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क्या आपको पता है कि सारिवादि वटी (divya sarivadi vati) क्या है और सारिवादि वटी का उपयोग किस काम में किया जाता है। नहीं ना! सारिवादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है। सारिवादि वटी का प्रयोग कर रोगों का इलाज किया जाता है।
आयुर्वेद में सारिवादि (sariva plant) वटी के बारे में बहुत सारी अच्छी बातें लिखी हुई हैं। सारिवादि वटी के इस्तेमाल से आप एक-दो नहीं बल्किक कई रोगों का इलाज कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप सारिवादि वटी का कैसे कर सकते हैं।
सारिवादि वटी (divya sarivadi vati) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कान के रोग, प्रमेह, रक्तपित्त रोग, क्षयरोग, श्वास फूलना, नपुंसकता, पुराना बुखार, मिर्गी, बवासीर, हृदय रोग और स्त्री रोग को नष्ट करने वाली होती है। इस वटी का प्रयोग मुख्यरूप से कान के रोगों में किया जाता है। कान के रोगों के लिए यह पतंजली द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि (Patanjali Medicine for Ears) है।
सारिवादि (sariva plant) वटी के प्रयोग से कई लाभ मिलते हैं जो ये हैंः-
कान से जुड़ी अनेक बीमारियों में सारिवादि वटी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है। कान के रोग जैसे- कान का बहना, कान में साँय–साँय की आवाज आना तथा ऊँचा सुनाई देना रोग में सारिदावटि वटी से फायदे होते हैं। कान के बहरा हो जाने पर या कान में दर्द होने पर भी सारिवादि वटी से लाभ मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार कान की बीमारी ठीक करने वाली यह उत्तम औषधि (divya sarivadi vati) है।
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डायबिटीज आज एक महामारी का रूप ले चुकी है। लगभग हर घर में डायबिटीज के रोगी मिल ही जाते हैं। आप सारिवादि वटी के प्रयोग से डायबिटीज में लाभ पा सकते है। सारिवादि वटी का इस्तेमाल डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद पहुंचाती है।
सारिवादि वटी सांसों के रोग में भी लाभ (sariva vati benefits) पहुुंचाती है। सांसों से जुड़ी बीमारियों के होने पर इसके इस्तेमाल की जानकारी किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से लें।
सारिवादि वटी बुखार उतारने के लिए उपयोग साबित होती है। साधारण बुखार से लेकर पुरानी बुखार को ठीक करने में भी सारिवादि वटी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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कई महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रस्त होती हैं। इस बीमारी के कारण उनका जीवन दुखमय हो जाता है। वे महिलाएं बांझपन का उपचार करने के लिए सारिवादि वटी का प्रयोग (divya sarivadi vati uses) करेंगी तो लाभ मिलता है।
किसी भी कारणवश मस्तिष्क में गरमी पहुँचने पर या वायु का वहन करने वाली शिराओं से संबंधित बीमारी में भी सारिवादि वटी लाभ पहुंचाती है। यह मिर्गी को ठीक करने में भी सहायता करती है।
बहुत सारे लोगों को शराब पीने की लत होती है। शराब के कारण ना सिर्फ व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब होता है बल्कि उनका पूरा परिवार तबाह हो जाता है। कई बार तो व्यक्ति शराब को छोड़ना चाहता है लेकिन शराब की तल उसे नहीं छूट सकती। ऐसे में सारिवादि वटी का प्रयोग बहुत लाभ (sariva vati uses) पहुंचाता है। यह शराब की लत छुड़ाने में मदद करती है।
इन लोगों को सारिवादि वटी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिएः-
दो वर्ष से कम आयु के बच्चे पर यह औषधि प्रयोग नहीं की जानी चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
आप सारिवादि वटी का प्रयोग इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
250 मि.ग्रा.,
अनुपान – धारोष्ण दूध, शतावरी रस, रक्तचन्दन काढ़ा
आयुर्वेद में सारिवादि वटी के बारे में यह उल्लेख मिलता हैः-
सारिवादि वटी के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है –
सारिवां मधुं कुष्ठं चातुर्जातं प्रियङ्गुकमं
नीलोत्पलं गुडूची ञ्च देवपुष्पं फलत्रिकम्।।
अभं सर्वसमञ्चाभसमं लौहं विभावयेत्।
केशराजाम्बुना पार्थक्वाथेन यवजाम्भसा।।
काकमाचीरसेनापि गु ञ्जाजड़द्रवेण च।
षड्गुञ्जाप्रमिताः पश्चाद् विदध्याद्वटिका भिषक्।।
धारोष्णेनापि पयसा शतमूलीरसेन वा।
एकैकां योजयेत् प्रात श्रीखण्डसलिलेन वा।।
निखिलान् कर्णजान् रोगान् प्रमेहानपि विंशतिम्।
रक्तपित्तं क्षयं श्वासं क्लैव्यं जीर्णज्वरं तथा।।
अपस्मारमदार्शांसि हृद्रोगञ्च मदात्ययम्।
सारिवादिवटी हन्यात् स्त्रागदानखिलानपि।। – भैषज्य रत्नावली 62/69-74
सारिवादि वटी को बनाने में निम्न द्रव्य (Ingredients) की जरूरत पड़ती हैः-
क्र.सं. | घटक द्रव्य | उपयोगी हिस्सा | अनुपात |
1. | सारिवा (Hemidesmus indicus (Linn.) R.Br. Syn- Periploca indica Linn.) | 12 ग्रा. | |
2. | मुलेठी (Glycyrrhiza glabra Linn.) | जड़ | 12 ग्रा. |
3. | कुष्ठ (Saussurea lappa C.B. Clarke) | जड़ | 12 ग्रा. |
4. | दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum Blume Syn-C. verum J.S. Presl.) | छाल | 12 ग्रा. |
5. | सूक्ष्मैला (Elettaria cardamomum Maton.) | बीज | 12 ग्रा. |
6. | तेजपत्ते (Cinnamomum tamala) | पत्ते | 12 ग्रा. |
7. | नागकेशर (Mesua ferrea Linn. Syn-M. roxburghii wight.) | स्त्रीकेशर | 12 ग्रा. |
8. | फूलप्रियंगु (Callicarpa macrophylla Vahl.) | फूल | 12 ग्रा. |
9. | नीलोत्पल (Nymphaea nouchyali Burm.f.) | 12 ग्रा. | |
10. | गिलोय (Tinospora cordifolia (Willd) stem | 12 ग्रा. | |
11. | लवङ्ग (Syzygium aromaticum Linn.Merr.&Per.) | फूल | 12 ग्रा. |
12. | हरीतकी (Terminalia chebula Linn.) | फल का गूदा | 12 ग्रा. |
13. | विभीतकी (Terminalia bellirica Roxb.) | फल का गूदा | 12 ग्रा. |
14. | आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.) | फल का गूदा | 12 ग्रा. |
15. | अभ्रक भस्म | 168 ग्रा. | |
16. | लौह भस्म | 168 ग्रा. | |
16. | भृंङ्गराज स्वरस (Eclipta alba Hassk.) | Q.S. मर्दनार्थ | |
17. | अर्जुन क्वाथ (Terminalia arjuna Roxb.) | Q.S. मर्दनार्थ | |
18. | जवा क्वाथ (Hibiscus rosa-sinesis Linn.) | Q.S. मर्दनार्थ | |
19. | मकोय स्वरस (Solanum nigrum Linn.) | Q.S. मर्दनार्थ | |
20. | गुंजा जड़ (Abrus precatorius Linn.) | Q.S. मर्दनार्थ |
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