वानस्पतिक नाम : Acalypha indica Linn. (ऐकेलाइपां इंडिका) Syn-Acalypha chinensis Benth., Acalypha minima H.Keng
कुल : Euphorbiaceae (यूफोर्बियेसी)
अंग्रेज़ी नाम : Indian acalypha
(इण्डियन ऐकेलाइपां)
संस्कृत-हरितमंजरी; हिन्दी-मुक्तवर्चा, खोकिल, कुप्पी; उड़िया-इन्द्रमरीस (Indramaris), नाकाचना (Nakachana); कन्नड़-चलमरी (Chalmari), कप्पामेनी (Kappameni); गुजराती-ददनो-वंछी-कांटों (Dadno-vanchhi-kanto); तमिल-कुप्पामेनी (Kuppameni), पूनमयाक्की (Punmayakki), कुप्पामनी (Kuppamani); तैलुगु-मुरीपीण्डी (Muripindi), कुप्पिन्टकु (Kuppintaku), मुर्काण्डचेट्टु (Murkandachettu); बंगाली-मुक्ताझरी (Muktajari); नेपाली-वर्षी झार (Varshi jhar); मलयालम-कुप्पामेनी (Kuppameni); मराठी-खजोटी (Khajoti), खोकला (Khokla)।
परिचय
भारत के उष्ण प्रदेशों में विशेषत बंगाल तथा बिहार से आसाम तक और दक्षिण में कोंकण से त्रावणकोर तक एवं गुजरात व काठियावाड़ में सड़कों के किनारे या बेकार पड़ी भूमि पर खरपतवार के रूप में उत्पन्न होता है। यह श्वास रोगों में अत्यन्त उपयोगी है। इसकी दो प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
उपरोक्त वर्णित कुप्पी की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रजाति का प्रयोग भी चिकित्सा में किया जाता है।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
यह कटु, तिक्त, उष्ण, लघु, कफवातशामक, श्वासहर, कासहर, मूत्रल, कृमिघ्न, सारक, रेचक, वामक एवं कफनिसारक है।
इसमें बन्ध्यत्वरोधी गुण पाए जाते हैं। पत्तियों के फाण्ट में पेशीप्रेरक एवं सामयिक गति से उत्पन्न होने की दर के प्रति निश्चित प्रभाव दृष्टिगत।
पत्र प्ररोह एवं मूल से प्राप्त मद्यसार में स्टेफीलोकोक्कस औरीयस एवं एस्चरशिया कोलाई के प्रति जीवाणुरोधी प्रभाव दृष्टिगत हुए।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग :पञ्चाङ्ग, पत्र एवं मूल।
मात्रा :क्वाथ 5-10 मिली या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
विशेष :
श्वास कष्ट की चिकित्सा में अत्यधिक लाभकारी है।
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