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Shul Varjini Vati: शूलवज्रिणी वटी दूर करे कई बीमारियां- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

रसगन्धकलोहानां पलार्द्धेन समन्वितम्।

त्रिफला रामठं शल्वं शटी त्रिकटुटङकणम्।।

पत्रं त्वगेला तालीशं जातीफललवङ्गकम्।

यमानी जीरकं धान्यं प्रत्येकं तोलकं मतम्।।

माषैका वटिका कार्या छागीदुग्धेन वा पुन।

एकैका भक्षिता चेयं वटिका शूलवज्रिणी।।

शूलमष्टविधं हन्ति प्लीहगुल्मोदरं तथा।

अम्लपित्तामवात ञ्च पाण्डुत्वं कामलां तथा।।

शोथं गलग्रं वृद्धिं श्लीपदं सभगन्दरम्।

वृद्धबालकरी चैव मन्दाग्नेरपि दीपनी।। भै..30/97-101, .सा.सं.

क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात

  1. शुद्ध पारद (Mercury) 24 ग्राम
  2. शुद्ध गन्धक (Sulphur) 24 ग्राम
  3. लौह भस्म 24 ग्राम
  4. शुल्व (ताम्र) भस्म 12 ग्राम
  5. शटी कन्द 12 ग्राम
  6. एला (सूक्ष्मैला) (Elettaria cardamomum Maton.) बीज 12 ग्राम
  7. रामठ (हिंगु) (Ferula narthex Boiss.) निर्यास
  8. शुण्ठी (Zingiber officinale Rosc.) कन्द 12 ग्राम
  9. मरिच (Piper nigrum Linn.) फल 12 ग्राम
  10. पिप्पली (Pipe longum Linn.) 12 ग्राम
  11. शुद्ध टंकण 12 ग्राम
  12. हरीतकी (Terminalia chebula Retz.) फल मज्जा 12 ग्राम
  13. विभीतकी (Terminalia bellirica Roxb.) फल मज्जा 12 ग्राम
  14. आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.) फल मज्जा 12 ग्राम
  15. दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum Blume syn-C.Verum J.S.)त्वक् 12 ग्राम
  16. तेजपत्र (Cinnamomum tamala) पत्र 12 ग्राम
  17. तालीस पत्र (Abies webbiana Lindl. Syn-A. spectabilis (D.Don) Spach.पत्र 12 ग्राम
  18. जायफल (Croton tiglium Linn.) बीज 12 ग्राम
  19. लवङ्ग (Syzygium aromaticum Linn.Merr. & Per.) कली 12 ग्राम
  20. यमानी (यवानी) (Trachyspermum ammi Linn.) फल 12 ग्राम
  21. जीरा (Cuminum cyminum Linn.) फल 12 ग्राम
  22. धनिया (Coriandrum sativum Linn.) फल 12 ग्राम
  23. छाग दुग्ध (अजाक्षीर) (Goat milk) Q.S मर्दनार्थ

मात्रा 25 मिली ग्राम

अनुपान उष्ण जल।

गुण और उपयोगशूल रोग में यह रसायन बहुत लाभदायक है, इसके सेवन से आठ प्रकार के शूल, प्लीहा, गुल्म रोग, अम्लपित्त, आमवात, कामला पाण्डु, शोथ, गलग्रह, वृद्धिरोग, श्लीपद, भगन्दर, कास, श्वास, व्रण कुष्ठ, कृमि, हिचकी, अरुचि, अर्श, ग्रहणी रोग, अतिसार, विसूचिका, कण्डू, अग्निमांद्य, पिपासा, पीनस आदि रोग नष्ट होते है। भोजन के बाद इस गोली को अजवाइन अर्क या गर्म पानी से लेना चाहिए।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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