लताक्षीरी एक प्रकार की बेल है जो अपने औषधीय गुणों के कारण बहुत प्रसिद्ध है. आयुर्वेद के अनुसार दमा (अस्थमा) के इलाज में लताक्षीरी के फायदों को देखते हुए ही इसे दमबेल नाम से पुकारा जाता है. इस लेख में हम बता रहे हैं कि अस्थमा के मरीज दमबेल का सेवन कब ऐसे कैसे करें, साथ ही दमबेल के अन्य फायदों और औषधीय गुणों पर भी एक नज़र डालते हैं.
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दमबेल कई शाखाओं वाला एक पौधा है. इसके पत्ते -10 सेमी लम्बे और अंडाकार, गोलाकार में होते हैं. दमबेल के फूल हरे और पीले रंग के होते हैं और उनका आखिरी सिरा बैगनी रंग का होता है. इसके फल 7.5-10 सेमी लम्बे और करीब 5 सेमी चौड़े होते हैं. इसकी पत्तियां और जड़ें साँसों से जुड़ी बीमारियों जैसे कि अस्थमा, खांसी, सांस फूलना आदि के इलाज में बहुत उपयोगी हैं.
लताक्षीरी का वानस्पतिक नाम Tylophora indica (Burm.f.) Merrill (टाइलोफोरा इंडिका) Syn-Tylophora asthmatica (Linn.f.) W.&A. है. यह Asclepiadaceae (एसक्लीपिएडेसी) कुल का पौधा है. लताक्षीरी को कई लोग दमबेल नाम से भी बुलाते हैं. आइये जानते हैं अन्य भाषाओं में इसे किन नामों से जाना जाता है.
Indian or Country Ipecacuanha in :
दमबेल मधुर, कटु, दीपन, पाचन, व्रणशोधक, सुगन्धित, वामक, विरेचक, कफनिसारक, शोथघ्न तथा ज्वरघ्न होती है। यह ग्रहणी, अर्श, अतिसार, कास, श्वास, वातरक्त तथा विषशामक होती है।
इसकी मूल आमवातजन्य शूल, रक्तार्श, व्रण, क्षत, अर्बुद तथा वातरक्त में लाभप्रद होती है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सांस संबंधी समस्याओं जैसे कि खांसी, अस्थमा आदि में दमबेल का उपयोग करना फायदेमंद होता है. आइये जानते हैं कि अलग रोगों में दमबेल का उपयोग कितनी मात्रा में और कैसे करें.
इस प्रदूषण भरे माहौल में अस्थमा के मरीजों की समस्याएं और बढ़ने लगती हैं और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. अस्थमा या दमा के इलाज के लिए आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उल्लेख मिलता है. विशेषज्ञों की मानें तो दमबेल अस्थमा के इलाज में काफी फायदेमंद है. आइये जानते हैं उपयोग का तरीका
काली खांसी की समस्या जीवाणुओं के संक्रमण के कारण होती है. इस बीमारी में खांसी की समस्या कई दिनों तक ठीक नहीं होती है. काली खांसी के इलाज और रोकथाम के लिए आप दमबेल (लताक्षीरी) का उपयोग कर सकते हैं.
अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या श्वास नली में सूजन की समस्या है तो दमबेल आपके लिए एक उपयोगी औषधि है. इसके लिए दमबेल की पत्तियों और जड़ों का काढ़ा बनाकर 10-15 एमएल की मात्रा में सेवन करें. ध्यान रखें अगर समस्या गंभीर तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद ही इसका उपयोग करें.
ऑफिस में दिन भर काम करने और तमाम तरह की टेंशन की वजह से सिरदर्द होना एक आम बात है. जरुरी नहीं कि हर बार सिरदर्द होने पर आप पेनकिलर ही खाएं. इसकी बजाय सिरदर्द के घरेलू उपायों को अपनाएं, जैसे कि दमबेल के उपयोग से भी आप सिरदर्द से आराम पा सकते हैं. इसके लिए दमबेल की जड़ों को पीसकर माथे पर लगाएं और कुछ देर लेटे रहें.
अगर आप दस्त से परेशान हैं तो राहत पाने के लिए दमबेल का उपयोग कर सकते हैं.
दमबेल की जड़ और पत्तियों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से दस्त में फायदा मिलता है. इसके अलावा दमबेल के 2-3 पत्तियों का रस निकालकर पीने से भी अतिसार में फायदा मिलता है.
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार दमबेल या लताक्षीरी के निम्न भागों का उपयोग करना चाहिए.
दमबेल के काढ़े का उपयोग 10-15 मिली की मात्रा में और इसकी जड़ों के चूर्ण का उपयोग 250-500 मिग्रा की मात्रा में करना चाहिए. यदि आप किसी गंभीर बीमारी के इलाज में इसका उपयोग करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें.
विशेष : अत्यधिक मात्रा दमबेल का सेवन करने से उल्टी आ सकती है. इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में चिकित्सक की सलाह अनुसार करना चाहिए.
दमबेल समस्त भारत में मुख्यत आसाम, बंगाल, उड़ीसा एवं दक्षिण भारत में लगभग 900 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।
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