आयुर्वेद में ऐसे कई जड़ी-बूटियों और पौधों का जिक्र मिलता है जो हमारी सेहत के लिए गुणकारी हैं. बेली का पौधा भी कई तरह की बीमारियों से हमें बचाता है. इस लेख में हम बेली के फायदे, उपयोग के तरीके और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
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बेली का पौधा 6 मीटर ऊँचा और झाड़ीदार होता है. इसकी खुरदुरी छाल भूरे रंग की होती है. इस पौधे के कांटे और पत्तियों की मदद से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है. इसके कांटो और पत्तियों की लंबाई 2 से 2.5 सेमी तक होती है. बेली का फल गोल और बीजयुक्त होते हैं.
बेली का वानस्पतिक नाम Naringi crenulata (Roxb.) Nicolson (नारिंगी क्रेनुलाटा)
Syn. Hesperethusa crenulata (Roxb.) M.Roem; Limonia crenulata Roxb है. यह Ruteaceae (रूटेसी) कुल का पौधा है. आइए जानते हैं इसे अन्य भाषाओं में किन नामों से जाना जाता है.
बेली के औषधीय गुणों के बारे में आप जान चुके हैं. आइए अब जानते हैं कि किन बीमारियों या समस्याओं के घरेलू उपचार के रूप में बेली का इस्तेमाल किया जा सकता है. उनमें से कुछ प्रमुख निम्न हैं :
अगर आप भी अक्सर अपच से परेशान रहते हैं और इसके लिए दवाइयों की बजाय कोई घरेलु उपचार खोज रहे हैं तो बेली आपके लिए बहुत काम की चीज है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मानना है कि 1-2 ग्राम बेली के जड़ (मूल) का चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करने से अपच की समस्या में लाभ मिलता है. अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें.
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दाद-खाज और खुजली की समस्या किसी को भी हो सकती है. गर्मियों और बारिश के मौसम में आमतौर पर अधिकांश लोग इस समस्या से परेशान रहते हैं. खुजली दूर करने के लिए भी आप बेली का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए दाद या खुजली वाली जगह पर बेली के पत्तों को पीसकर लगाएं. इसके उपयोग से कुछ ही दिनों में समस्या ठीक हो जाती है.
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चेहरे पर झाइयां या दाग धब्बे होना एक आम समस्या है और इसे कम करने के लिए पुरुष और महिलाएं कई तरह की क्रीम और दवाइयां का उपयोग करते हैं. आपको बता दें कि कई आयुर्वेदिक औषधियां भी चेहरे की झाइयां कम करने में मदद करती हैं. बेली के पत्तों को पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयां और दाग-धब्बे कम होते हैं और चेहरे का निखार बढ़ता है.
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अगर आपके शरीर में कहीं घाव निकल आया है तो उसके घरेलू उपचार के रूप में बेली का इस्तेमाल कर सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार पहले बेली के पत्तों का काढ़ा बना लें और फिर उससे घाव को साफ करें. इससे घाव या फोड़ा जल्दी ठीक होते हैं.
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फोलिक्यूलाइटिस एक त्वचा रोग है जिसमें बालों की जड़ों के आसपास सूजन हो जाती है और वहां छोटे छोटे दाने या रैशेज निकलने लगते हैं. अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो इससे निजात पाने के लिए बेली का उपयोग कर सकते हैं. बेली की छाल को पीसकर गर्म कर लें और इसका पुल्टिस बनाकर उस जगह पर बांध दें. ऐसा करने से जल्दी आराम मिलता है.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार बेली के पौधे के पाँचों प्रमुख भाग (जड़, पत्तियां, तना, छाल आदि) सेहत के लिए गुणकारी हैं.
बेली का उपयोग आप ऊपर बताई गयी समस्याओं के घरेलु उपचार के रूप में कर सकते हैं. किस बीमारी के लिए कितनी मात्रा का उपयोग करना है, इसकी जानकारी अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से लें.
बेली का पौधा पूरे भारत में पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है. इसके अलावा पर्णपाती जंगलों में भी यह पौधा पाया जाता है.
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