हर घर में लोग मसूर की दाल खाते हैं। अनेक लोग मसूर की दाल के पकौड़े बनाकर भी खाते हैं। आपने भी मसूर की दाल से बने व्यंजन जरूर खाएं होंगे। यह बहुत ही स्वादिष्ट होता है। क्या आपको पता है कि रोगों का इलाज करने में भी मसूर की दाल के फायदे मिलते हैं, और आप मसूर की दाल से एक-दो नहीं, बल्कि कई बीमारी की रोकथाम (masoor ki daal benefits) या इलाज कर सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, मसूर की दाल (masoor dal) एक उत्तम जड़ी-बूटी भी है। इससे अनेक रोग ठीक होते हैं। आइए जानते हैं।
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मसूर को लगभग सभी लोग जानते होंगे। मसूर का प्रयोग दाल के रूप में पूरे भारत में किया जाता है। मसूर का पौधा लगभग 15-75 सेमी ऊंचा होता है। मसूर के लेप का इस्तेमाल रंग को सुंदर करने के लिए, त्वचा रोग को ठीक करने के लिए और कफ-विकार, रक्त-विकार तथा पित्त-विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके साथ ही मसूर मूत्र रोग, दर्द, पेट की गैस और बुखार में भी उपयोग में लाया जाता है।
आमतौर पर मसूर (masoor dal) को देश भर में मसूर के नाम से ही जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी मसूर के कई और नाम भी हैं, जो भारत के साथ-साथ देश-विदेश में जाना जाता है। मसूर का वानस्पतिक नाम लेन्स कुलिनेरिस (Lens culinaris Medik., Syn-Ervum lens Wall.), फैबेसी (Fabaceae)हैं लेकिन इसके अन्य नाम ये भी हैंः-
Masoor in-
अब तक आपने जाना कि मसूर (masoor dal) क्या है, और इसके कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि मसूर का औषधीय प्रयोग कैसे किया जाता है। इसकी मात्रा एवं विधियां क्या होनी चाहिएः-
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मुंह के छाले में मसूर की भस्म के बराबर मात्रा में कत्था मिलाकर पीस लेंं। इसे मुंह के छाले पर लगाएं। इससे मुंह के छाले मिटते हैं।
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कई लोगों को पैरों के तलवों में जलन की परेशानी होती है। ऐसा ऊच्च रक्तचाप के कारण भी हो सकता है। इसमें मसूर को पीसकर पैरों के तलवों पर लगाएं। पैरों की जलन मिट जाती है।
विसर्ग जैसे त्वचा रोग में चेहरे या त्वचा पर लाल-लाल-सा दाग हो जाता है। रोगग्रस्त अंगों में सूजन के साथ दर्द भी होने लगता है। यह फोड़े के रूप में भी हो सकता है। इसके लिए मसूर को पीस लें। इसमें घी मिलाकर लगाने से लाभ होता है।
आंखों के रोग में मसूर दाल का सेवन फायदा पहुंचाता है। किसी व्यक्ति को आंखों से संबंधित परेशानी है तो उसे मसूर की दाल का सेवन करना चाहिए।
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दांतों के रोग में मसूर की दाल सेवन लाभ पहुंचाता है। मसूर की दाल को जलाकर भस्म बना लें। इस भस्म को दांतों पर रगड़ने से दांतों के विकार का ठीक होता है।
सांसों से संबंधित नलिका (श्वसनतंत्र) से संबंधित परेशानी को ठीक करने के लिए मसूर से बने जूस (दाल का पानी) को 20-40 मिली की मात्रा में सेवन करना चाहिए। इससे श्वसनतंत्र में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
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साइनस रोग में मसूर तथा अनार के छिलके को पीसकर घाव पर लगाएं। इससे साइनस में लाभ मिलता है।
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उल्टी रोकने के लिए मसूर के आटे को 50 ग्राम की मात्रा में लें। इसमें 100 मिलीग्राम अनार का रस मिला लें। इसे मथें। इसे पीने से उल्टी पर रोक लगती है।
पुराने घाव को भी मसूर के इस्तेमाल से ठीक किया जा सकता है। मसूर की भस्म बना लें। भस्म में भैंस का दूध मिलाकर सुबह और शाम घाव पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भर जाता है।
अनेक महिलाओं को स्तनों में दर्द की शिकायत रहती है। इस रोग में मसूर का उपयोग फायदेमंद होता है। मसूर को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों का दर्द ठीक हो जाता है।
कमर दर्द की परेशानी बहुत लोगों को होती रहती है। इसके लिए मसूर को सिरके के साथ पीस लें। इसे हल्का गुनगुना करके कमर और पीठ पर लगाएं। कमर और पीठ का दर्द ठीक होता है।
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कब्ज की समस्या में मसूर के दाल का पानी पिएं। इससे कब्ज की बीमारी ठीक होती है। सेवन की मात्रा 20-40 मिली होनी चाहिए।
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मसूर शारीरिक कमजोरी दूर करने के साथ-साथ खून को बढ़ाने का भी काम करता है। जिस व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी या खून की कमी हो, वह मसूर (masoor daal) की दाल का सेवन कर लाभ पा सकते हैं।
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दस्त रोकने के लिए 5 किग्रा मसूर चूर्ण तथा 12 लीटर को पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उसमें 400 ग्राम बेल फल मज्जा तथा 750 ग्राम घी मिलाकर फिर पकाएं। इसे 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इसेस दस्त पर रोक लगती है।
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बवासीर में मसूर का उपयोग करना फायदेमंद होता है। मसूर (masoor daal) की दाल को छाछ के साथ सेवन करें। इससे बवासीर में होने वाले रक्तस्राव पर रोक लगता है।
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गले के दर्द और सूजन को ठीक करने के लिए मसूर के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे गले की सूजन तथा गले का दर्द ठीक होता है।
मसूर की दाल तथा अनार की छाल को पीस लें। दोनों को मिलाकर हल्का गुनगुना करके अण्डकोष पर लगाएं। इससे अण्डकोष की सूजन ठीक हो जाती है।
चेचक के इलाज के लिए मसूर की बीज का पेस्ट बना लें। इसे लेप के रूप में लगाएं। इसको लगाने से चेचक की पीड़ा से आराम मिलता है।
ह्रदय रोग में मसूर के बीजों का जूस (दाल का पानी) बनाकर पिएं। सेवन 20-40 मिली मात्रा में करना चाहिए।
मसूर का औषधीय इस्तेमाल इस तरह किया जाना चाहिएः-
मसूर के पत्ते
मसूर के बीज
मसूर का औषधीय इस्तेमाल इतनी मात्रा में किया जाना चाहिएः-
यूष – 20-40 मिली
काढ़ा – 20 मिली
अगर आप बीमारियों में मसूर (masur dal) का औषधीय इस्तेमाल कर भरपूर लाभ लेना चाहते हैं तो चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन करें।
भारत में सभी स्थानों पर मसूर (masur dal) की खेती की जाती है। इसकी खेती मुख्यतः लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई तक की जाती है।
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