वन बला (वन्यबला) एक झाड़ीनुमा पौधा है जो सड़कों के किनारे अपने आप उग जाता है। इसके तने से रेशे बनाये जाते हैं इसलिए कई जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है। आयुर्वेद के अनुसार यह पौधा बुखार से बचाव और संक्रमण को फैलने से रोकने में काफी उपयोगी है। इस लेख में हम आपको वनबला के फायदे, नुकसान और औषधीय गुणों के बारे में बता रहे हैं।
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वन्य बला 2.4 मी ऊँचा, सीधा, रोमयुक्त शाकीय पौधा है। इसकी पत्तियां 3-9 सिराओं युक्त गोलाकार या अण्डाकार होती हैं। इस पौधे को कई जगहों पर बचाईता नाम से भी जाना जाता है। इसकी जड़े और पत्तियां सेहत के लिए बहुत उपयोगी और कई बीमारियों के इलाज में सहायक हैं।
इस पौधे का वानस्पतिक नाम Urena lobata Linn। (यूरेना लोबाटा) Syn।Urena americana Linn। f है और यह Malvaceae (मालवेसी) कुल का पौधा है। आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में वन्यबला को किन नामों से जाना जाता है।
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आयुर्वेद के अनुसार मुंह और पेट के रोगों को दूर करने में वन्यबला बहुत उपयोगी है। आइये जानते हैं कि और किन बीमारियों के घरेलू इलाज के रूप में आप वन्यबला का उपयोग कर सकते हैं।
अधिक तेल मसाले वाली चीजों का सेवन करना मुंह में छाले होने की एक मुख्य वजह है। वन्यबला के उपयोग से आप मुंह के छालों से आराम पा सकते हैं। इसके लिए वन्यबला की पत्तियों को चबाकर थोड़ी थोड़ी देर में थूकते रहें।
अगर आप गले की जलन से परेशान हैं तो इसे अनदेखा ना करें बल्कि घरेलू उपायों की मदद से इसका इलाज करें। वन्यजल के फूलों का काढ़ा बनाकर उससे गरारे करें। ये गरारे करने से गले की जलन दूर होती है।
इसी तरह वन बला के फूल, पत्तियां साथ में जामुन की पत्तियां और अदरक मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में थोड़ा सा नमक मिलाकर गरारा करने से गले की जलन में आराम मिलता है।
पेट से जुड़े रोगों जैसे कि अपच, कब्ज, पेट फूलना या पेट में दर्द आदि के इलाज में वन बला का उपयोग करना फायदेमंद है। आइये जानते हैं अलग-अलग बीमारियों में कैसे करें वन बला का उपयोग :
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धातु रोग और असामान्य रक्तस्राव की रोकथाम में फायदेमंद है वनबला :
असामान्य ब्लीडिंग और अनियमित माहवारी से परेशान महिलाओं के लिए वनबला काफी उपयोगी है। इसके लिए वन्य बला की पत्तियां, फूल, फल और तने की छाल को मिलाकर कूट लें। इसमें पानी और मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर पिएं। यह शरबत डायबिटीज, धातु रोग, असामान्य रक्तस्राव जैसे रोगों में काफी फायदा पहुंचाता है।
पैरों में मोच आ जाने पर बहुत तेज दर्द होने लगता है। इस दर्द से आराम पाने के लिए वन्य बला की पत्तियों को पीसकर लगाएं या फिर इसकी पत्तियों को गरम करके तेल लगाकर मोच वाली जगह पर बाँध दें। ऐसा करने से मोच की समस्या जल्दी ठीक होती है।
बढ़ती उम्र में जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। अगर आप भी इससे परेशान हैं तो वन्यबला का उपयोग करें। विशेषज्ञों के अनुसार वन्य बला की जड़ को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।
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त्वचा में कहीं भी घाव होने पर उसे सामान्य समस्या समझकर अनदेखा ना करें। कई बार ये घाव आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाते हैं। इन घावों को आप आयुर्वेद में बताए गए कई घरेलू उपचारों की मदद से ठीक कर सकते हैं।
वन्य बला की पत्तियों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव ठीक होता है। इसी तरह वनबला की जड़ को पीसकर घाव पर लगाने से सूजन और दर्द में कमी आती है।
अगर आप थोड़ी देर मेहनत करने के बाद थक जाते हैं या अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं तो वन बला का उपयोग करें। इसके लिए वन बला के बीज के चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा लें और उसमें मिश्री मिला लें। इसे रोजाना सुबह शाम दूध के साथ लें। इसके सेवन से कुछ ही हफ़्तों में कमजोरी दूर होने लगती है।
ऊपर बताए गए रोगों के अलावा भी विशेषज्ञों का मानना है कि वन्य बला डायबिटीज, यूटीआई, बवासीर आदि रोगों के इलाज में उपयोगी है। हालांकि अगर आप इन गंभीर रोगों के घरेलू इलाज के रूप में वनबला का सेवन करना चाहते हैं तो नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
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आयुर्वेद के अनुसार वन्य बला की जड़ें और पत्तियां सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं।
वन्य ब्लाक उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करना चाहिए।
वन्य बला अपने आप उगने वाले पौधा है। यह सड़कों के किनारे खरपतवार के रूप में नजर आता है। देश के कई हिस्सों में इसकी खेती भी की जाती है।
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