सुखविरेचन वटी
क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात
मात्रा– 250 मिली ग्राम
अनुपान– शीतलजल
गुण और उपयोग– इस एक वटी का सेवन करने से प्रातकाल बिना कष्ट के बहुत अच्छी प्रकार से दस्त होता है, परन्तु इस वटी को खाने से पहले मूँग दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खिला देना चाहिए जिससे पेट में चिकनापन आ जाए। इस–क्रिया के बाद रेचक वटी खाने से पर्याप्त लाभ मिलता है। रेचन के बाद पथ्य आहार में दही–भात खिलाने चाहिए।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…