाओं में आर्तगल के नाम (Names of Aartgal in Different Languages)

आर्तगल का वानास्पतिक नाम Xanthium strumarium L. (जैन्थियम स्ट्रूमेरियम) Syn-Xanthium abyssinicum Wall., Xanthium americanum Walter होता है। इसका कुल  Asteraceae (ऐस्टरेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Cocklebur (कॉकलबर) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि आर्तगल और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-आर्तगल नीलाम्लान, नीलपुष्पा; 

Hindi-वनोकरा (Banokra); 

Assamese-अगारा (Agara); 

Kannada-मारूलुम्माथी (Marulummathi);  

Gujrati-गड़ेरियुन (Gadariyun); 

Tamil-मरूल्लुमुथम (Marulumutham); 

Telegu-मारुल मथान्गी (Marul mathangi); 

Bengali-बनोकरा (Banokra), छोटाधतूरा (Chotadhatura); 

Punjabi-चीरू (Chirru); 

Marathi-शंकेश्वर (Sankeshvara)।

English-क्लॉटबर (Clotbur), ब्रॉड कॉकलेबर (Broad cocklebur), लार्ज कॉक्लेबर (Large cocklebur), बर वीड (Burweed); 

Arbi-शाबका (Shabka)।

आर्तगल का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Aartgal in Hindi)

आर्तगल का पञ्चाङ्ग कड़वा, शरीर को शुद्ध करने वाला, अवसाद को कम करने वाला, तीखा, कफ और वात को कम करने वाला होता है। यह कुष्ठ, दर्द, खुजली, व्रण या घाव, शोफ (Dropsy) तथा त्वचा संबंधी बीमारियों  में लाभप्रद होता है। इसका प्रयोग कफ संबंधी रोगों, बुखार, मोटापा, सिरदर्द, गुल्म (Tumor) तथा भीतरी विद्रधि (abscess)की चिकित्सा में किया जाता है। आर्तगल के फूल शीत प्रकृति के होते हैं। आर्तगल के पत्ते स्तम्भक, मूत्रल तथा फिरङ्गरोधी (सिफिलिस को रोकने वाला) होते हैं। आर्तगल की जड़ कड़वी , कमजोरी दूर करने वाली , घाव, रोमकूप में सूजन तथा विद्रधि (abscess) को ठीक करने वाली होती है।

आर्तगल  के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Aartgal in Hindi) 

आर्तगल में पौष्टिकारक गुण होते हैं, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

हर्पिज़ या विसर्प के इलाज में फायदेमंद आर्तगल (Benefit of Aartgal in Herpes in Hindi)

Herpes disease

अगर हर्पिज़ के दर्द और जलन से परेशान हैं तो आर्तगल को पत्ते और जड़ को पीसकर उसका लेप घाव पर लगाने से जल्दी आराम मिलता है।

फोड़े-फूंसी और घाव से आराम दिलाने में फायदेमंद आर्तगल (Aartgal Beneficial in Boil in Hindi)

अक्सर फोड़े-फूंसी किसी बीमारी के वजह से सूखने का नाम नहीं लेते हैं तब आर्तगल का इलाज फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके जड़ और पत्ते का लेप घाव पर लगाने से जल्दी सूखने लगता है।

और पढ़े- फोड़ा-फूंसी दूर करने में कुटज फायदेमंद 

फिरङ्ग या आतशक रोग में फायदेमंद आर्तगल (Aartgal Beneficial to Syphilis in Hindi)

आर्तगल रोग के फल और फूल को पीसकर उसका शरबत बनाकर पिलाने से सिफिलिस रोग में फायदा मिलता है। 

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चेहरे की झांइयों और रोमकूप के सूजन को कम करने में फायदेमंद आर्तगल (Benefit of Aartgal to Get Rid from Pigmentation and Pore swelling in Hindi)

Pigmentation on face

आर्तगल के कोमल फल तथा पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झांईयां दूर होती हैं तथा रोमकूप के सूजन पर लगाने से रोमकूप का सूजन धीरे-धीरे कम होने लगता है। 

मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभकारी आर्तगल (Aartgal Beneficial to Treat Urine Related Issues in Hindi)

आर्तगल पञ्चाङ्ग (10-20 मिली) के सेवन से अनेक मूत्रदाह, मूत्रकृच्छ्र तथा मूत्राश्मरी आदि मूत्र संबंधित बीमारियों तथा श्वेत प्रदर (सफेद पानी) में लाभ प्राप्त होता है।

पेट के कृमियों के इलाज में लाभकारी आर्तगल (Benfit of Aartgal in Stomach Worm in Hindi)

अगर बच्चा कृमि के कारण परेशान है तो आर्तगल के 1 चम्मच ताजे पत्र-स्वरस को पानी में मिलाकर पिलाने से उदरकृमियां दूर होती हैं।

बुखार को रोकने में लाभकारी आर्तगल (Aartgal Beneficial to Treat Fever in Hindi)

 fever

10-20 मिली आर्तगल पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर इसका सेवन करने से जीर्ण विषमज्वर में लाभ होता है।

आर्तगल का उपयोगी भाग (Useful Parts of Aartgal)

आयुर्वेद के अनुसार आर्तगल  का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-पत्ता

– पञ्चाङ्ग

-जड़

-बीज

-फल।

 

आर्तगल  का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Aartgal in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए आर्तगल का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 10-12 मिली काढ़े का सेवन कर सकते हैं। 

 

आर्तगल कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Aartgal Found or Grown in Hindi)

मूलत यूरेशिया एवं उत्तरी अमेरिका में इसका पौधा प्राप्त होता है। भारत के समस्त उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में सड़कों तथा खेतों के किनारे तथा हिमालय क्षेत्रों में 1500 मी की ऊँचाई पर प्राप्त होता है।

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