कर्चूर (kachur) को हिन्दी में सफेद हल्दी भी कहते हैं। शायद हल्दी के इस किस्म के बारे में आपने कभी नहीं सूना होगा। पीले रंग की हल्दी तो कहीं भी मिल जाती है लेकिन सफेद हल्दी मिलना बहुत मुश्किल होता है।
पीली हल्दी के तरह ही सफेद हल्दी के फायदे (kachur ke fayde) अनगिनत हैं। आयुर्वेद में कर्चूर का प्रयोग बहुत बीमारियों के लिए औषधी के रूप में किया जाता है। चलिये इस अद्भुत कर्चूर यानि सफेद हल्दी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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कर्चूर (kachur) या सफेद हल्दी कटु, कड़वा; गर्म तासीर; लघु, तेज; रक्तपित्तकारक; वात कफ कम करने वाला, दीपन, खाने की रूची बढ़ाने वाला, हृद्य तथा ग्राही होता है। यह कुष्ठ, अर्श या बवासीर, व्रण, खांसी, श्वास, गुल्म यानि ट्यूमर, कृमिरोग, हिक्का, प्लीहा, आमदोष, अजीर्ण, अपस्मार, शूल, दुर्गंध तथा उल्टी से राहत दिलाने में मदद करती है।
इसके प्रकन्द या तना का सार सूक्ष्मजीवाणुरोधी क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है यानि बैक्टिरीया को रोकने में मदद करता है।
कर्चूर का वानास्पतिक नाम Curcuma zedoaria (Christm.) Rosc. (कुरकुमा जेडोरिआ) Syn-Amomum zedoaria Christm., Curcuma officinalis Salisb होता है। कर्चूर Zingiberaceae (जिन्जिबेरेसी) कुल का है। कर्चूर को अंग्रेजी में Zedoary root (जेडोरी रूट) कहते हैं। लेकिन भारत के विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे-
Karchur in-
Sanskrit-कर्चूर, द्राविड, काल्पिक;
Hindi-कचूर, काली हल्दी;
Urdu-कचुरा (Kachura);
Kannada-कचुरा (Kachura);
Gujrati-कचूरी (Kachuri), षड कचूरो (Shad kachuro);
Tamil-किच्छिलकिझंगु (Kichilkizhangu), चिलीकीजहंगू (Chilikizhangu);
Telegu-कचोरम (Kachoram);
Bengali-शटी (Shati), एकांगी (Ekangi), शोरी (Shori), कचूरा (Kachura);
Nepali-कचुर (Kachur), वन हलेदो (Vanhaledo);
Marathi-कचोरा (Kachora), नरकचोरा (Narakchora);
Malayalam-काच्छोलम (Kacholam), पुलक्कीझन्ना (Pulakkijhanna)।
English-व्हॉइट टरमरिक (White turmeric), सेटवाल (Setwall);
Arbi-जदवार (Zadwar), जरनबाद (Zaranbad);
Persian-कजूर (Kazhur)।
कर्चूर या सफेद हल्दी (karchar) बहुत दुर्लभ जड़ी-बूटी है लेकिन हल्दी से भी ज्यादा इसके औषधीय गुण है जिसके कारण आयुर्वेद में कई बीमारियों के लिए उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। चलिये जानते हैं वह कौन-कौन-सी बीमारियां है जिनमें कर्चूर औषधी के रूप में काम करती है।
कर्चूर (karchar) प्रकन्द को पीसकर गले में लेप करने से गले की क्षयज ग्रंथि (गांठ) कम होती है और सूजन कम होने से दर्द भी कम होता है।
कर्चूर प्रकन्द (भूमिगत तना) का काढ़ा बनाकर गरारा या कुल्ला करने से मुँह का दुर्गंध कम होता है और निकलने के कारण से भी मुक्ति मिलती (kali haldi benefits) है।
सफेद हल्दी के पौधे की गांठों के टुकड़ों को दांतों के बीच दबाकर रखने से दाँतों का दर्द तथा सूजन आदि दंत की बीमारी को कम करने में मदद मिलती है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर छाती में लेप करने से फेफड़ों की सूजन तथा सांसों की समस्या कम होती है।
कर्चूर, पिप्पली तथा दालचीनी का काढ़ा बनाकर, 10-20 मिली काढ़ा में शहद मिलाकर पीने से प्रतिश्याय (जुकाम) में लाभ होता है।
खांसी से हमेशा परेशान रहते हैं तो कर्चूर की गांठ के 1-2 टुकड़ों को मुंह में रखकर चूसने से खांसी में लाभ होता है।
कर्चूर प्रकन्द के 20-25 मिली काढ़े में 500 मिग्रा काली मिर्च, 1 ग्राम मुलेठी चूर्ण तथा 5 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से श्वास-नली का विकार कम होता है।
500 मिग्रा कर्चूर प्रकन्द चूर्ण का सेवन करने से भूख खुलकर लगती है तथा पेट का दर्द कम (kali haldi benefits)होता है।
2-5 मिली कर्चूर पत्ते के रस का सेवन करने से जलशोफ में लाभ (kali haldi benefits) होता है।
500 मिग्रा कर्चूर प्रकन्द चूर्ण का सेवन करने से प्लीहा वृद्धि में लाभ (kali haldi ke fayde) होता है।
कचूर प्रकन्द का काढ़ा बनाकर, उपदंशज के घावों को धोने से वह ठीक (kali haldi ke fayde)होते हैं।
कर्चूर (kachoor) प्रकन्द को पीसकर, हल्का गुनगुना करके अण्डकोष पर लेप करने से अण्डकोष की सूजन कम होती है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर उसमें फिटकरी मिलाकर जोड़ों में लगाने से जोड़ो का दर्द कम (kali haldi ke fayde) होता है।
कर्चूर (kachoor) प्रकन्द का रस तथा सिन्दूर के कल्क में पकाए हुए सरसों के तेल को लगाने से साइनस, दुष्टव्रण, विसर्प तथा कण्डु आदि रोगों में लाभ होता है।
कर्चूर के पत्तों अथवा प्रकन्द को पीसकर लेप करने से लसिका-वाहिनी-शोथ, रोमकूप-शोथ, ग्रन्थिशोथ (गांठ), कुष्ठ, व्रण एवं अर्बुद में लाभ होता है।
कर्चूर प्रकन्द का काढ़ा बनाकर, 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से विसूचिका या हैजा के लक्षणों से राहत मिलती है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर मुंह पर लगाने से मुँहासे मिटते हैं। इससे मुँहासो का आना कम होता है और निकलना भी कम हो जाता है।
कर्चूर प्रकन्द चूर्ण (500 मिग्रा) में शहद मिलाकर सेवन करने से अपस्मार या मिर्गी में लाभ होता है। सफेद हल्दी के उपयोग मिर्गी रोग में बहुत काम आता है।
कर्चूर की गांठों को पीसकर लेप करने से मोच में लाभ होता है। इससे मोच का दर्द और सूजन दोनों से आराम मिलता है।
कर्चूर प्रकन्द को पीसकर लेप करने से शिशुओं में होने वाला आक्षेप रोग दूर होता है। सफेद हल्दी के फायदे शिशुओं के इस रोग से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद में कर्चूर के प्रकन्द (भूमिगत तना ) तथा पत्ते का प्रयोग औषधी के लिए किया जाता है। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार कर्चूर के प्रकंद का काढ़ा 10-30 मिली, 2-4 ग्राम चूर्ण, तथा 2-5 मिली पत्ते के रस का सेवन कर सकते हैं।
यह हल्दी जाति की वनस्पति होती है। इसके पत्ते हल्दी के समान होते हैं तथा इसकी जड़ों में हल्दी की तरह गांठें होती हैं। कई विद्वान कचूर से वनहल्दी का तथा कई विद्वान सफेद हल्दी का ग्रहण करते हैं; परन्तु वनहल्दी एवं कालीहल्दी दोनों कचूर से भिन्न अलग-अलग पौधे हैं। वनहल्दी को Curcuma aromatica Salisb. कहते हैं।
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