header-logo

AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA

AUTHENTIC, READABLE, TRUSTED, HOLISTIC INFORMATION IN AYURVEDA AND YOGA

Thuner: बेहद गुणकारी है स्थौणेयक (थुनेर)- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

थुनेर का परिचय (Introduction of Thuner)

Thuner benefits

थुनेर नाम से अगर आप अनजान है तो हिन्दी को बिरमी और थुनो नाम सुनकर शायद आपको याद आ जाये। असल में बिरमी के छाल, फल और फूल का प्रयोग आयुर्वेद में औषध के रूप में बहुत प्रयोग किया जाता है।  इसके पौष्टिकता के आधार पर इसका प्रयोग कई प्रकार के बीमारियों के इलाज के लिये किया जाता है। कई आधुनिक प्रयोगों से तथा परीक्षणों के आधार पर इसे कैंसर में अत्यन्त उपयोगी माना गया है।थुनेर गठिया के दर्द, सिरदर्द, बुखार आदि रोगों में कैसे काम करता है चलिये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

 

थुनेर क्या है? (What is Thuner in Hindi?)

थुनेर 30 मी तक ऊँचा, सदाहरित, एकलिंगाश्रयी वृक्ष होता है। इसका तना अत्यधिक बड़ा, नलिकाकार, कठोर, लगभग 50 सेमी गोलाई में, चौड़े-फैले हुए, शाखा युक्त होते हैं। इसकी शाखाएं सीधी तथा चारों ओर फैली हुई होती है। थुनेर की छाल पतली, कोमल, लाल या भूरे रंग की, खाँचयुक्त तथा पपड़ी जैसा होती है। इसके पत्ते अनेक, सघन रूप में व्यवस्थित, लघु वृंतयुक्त, एकांतर, 0.8-3.8 सेमी लम्बे, रेखित, चपटे, ऊपर की ओर गहरे हरे रंग का एवं चमकीला, आधा भाग पीला-भूरा रंग के अथवा लाल रंग के, कड़े तथा सूखने पर एक प्रकार की विशिष्ट गन्धयुक्त होते हैं। इसके फूल एकलिंगाश्रयी, पुंपुष्प-लगभग गोलाकार केटकिन्स में, 6 मिमी व्यास के, पुंकेसर-संख्या में लगभग 10 होते हैं। इसके फल 8 मिमी लम्बे, अण्डाकार, मांसल चमकीले रक्त-वर्ण के तथा बीज एकल, छोटे, अण्डाकार, हरे रंग के तथा लकड़ी की तरह कठोर बीज कवचयुक्त होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल मार्च-मई से सितम्बर-अक्टूबर तक होता है।

 

विशेष-कई विद्वान् थुनेर (Taxus wallichian) तथा तालीस पत्र (Abies spectabilis) दोनों को एक ही पौधा मानते हैं, परन्तु यह उचित नहीं है। यह एक भ्रम है इसी की वजह से कुछ लोग थुनेर को संदिग्ध औषधि मानकर थुनेर के स्थान पर तालीशपत्र का प्रयोग करते हैं। यह दोनों वृक्ष अलग-अलग हैं। यह सत्य है कि यह दोनों पौधे हिमालय में पाए जाते हैं। इसके भ्रम का कारण स्थानीय भाषाओं में दोनों पौधों का नाम समान हो सकता है।

 

स्थौणेयक में टैक्सोल नामक एक तत्व पाया जाता है, जिसका प्रयोग प्रमाणिकता के साथ कैंसर की चिकित्सा में किया जा रहा है। इसके कारण अंधाधुंध इस्तेमाल करने से इसके वृक्षों में संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अत: औषधि प्रयोग के साथ इसके संरक्षण को बढ़ावा देना भी अत्यन्त आवश्यक है।

अन्य भाषाओं में थुनेर के नाम (Names of Thuner in Different Languages)

आर्तगल का वानास्पतिक नाम Taxus wallichiana Zucc. (टैक्सस वालिचिआना) Syn-Taxus baccata Linn होता है। इसका कुल Taxaceae (टैक्सेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Yew (यू) कहते हैं। चलिये अब जानते हैं कि थुनेर और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

Sanskrit-स्थौणेयक, शीर्णरोम, शुकच्छद, शुकपुष्प;

 Hindi-बिरमी, थुनो, थुनेर; 

Urdu-बिरमी (Birmi), जरनाब (Jarnab); 

Odia-तालिसभेद (Talisbhed), चालीसपत्र (Chalispatra); 

Kashmiri-पोस्टिल (Postil),बिर्मी (Birmi); 

Kannada-स्थौनेयक (Sthoneyak); 

Gujrati-गेथेला बरमी (Gethela barami); 

Bengali-बिरमी (Bhirmi), सुगन्ध (Sugandh); 

Nepali-धेनग्रेसल्ला (Dhengresalla), वर्मासल्ला (Vermasalla); 

Punjabi-बरमा (Barma), बरमी (Barmi); 

Malayalam-थूरीआंगम (Thuriangam), तूनीयकेम (Tuniyankam); 

Marathi-स्थौनेयक बरमी (Sthoneyak barmi)।

English-हिमालयन यू (Himalayan yew), कामन यू (Common yew)

थुनेर का औषधीय गुण (Medicinal Properties of Thuner in Hindi)

थुनेर कड़वा, मधुर, तीखा, ठंडा, गुरु, रूखा, स्निग्ध, कफ,पित्त और वात को कम करने वाला, मोटापा को कम करने वाला, शुक्रवर्धक, सुगन्धित, रुचिकारक, कमजोरी को दूर करने वाला तथा पुष्टिवर्धक होता है।

यह  बुखार, कृमि, कुष्ठ, अत्यधिक प्यास, जलन, बदबू के इलाज में फायदेमंद होता है।  

इसका फल आमवातरोधी तथा विषमज्वररोधी होता है।

इसके पत्ते श्वसनिका के सूजन को कम करने में मदद मिलती है।

थुनेर  के फायदे और उपयोग (Uses and Benefits of Thuner in Hindi) 

थुनेर में पौष्टिकारक गुण होते हैं, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

सिरदर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद थुनेर (Benefits of Thuner to Get Relief from Headache in Hindi)

 headache

सिरदर्द आजकल की सामान्य बीमारी बन गई है। थुनेर के मूल से बने अर्क या काढ़ा का प्रयोग करने से शिरशूल यानि सिरदर्द तथा शंखक के इलाज में लाभ मिलता है।

 

सांस संबंधी समस्या से राहत पाने में फायदेमंद थुनेर (Thuner Beneficial to Treat Breathing Issues in Hindi)

अगर सांस संबंधी समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं तो थुनेर का उपयोग इस समस्या से निजात दिलाने में मदद कर सकता है।

-थुनेर के पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर पीने से कफ निकलने  में मदद मिलती है। इससे खांसी तथा श्वास या सांस संबंधी बीमारियों में फायदेमंद होता है।

-थुनेर के सूखे पत्तों तथा छाल के सत्त का प्रयोग सांस संबंधी चिकित्सा में किया जाता है।

 

पेट के सूजन और दर्द से राहत पाने में लाभकारी थुनेर (Benefit of Thuner in Stomach Ache and Inflammation in Hindi)

stomach ache

थुनेर का औषधीय गुण पेट संबंधी समस्याओं से लड़ने में बहुत मदद करता है। 2 भाग थुनेर के पत्ते के चूर्ण में 1 भाग सोंठ चूर्ण तथा 1 भाग कुटकी चूर्ण मिलाकर सेवन कराने से पेट के सूजन तथा दर्द में लाभ होता है।

और पढ़े-पेट के अल्सर के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज

 

लीवर संबंधी समस्याओं के इलाज में लाभकारी थुनेर (Thuner Beneficial to Treat Liver Related Diseases in Hindi)

थुनेर लीवर यानि यकृत संबंधित रोगों के इलाज में बहुत मदद करता है। इसके लिए थुनेर का सही मात्रा में सेवन करना ज़रूरी होता है।

 

आमवात के दर्द से दिलाये राहत थुनेर (Benefits of Thuner in Rhumatoid Arthritis in Hindi)

थुनेर के सूचियों (पत्तों) से बने टिंक्चर (मूलार्क) का प्रयोग गठिया तथा पुराने आमवात की चिकित्सा में किया जाता है। इसके अलावा शरीर पर शैलेय, स्थौणेयक आदि द्रव्यों के पेस्ट तथा काढ़े से सिद्ध तेल की मालिश करने से गठिया के सूजन और दर्द से राहत मिलती है।

 

कैंसर के इलाज में फायदेमंद थुनेर (Thuner Beneficial to Treat Cancer in Hindi)

cancer

2-5 ग्राम थुनेर पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर पीने से कैंसर तथा कैंसर से उत्पन्न उपद्रवों में लाभ होता है। कैंसर के रोगियों को इसके काढ़े के साथ-साथ इसके घनसत्त्व से बने गोलियों का सेवन कराना चाहिए।

 और पढ़े- जानें कैसे कचनार कैंसर के इलाज में करता है काम

थुनेर का उपयोगी भाग (Useful Parts of Thuner)

आयुर्वेद के अनुसार थुनेर  का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है-

-छाल

– सूचियाँ (Needels)।

थुनेर  का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए (How to Use Thuner in Hindi)

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए थुनेर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें।

थुनेर कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Thuner Found or Grown in Hindi)

यह मूलत पूरे मध्य एवं दक्षिणी यूरोप, उत्तरी अफ्रिका एवं उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है। यह विश्व में उत्तरी एवं शीतोष्णकटिबंधीय पूर्वी एशिया म्यान्मार के ऊपरी भागों से शीतोष्णकटिबंधीय हिमालय में 1800-3500 मी की ऊँचाई तक सिक्किम में तथा खासिया के पहाड़ी क्षेत्रों में 1500 मी तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। 

 और पढ़े- जानें कैसे लाल मिर्च आमवात से दिलाती है राहत