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Krishnasariva: बहुत गुणकारी है कृष्णसारिवा- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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कृष्णसारिवा का परिचय (Introduction of Krishnasariva)

क्या आपको पता है कि कृष्ण सारिवा (anantmool plant in hindi) क्या है और कृष्ण सारिवा का प्रयोग किस काम में किया जाता है? नहीं ना! दरअसल बहुत सारे लोगों को कृष्ण सारिवा के फायदे के बारे में जानकारी ही नहीं है और इसलिए वे कृष्ण सारिवा का उपयोग नहीं कर पाते  हैं। कृष्णसारिवा एक बहुत ही गुणी औषधि है और कृष्णसारिवा का प्रयोग बीमारियों के इलाज में किया जाता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में कृष्ण सारिवा के उपयोग से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।

आप कृष्णसारिवा का प्रयोग कर खुजली, कुष्ठ रोग, बुखार में लाभ पा सकते हैं। इसके अलावा आप कृष्णसारिवा का इस्तेमाल डायबिटीज, उल्टी, अत्यधिक प्यास लगने की समस्या और रक्त विकार (anantmool ke fayde) में भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, सासों की बीमारी, खांसी, दस्त और बिच्छू या सांप के काटने पर भी कृष्णसारिवा का उपयोग लाभदायक होता है।

कृष्णसारिवा क्या है (What is Krishnasariva?)

कृष्णसारिवा (anantamul plant) की लता सदा हरी रहती है। यह लम्बी, आरोही लता होती है। इसकी छाल श्यामले रंग की होती हैं तथा शाखाएँ लाल-भूरे रंग की होती हैं। इसके फूल सुगन्धित, हरे-सफेद अथवा बैंगनी वर्ण के होते हैं। इसकी फली बेलनाकार, पतली, 10-15 सेमी लम्बी, 4 सेमी चौड़ी होती हैं। इसमें दो-दो फलियां एक साथ होती हैं।

अनेक भाषाओं में कृष्णसारिवा के नाम (Krishnasariva Called in Different Languages)

कृष्ण सारिवा (anantmul) का वानस्पतिक नाम Ichnocarpus frutescens (Linn.) W.T.Aiton (इक्नोकार्पस प्रफूटेसेन्स) Syn-Apocynum frutescens Linn. है और यह Apocynaceae (एपोसाइनेसी) कुल का है। कृष्णसारिवा को देश या विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Krishna Sariva in –

  • Hindi (anantmool in hindi) – कालीसर, काली अनन्तमूल, दुधलता
  • English – श्रॅबी इक्नोकार्पस (Shrubby Ichnocarpus), Black creeper (ब्लैक क्रीपर)
  • Sanskrit – श्यामा, गोपी, कृष्णसारिवा, गोपवधू
  • Oriya – सोयमनोई (Soyamnoi), माधोबी (Madhobi)
  • Assamese – दूधकुरी आयोटा (Dudhkuri iota)
  • Konkani – कांटेभोरी (Kantebhouri)
  • Kannada – गोरवीबल्ली (Gorwiballi), करीहम्बु (Karihambu)
  • Telugu – इलुकट्टे (Illukatte)
  • Tamil – उदरगोडी (Udargodi), परावल्ली (Paravalli), इलुकट्टे (Illukatte)
  • Bengali – सियामलाता (Syamalata), श्यामलता (Shyamalata), दूधी (Dudhi)
  • Nepali – नेल्लाटीगा (Nellateaga), दुधे लहरा (Dudhe lehra)
  • Marathi – कृष्णसारवा (Krishnasarwa), कांटेभौरी (Kantebhouri)
  • Malayalam – पलवल्ली (Palvalli)

कृष्णसारिवा के औषधीय गुण (Krishnasariva Benefits and Uses in Hindi)

कृष्णसारिवा के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

सिर के रोग में कृष्णसारिवा का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Krishnasariva in Relief from Headache in Hindi)

कृष्णसारिवा के पत्ते को तेल में पकाकर छान लें। इसे लगाने से सिर से जुड़े विकारों में लाभ होता है।

रतौंधी में कृष्णसारिवा के प्रयोग से लाभ (Uses of Krishnasariva to Treat Night Blindness in Hindi)

कृष्णसारिवा (anantmool) पौधे के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे आंखों को धोने से रतौंधी में लाभ होता है।

आंखों की बीमारी में कृष्णसारिवा का उपयोग लाभदायक (Krishnasariva Cures Eye Disease in Hindi)

कृष्णसारिवा के पौधे से निकाले गए दूध को आंखों पर लगाएं। इससे आंखों की सूजन की समस्या ठीक होती है।

मुंह की बीमारी में कृष्णसारिवा से फायदा (Benefits of Krishnasariva in Oral Disease Treatment in Hindi)

कृष्णसारिवा पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करने से दांतों से होने वाला रक्तस्राव और जिह्वा के सूजन की समस्या ठीक होती है।

पार्किंसन रोग में कृष्णसारिवा के उपयोग से लाभ (Krishnasariva Benefits in Treating Convulsions Disease in Hindi)

कृष्ण सारिवा (anantamul plant) की जड़ का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में पीने से अंगों के ऐंठन या अकड़न की बीमारी में लाभ होता है।

गले के रोग में कृष्णसारिवा से लाभ (Uses of Krishnasariva in Cure Throat Disease in Hindi)

कृष्णसारिवा पंचांग को पीसकर लेप करने से कंठ के रोग जैसे कंठ के सूजन की परेशानी ठीक होती है।

और पढ़ें: कंठ रोग में वन तुलसी के फायदे

अपच की समस्या में कृष्णसारिवा के सेवन से फायदा (Krishna sariva Uses in Indigestion in Hindi)

कृष्णसारिवा (anantmool) की जड़ के चूर्ण (1-2 ग्राम) में बराबर मात्रा में सारिवा चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से अपच की समस्या ठीक होती है।

भूख बढ़ाने के लिए कृष्णसारिवा का प्रयोग (Benefits of Krishna sariva in Increasing Appetite in Hindi)

1-2 ग्राम कृष्ण सारिवा की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से भूख बढ़ती है।

पेचिश में कृष्णसारिवा का इस्तेमाल (Krishna sariva Benefits to Stop Dysentery in Hindi)

कृष्णसारिवा पंचांग का चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेचिश में लाभ होता है।

कृष्णसारिवा से बवासीर का इलाज (Krishnasariva Uses in Piles Treatment in Hindi)

कृष्णसारिवा की जड़ के चूर्ण (1-2 ग्राम) का सेवन दही या छाछ के साथ करें। इससे बवासीर में लाभ (anantmool ke fayde) होता है।

पथरी की बीमारी में कृष्णसारिवा का सेवन (Uses of Krishna sariva in Cure Stone Disease in Hindi)

पथरी की समस्या हो तो कृष्ण सारिवा की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करें। आपको कृष्ण सारिवा चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करना है। इससे पथरी की समस्या ठीक होती है।

कृष्णसारिवा के सेवन से डायबिटीज में लाभ (Benefits of Krishnasariva in Fighting with Diabetes in Hindi)

कृष्ण सारिवा की जड़ के चूर्ण का दूध के साथ सेवन करने से डायबिटीज में भी लाभ होता है।

पेशाब में खून आने, तिल्ली के बढ़ने की बीमारी में कृष्णसारिवा का प्रयोग (Krishna sariva Benefits to Treat Urinal and Spleen Disease in Hindi)

कृष्णसारिवा पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से प्लीहावृद्धि (तिल्ली का बढ़ना), रक्तमूत्रता (पेशाब में खून आना) में लाभ होता है।

सुजाक में कृष्णसारिवा से फायदा (Uses of Krishnasariva in Gonorrhea Treatment in Hindi)

कृष्ण सारिवा पंचांग (anantamul plant) का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में सेवन करें। इससे सुजाक में लाभ होता है।

ल्यूकोरिया में फायदेमंद कृष्णसारिवा का उपयोग (Krishnasariva Uses in Cure Leucorrhea in Hindi)

ल्यूकोरिया में भी कृष्ण सारिवा का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। इसके लिए 1-2 ग्राम कृष्ण सारिवा की जड़ के चूर्ण का सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया तथा सिफलिस रोग में लाभ (anantmool ke fayde) होता है।

प्रसव के बाद स्तनों को स्वस्थ बनाती है कृष्णसारिवा (Krishnasariva is Beneficial for Post Pregnancy Breast Disorder in Hindi)

15-30 मिली कृष्ण सारिवा की जड़ के काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से प्रसव के बाद होने वाली स्तन संबंधित विकार में लाभ होता है।

गठिया में कृष्ण सारिवा से फायदा (Uses of Krishna sariva in Arthritis Treatment in Hindi)

कृष्णसारिवा को पीसकर लेप करने से गठिया में लाभ होता है।

घाव सुखाने के लिए करें कृष्ण सारिवा का इस्तेमाल (Krishna sariva Uses in Healing Wound in Hindi)

कृष्ण सारिवा के पत्ते को तेल में पकाएं और इसे अंगुली के बीच होने वाले घाव में लगाएं। इससे घाव ठीक हो जाता है।

फाइलेरिया में कृष्ण सारिवा का उपयोग फायदेमंद (Benefits of Krishna sariva in Cure Filariasis in Hindi)

कृष्ण सारिवा (anantamul plant) की जड़ का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में पीने से फाइलेरिया और श्लीपद एवं आक्षेप में लाभ होता है।

रोम छिद्र विकार में कृष्णसारिवा का प्रयोग लाभदायक (Krishna sariva Uses in Cure Skin Pore Disease in Hindi)

कृष्ण सारिवा (anantmool) की जड़ को पीसकर लगाने से रोम छिद्र की सूजन ठीक होती है।

बुखार उतारने के लिए करें कृष्णसारिवा का इस्तेमाल (Uses of Krishnasariva in Fighting with Fever in Hindi)

कृष्ण सारिवा के पत्ते, डंठल सहित पत्ते और जड़ा का काढ़ा बना लें। इसकी 10-30 मिली मात्रा में सेवन करने से बुखार ठीक होता है।

इसके पत्ते को तेल में पकाकर प्रयोग में लाने से बुखार उतर जाता है।

सूजन की समस्या में कृष्णसारिवा से लाभ (Krishna sariva Reduces Swelling in Hindi)

कृष्ण सारिवा के पत्ते को पीसकर गुनगुना करके सूजन वाली स्थान पर लगाएं। इसे कीड़ों के कारण होने वाली सूजन ठीक हो जाती है।

कीड़े-मकौड़ों के काटने पर कृष्णसारिवा से फायदा (Krishna sariva is Helpful in Insect Biting in Hindi)

कृष्ण सारिवा पंचांग को पीसकर कीड़े-मकौड़े के काटने वाले स्थान पर लगाने से जहर का असर उतर (anantmool ke fayde) जाता है।

कृष्णसारिवा के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Krishna sariva)

पत्ते

जड़

पंचांग

कृष्णसारिवा के प्रयोग की मात्रा (How Much to Consume Krishnasariva?)

जड़ से बना काढ़ा – 10-30 मिली

जड़ का चूर्ण – 1-2 ग्राम

पंचांग से बना काढ़ा – 15-30 मिली

अधिक लाभ के लिए कृष्णसारिवा का प्रयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।

कृष्णसारिवा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Krishnasariva Found or Grown?)

कृष्णसारिवा (anantamul plant) भारत के हिमालयी क्षेत्रों में 1200 मीटर की ऊँचाई तक तथा बंगाल, आसाम, तमिलनाडू और केरल आदि क्षेत्रों में पाई जाती है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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