वानस्पतिक नाम : Catharanthus roseus (Linn.) G. Don (केथारेन्थस रोजियस) Syn-Lochnera rosea (Linn.) Reichb., Vinca rosea Linn.
कुल : Apocynaceae (ऐपोसाइनेसी)
अंग्रेज़ी में नाम : Red Periwinkle (रेड पेरीविन्कल)
संस्कृत-सदापुष्पा, नित्यकल्याणी; हिन्दी-सदाबहार, सदासुहागिन, सदासुहागी; उड़िया-ऐन्सकाटी (Ainskati); कन्नड़-सदापुष्पिया (Sadapushpia); कानिगालु (Kanigalu); गुजराती-बारामासी (Baramasi); तमिल-सुदुकदु मल्लिकाई (Sudukadu mallikai); तेलुगु-बिल्लागन्नेरू (Billaganneru); बंगाली-गुलफेरींघी (Gulferinghi), नयनतारा (Nayantara), तृणरास्ना (Trinrasna); नेपाली-सदाबहार (Sadabahar); पंजाबी-रतनजोत (Rattanjot); मराठी-सदाफूल (Sadaphul); मलयालम-उषामलारी (Ushamallari);।
अंग्रेजी-मेडागास्कर पेरीविन्कल (Medagascar periwinkle), ओल्ड मैड (Old maid), इण्डियन पेरीविन्कल (Indian periwinkle), विन्का (Vinka), रोज पेरीविन्कल (Rose periwinkle)।
परिचय
समस्त भारत में घरों, मन्दिरों व बगीचों में शृङ्गारिक पौधे के रूप में इसको लगाया जाता है। यह मूलत मेडागास्कर का पौधा माना जाता है। यह 30-90 सेमी ऊँचा, सीधा, शाखा-प्रशाखायुक्त, सुंदर, बहुवर्षायु पौधा होता है। इसके पत्र गहरे हरित वर्ण के, चमकीले, पूतिगंधी, अग्र भाग पर गोलाकार तथा आधार पर नुकीले होते हैं। इसके पुष्प सुगन्धित, श्वेत से गुलाबी-बैंगनी वर्ण के तथा 5 बाह्यदलपुंजयुक्त होते हैं। इसके फल पतले, रोमश, 2-3 सेमी लम्बे तथा बेलनाकार होते हैं। इसके बीज अनेक, छोटे तथा कृष्ण वर्ण के होते हैं।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
सदाबहार कषाय, तिक्त, उष्ण, लघु, रूक्ष, कफवातशामक, सौमनस्यजनन तथा हृद्य होता है।
यह रक्तार्बुद तथा रक्तभाराधिक्य शामक है।
इसका पञ्चाङ्ग अल्परक्तशर्कराकारक, निद्राजनन तथा अवसादक होता है।
इसकी मूल निम्नरक्तदाबकारक, विषाक्त तथा आमाशयोद्दीपक होती है।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग : पञ्चाङ्ग तथा पत्र।
मात्रा : चूर्ण 1-2 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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