तिनिश के पौधे को कई लोग कालापलाश के नाम से भी जानते हैं. त्वचा रोगों और डायबिटीज समेत अन्य कई समस्याओं के इलाज में तिनिश बहुत फायदेमंद है. आयुर्वेद में भी तिनिश के कई औषधीय गुणों का जिक्र मिलता है. इसमें कफ-पित्त को कम करने वाले और पाचक अग्नि को बढ़ाने वाले गुण होते हैं. इस लेख में हम आपको तिनिश के फायदे, औषधीय गुणों और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
Contents
आमतौर पर 6-12 मी ऊंचाई वाला तिनिश का पौधा साल भर हरी पत्तियों से ढका रहता है. इसका तना, आकर में गोल और गहरे भूरे रंग का होता है जिसमें गहरी दरारें होती हैं. इसके तने में छेद करने से गोंद निकलता है जिसे सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी बताया गया है. तिनिश का फूल सफ़ेद और गुलाबी रंग के होते हैं और पतझड़ के मौसम के बाद पूरा पेड़ फूलों से लदा हुआ बहुत ही आकर्षक लगता है.
तिनिश का वानस्पतिक नाम Ougeinia oojeinensis (Roxb.) Hochr. (ओऊजीनिया उज्जैनेनसिस) Syn-Ougeinia dalbergioides Benth., Desmodium oojeinense (Roxb.) H.Ohashi है. यह Fabaceae (फैबेसी) कुल का पौधा है. आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में इसे किन नामों से जाना जाता है.
Sandan in :
तिनिश कषाय, कटु, उष्ण, लघु, रूक्ष, कफपित्तशामक, ग्राही और दाहकारक होता है। यह मेदोरोग, कुष्ठ, प्रमेह, श्वित्र, कफविकार, दाह, व्रण, पाण्डु, कृमि, वातविकार और रक्तातिसार-नाशक होता है। इसकी त्वक् ज्वर, श्वित्र और कुष्ठ-शामक होती है।
पेट से जुड़े रोगों के अलावा तिनिश त्वचा संबंधी रोगों के इलाज में भी कारगर है. आइये आगे विस्तार से जानते हैं कि विभिन्न बीमारियों में तिनिश का उपयोग कैसे करना चाहिए.
अगर आप दस्त या पेचिश (एमएल के साथ खून आने) की समस्या से परेशान हैं तो आप निम्न तरीकों से तिनिश का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आपको पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है तो इस समस्या से निजात पाने के लिए आप तिनिश का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए 10-20 मिली तिनिश के काढ़े का सेवन करें। इससे पेशाब के दौरान दर्द की समस्या में लाभ मिलता है.
डायबिटीज के मरीजों के लिए तिनिश बहुत फायदेमंद है. इसके लिए आप तिनिश की छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली की मात्रा में पिएं। इससे डायबिटीज में फायदा मिलता है.
तिनिश की छाल का काढ़ा बनाएं. उस काढ़े से नहाएं और प्रभावित जगह पर उसका लेप करें. इसके प्रयोग से कुष्ठ रोग में बहुत फायदा मिलता है।
त्वचा पर घाव होना एक आम समस्या है. अगर आपकी त्वचा पर भी कहीं घाव हुआ है तो तिनिश की छाल का काढ़ा बनाकर उस घाव को धोएं. इससे घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि खुजली दूर करने में तिनिश बहुत ही उपयोगी है. इसके लिए तिनिश की छाल का पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को खुजली वाली जगह पर लगाएं. कुछ ही दिनों में खुजली ठीक हो जाती है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार तिनिश में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो आपको लम्बे समय तक निरोग रखने में मदद करते हैं. इससे तैयार रसायन का उपयोग करने से शरीर स्वस्थ रहता है. इसके लिए एक साल तक 5 ग्राम तिनिश की छाल के पेस्ट या रस को दूध के साथ सुबह शाम पिएं या इसमें घी और शहद मिलाकर चाटें. इसके साथ में भोजन के रूप में दूध और चावल का सेवन करें.
अगर आप बुखार से परेशान हैं तो घरेलू इलाज के रूप में तिनिश का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए तिनिश की छाल का काढ़ा बनाएं और 5-10 मिली की मात्रा में इसका सेवन करें।
आयुर्वेद में तिनिश के निम्न भागों को सेहत के लिए उपयोगी बताया गया है.
सामान्य रूप से तिनिश का इस्तेमाल नीचे बताई गई मात्रा के अनुसार करना चाहिए.
अगर आप किसी गंभीर बीमारी के घरेलू इलाज के लिए तिनिश का उपयोग करना चाहते हैं तो पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें.
तिनिश हिमालयी एवं उपहिमालयी भागों में जम्मू से भूटान तक 1500 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है। उत्तरी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में यह उत्तराखण्ड में 1300 मी की ऊँचाई पर एवं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, दक्षिण की ओर कोंकण एवं दक्कन प्रायद्वीपीय भारत में पाया जाता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…