पियारांगा का पौधा पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है और वहां के बाजारों में लोग इसे पीतरांगा या ममीरी नाम से भी बेचते हैं। हालांकि प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस पौधे का पर्याप्त उल्लेख नहीं मिलता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इसके कुछ गुण त्रायमाण से मिलते जरूर हैं लेकिन यह पौधा उससे पूरी तरह अलग है। इस लेख में हम आपको पियारांगा के फायदे, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में बता रहे हैं।
पीतरांगा की जड़ दुर्गध रहित बड़े आकर की और पीले रंग की होती है। यह पौधा दिखने में पिस्सूमार के पौधे जैसा लगता है लेकिन दोनों में अंतर करना बहुत आसान है। पिस्सूमार के पौधे की जड़ पतली होती है और उसमें से दुर्गंध आती रहती है। यह पौधा कफ और वात से जुड़े दोषों को दूर करने में मदद करता है।
पियारांगा का वानस्पतिक नाम Thalictrum foliolosum DC. (थैलिक्ट्रम फोलियोलोसम) Syn-Thalictrum dalingo Buch.-Ham. ex DC. है. यह Ranunculaceae (रैननकुलैसी) कुल का पौधा है। आइए जानते हैं कि अन्य भाषाओं में पियारांगा को किन नामों से जाना जाता है।
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पियारंगा के औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेदिक विशेषज्ञ कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं. आइये जानते हैं कि पियारांगा किन-किन बीमारियों के इलाज में उपयोगी है।
सिरदर्द होने पर तुरंत पेनकिलर दवाइयां खाने की बजाय घरेलू उपायों से इसे ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार पियारांगा की जड़ को गुलाबजल के साथ पीसकर माथे पर लेप लगाने से सिरदर्द से जल्दी आराम मिलता है।
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खांसी दूर करने में सहायक है पियारांगा :(Piyaranga Benefits for Cough in Hindi)
अगर आप खांसी से परेशान हैं तो पियारांगा का उपयोग करें। इसके लिए 2 ग्राम काली मिर्च में, 2 ग्राम पियारांगा की जड़ को पीसकर छोटी-छोटी चने की आकर की गोलियां बना लें। रोजाना सुबह-शाम 1-1 गोली खाएं। इसके सेवन से खांसी और कफ दोष वाली समस्याओं में फायदा मिलता है।
इसी तरह ममीरी मूल, काली मिर्च और सोंठ को मिलाकर काढ़ा बनाकर पिएं। इसके सेवन से भी खांसी दूर होती है।
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पेट के रोगों में पियारांगा के फायदे (Uses of Piyaranga for Abdominal diseases in Hindi)
अगर आप पेट की कब्ज या जलन से परेशान हैं तो पियारांगा का सेवन करना आपके लिए लाभदायक है। नीचे बताए गए तरीके अपनाएं :
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बवासीर के इलाज में उपयोगी है पियारांगा :
खराब जीवनशैली और गलत खानपान के कारण अधिकतर लोग कब्ज की समस्या से पीड़ित हैं। कब्ज की समस्या को बार बार अनदेखा करने पर आगे चलकर बवासीर की बीमारी हो जाती है। इसलिए कब्ज या बवासीर को अनदेखा ना करें बल्कि घरेलू उपाय अपनाएं। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि पियारांगा की जड़ को पीसकर लेप लगाने से बवासीर में लाभ मिलता है। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
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त्वचा रोगों में लाभ पहुंचाता है पियारांगा :
त्वचा में खुजली, जलन या सूजन जैसी समस्याओं के इलाज में पियारांगा का उपयोग करना लाभदायक है। इसके लिए पियारांगा की जड़ का पेस्ट बनाकर उसका लेप लगाएं। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
सूजन दूर करने में सहायक है पियारांगा :
अगर आप सूजन की समस्या से परेशान हैं तो पियारांगा का उपयोग करके आपको राहत मिल सकती है। इसके लिए निम्न तरीकों से पियारांगा का इस्तेमाल करें।
पञ्चाङ्ग को उबालकर, पीस लें। उसमें नमक मिलाकर सूजन वाली जगह पर लगाएं। इससे सूजन में कमी आती है।
2 ग्राम ममीरी मूल में 3-4 ग्राम सहिजन छाल मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को पीने से सूजन में फायदा मिलता है।
मिरगी के इलाज में पियारांगा के फायदे :
मिरगी एक गंभीर बीमारी है और आपको अगर इस बीमारी के लक्षण नजर आएं तो इसे अनदेखा ना करें। डॉक्टर से परामर्श लें साथ ही साथ घरेलू उपाय भी अपनाएं। आयुर्वेद के अनुसार पियारांगा का उपयोग करना मिरगी के इलाज में उपयोगी है। इसके लिए 500 मिग्रा पियारांगा की जड़ में 1 लौंग और 1 काली मिर्च मिलाकर इसे दूध के साथ पीस लें। इस मिश्रण को बच्चों को पिलाने से मिरगी के लक्षण कम होते हैं।
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बुखार ठीक करने में पियारांगा के फायदे :
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि पियारांगा के उपयोग से बुखार के लक्षणों में कमी आती है। बुखार होने पर गिलोय तथा ममीरी की जड़ का काढ़ा बनाकर पिएं। इसे पीने से बुखार में आराम मिलता है।
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पियारांगा के उपयोगी भाग :
आयुर्वेद के अनुसार पियारांगा की जड़ सेहत के लिए बहुत उपयोगी है।
पियारांगा का सेवन कैसे करें :
अगर आप पियारांगा का इस्तेमाल किसी बीमारी के घरेलू इलाज के रूप में करना चाहते हैं तो खुराक और सेवन विधि के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
पियारांगा कहां पाया या उगाया जाता है?
यह भारत में शीतोष्णकटिबंधीय हिमालय में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड में 1500-3000 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है। पहाड़ी लोग इसकी जड़ों को पीतरांगा या ममीरी नाम से बाजारों में बेचते हैं।
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