रसगन्धकलोहानां पलार्द्धेन समन्वितम्।
त्रिफला रामठं शल्वं शटी त्रिकटुटङकणम्।।
पत्रं त्वगेला तालीशं जातीफललवङ्गकम्।
यमानी जीरकं धान्यं प्रत्येकं तोलकं मतम्।।
माषैका वटिका कार्या छागीदुग्धेन वा पुन।
एकैका भक्षिता चेयं वटिका शूलवज्रिणी।।
शूलमष्टविधं हन्ति प्लीहगुल्मोदरं तथा।
अम्लपित्तामवात ञ्च पाण्डुत्वं कामलां तथा।।
शोथं गलग्रं वृद्धिं श्लीपदं सभगन्दरम्।
वृद्धबालकरी चैव मन्दाग्नेरपि दीपनी।। भै.र.30/97-101, र.सा.सं.
क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात
मात्रा– 25 मिली ग्राम
अनुपान– उष्ण जल।
गुण और उपयोग– शूल रोग में यह रसायन बहुत लाभदायक है, इसके सेवन से आठ प्रकार के शूल, प्लीहा, गुल्म रोग, अम्लपित्त, आमवात, कामला पाण्डु, शोथ, गलग्रह, वृद्धिरोग, श्लीपद, भगन्दर, कास, श्वास, व्रण कुष्ठ, कृमि, हिचकी, अरुचि, अर्श, ग्रहणी रोग, अतिसार, विसूचिका, कण्डू, अग्निमांद्य, पिपासा, पीनस आदि रोग नष्ट होते है। भोजन के बाद इस गोली को अजवाइन अर्क या गर्म पानी से लेना चाहिए।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…