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सारिवादि वटी के फायदे, नुकसान और खुराक (Sarivadi Vati ke Fayde, Khurak aur Nuksan)

सारिवादि वटी (divya sarivadi vatiके अनेक फायदे हैं। आप बुखार, मिर्गी, बांझपन और कान के रोग में सारिवादि वटी से लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही सारिवादि वटी से लाभ से डायबिटीज को नियंत्रित करने के साथ-साथ शराब की लत को भी छुड़ा सकते हैं।

 

Sarivadi Vati

आयुर्वेद में सारिवादि वटी (divya sarivadi vati) के बारे में बहुत सारी अच्छी बातें लिखी हुई हैं। आइए जानते हैं कि आप सारिवादि वटी का कैसे कर सकते हैं। 

 

Contents

सारिवादि वटी क्या है? (What is Sarivadi Vati in Hindi?)

सारिवादि वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कान के रोग,  डायबिटीज, रक्तपित्त, टीबी, सांसों के फूलने, नपुंसकता, पुराने बुखार के इलाज (sarivadi vati uses) में काम आती है। इतना ही नहीं मिर्गी, बवासीर, हृदय रोग और स्त्री रोग को भी यह वटी ठीक करती है। इस वटी का प्रयोग मुख्य रूप से कान के रोगों में किया जाता है। कान के रोगों के लिए यह पतंजली द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि है। यहां सारिवादि वटी के फायदे और उपयोग को बहुत ही आसान भाषा (sarivadi vati in hindi) में लिखा गया है ताकि आप इससे पूरा लाभ ले सकें।

और पढ़ें: मिर्गी में तालीशपत्र के फायदे

 

सारिवादि वटी के फायदे और उपयोग (Benefits of Sarivadi Vati Benefits and Uses in Hindi)

सारिवादि (sariva plant) वटी के प्रयोग से कई लाभ मिलते हैं, जो ये हैंः-

 

कान के रोग में साारिवादि वटी के फायदे (Benefits of Sarivadi Vati for Ear Diseases in Hindi)

कान से जुड़ी अनेक बीमारियों में सारिवादि वटी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है। कान के रोग जैसे- कानों का बहना, कान में सांय–सांय की आवाज आना, तथा ऊंचा सुनाई देने जैसी परेशानियों में सारिदावटि वटी से फायदे होते हैं। बहरा हो जाने पर, या कान में दर्द होने पर भी सारिवादि वटी से लाभ मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार, कान की बीमारी ठीक करने वाली यह उत्तम औषधि है।

 

Ear disease

और पढ़ें: कान के दर्द में अर्जुन के लाभ

 

मिर्गी में सारिवादि वटी से साभ (Sarivadi Vati Uses in Epilepsy Treatment in Hindi)

किसी भी कारणवश मस्तिष्क में गर्मी पहुँचने पर, या वायु का वहन करने वाली शिराओं से संबंधित बीमारी में भी सारिवादि वटी लाभ पहुंचाती है। यह मिर्गी को ठीक करने में भी सहायता करती है।

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डायबिटीज में सारिवादि वटी के फायदे (Uses of Sarivadi Vati for Controlling Diabetes in Hindi)

डायबिटीज आज एक महामारी का रूप ले चुकी है। लगभग हर घर में डायबिटीज के रोगी मिल ही जाते हैं। आप सारिवादि वटी के प्रयोग से डायबिटीज को नियंत्रित कर सकते है। सारिवादि वटी डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद पहुंचाती है।

 

Sarivadi Vati benefits in Diabetes

और पढ़ें: डायबिटीज को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय

 

सांसों के रोग में सारिवादि वटी के फायदे (Sarivadi Vati Benefits for Respiratory Diseases in Hindi)

आप सांसों से संबंधित रोग से पीड़ित हैं तो सारिवादि वटी का सेवन करें। यह सांसों के रोग में भी लाभ (sariva vati benefits) पहुंचाती है। इसके इस्तेमाल की जानकारी किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से लें।

 

बुखार में सारिवादि वटी से लाभ (Sarivadi Vati Benefits in Fever in Hindi)

सारिवादि वटी बुखार उतारने के लिए उपयोग साबित होती है। साधारण बुखार से लेकर पुराने बुखार को ठीक करने में भी सारिवादि वटी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

fever

और पढ़ें: बुखार में अर्जुन से राहत

 

बांझपन में सारिवादि वटी से लाभ (Sarivadi Vati Benefits for Infertility in Hindi)

कई महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रस्त होती हैं। इस बीमारी के कारण उनका जीवन दुखमय हो जाता है। ऐसी महिलाएं बांझपन का उपचार करने के लिए सारिवादि वटी का प्रयोग करेंगी तो उन्हें लाभ मिलता है।

 

शराब की लत से छुटकारा पाने के लिए सारिवादि वटी का उपयोग (Use Sarivadi Vati to Get Rid of Alcohol Addiction in Hindi)

बहुत सारे लोगों को शराब पीने की लत होती है। शराब के कारण ना सिर्फ व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि परेशानी पूरे परिवार को उठानी पड़ती है। कई बार तो व्यक्ति शराब को छोड़ना चाहता है, लेकिन शराब की लत व्यक्ति से नहीं छूट पाती। ऐसे में सारिवादि वटी का प्रयोग बहुत लाभ पहुंचाता है। यह शराब की लत छुड़ाने में मदद करती है।

 

No alcohol

 

सारिवादि वटी के नुकसान (Sarivadi Vati Side Effects in Hindi)

इन लोगों को सारिवादि वटी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिएः-

  • दो वर्ष से कम आयु के बच्चे को इस औषधि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को भी इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

 

सारिवादि वटी की खुराक (Doses of Sarivadi Vati in Hindi)

आप सारिवादि वटी का प्रयोग इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-

250 मि.ग्रा.,

अनुपान – ताजा दूध, शतावरी रस, रक्तचन्दन काढ़ा के साथ।

 

पतंजलि दिव्य सारिवादि वटी कहां से खरीदें? (Where to Buy Sarivadi Vati Patanjali)


पतंजलि दिव्य सारिवादि वटी (
Patanjali Divya Sarivadi Vati) खरीदने के लिए यहां क्लिक करें।

 

सारिवादि वटी के बारे में आयुर्वेद में उल्लेख (Sarivadi Vati in Ayurveda)

आयुर्वेद में सारिवादि वटी के बारे में यह उल्लेख मिलता हैः-

सारिवादि वटी के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है –

सारिवां मधुं कुष्ठं चातुर्जातं प्रियङ्गुकमं

नीलोत्पलं गुडूची ञ्च देवपुष्पं फलत्रिकम्।।

अभं सर्वसमञ्चाभसमं लौहं विभावयेत्।

केशराजाम्बुना पार्थक्वाथेन यवजाम्भसा।।

काकमाचीरसेनापि गु ञ्जाजड़द्रवेण च।

षड्गुञ्जाप्रमिताः पश्चाद् विदध्याद्वटिका भिषक्।।

धारोष्णेनापि पयसा शतमूलीरसेन वा।

एकैकां योजयेत् प्रात श्रीखण्डसलिलेन वा।।

निखिलान् कर्णजान् रोगान् प्रमेहानपि विंशतिम्।

रक्तपित्तं क्षयं श्वासं क्लैव्यं जीर्णज्वरं तथा।।

अपस्मारमदार्शांसि हृद्रोगञ्च मदात्ययम्।

सारिवादिवटी हन्यात् स्त्रागदानखिलानपि।। – भैषज्य रत्नावली 62/69-74

 

सारिवादि वटी के घटक (Composition of Sarivadi Vati)

सारिवादि वटी को बनाने में निम्न द्रव्य (Ingredients) की जरूरत पड़ती हैः-

क्र.सं.

घटक द्रव्य

उपयोगी हिस्सा

अनुपात

1.

सारिवा (Hemidesmus indicus (Linn.) R.Br. Syn- Periploca indica Linn.)

 

12 ग्रा.

2.

मुलेठी (Glycyrrhiza glabra Linn.)

जड़

12 ग्रा.

3.

कुष्ठ (Saussurea lappa C.B. Clarke)

जड़

12 ग्रा.

4.

दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum Blume Syn-C. verum J.S. Presl.)

छाल

12 ग्रा.

5.

सूक्ष्मैला (Elettaria cardamomum Maton.)

बीज

12 ग्रा.

6.

तेजपत्ते (Cinnamomum tamala)

पत्ते

12 ग्रा.

7.

नागकेशर (Mesua ferrea Linn. Syn-M. roxburghii wight.)

स्त्रीकेशर

12 ग्रा.

8.

फूलप्रियंगु (Callicarpa macrophylla Vahl.)

फूल

12 ग्रा.

9.

नीलोत्पल (Nymphaea nouchyali Burm.f.)

 

12 ग्रा.

10.

गिलोय (Tinospora cordifolia (Willd) stem

 

12 ग्रा.

11.

लवङ्ग (Syzygium aromaticum Linn.Merr.&Per.)

फूल

12 ग्रा.

12.

हरीतकी (Terminalia chebula Linn.)

फल का गूदा

12 ग्रा.

13.

विभीतकी (Terminalia bellirica Roxb.)

फल का गूदा

12 ग्रा.

14.

आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.)

फल का गूदा

12 ग्रा.

15.

अभ्रक भस्म

 

168 ग्रा.

16.

लौह भस्म

 

168 ग्रा.

16.

भृंङ्गराज स्वरस (Eclipta alba Hassk.)

 

Q.S. मर्दनार्थ

17.

अर्जुन क्वाथ (Terminalia arjuna Roxb.)

 

Q.S. मर्दनार्थ

18.

जवा क्वाथ (Hibiscus rosa-sinesis Linn.)

 

Q.S. मर्दनार्थ

19.

मकोय स्वरस (Solanum nigrum Linn.)

 

Q.S. मर्दनार्थ

20.

गुंजा जड़ (Abrus precatorius Linn.)

 

Q.S. मर्दनार्थ