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शायद आप सोच रहे होंगे कि प्याज तो सुना है लेकिन जंगली प्याज क्या होता है? लेकिन जंगली प्याज के फायदे आयुर्वेद में बहुत सारे हैं। आयुर्वेद में प्याज का इस्तेमाल कई तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रुप में किया जाता है।
आज भी गांव में लोग जंगली प्याज का इस्तेमाल जोड़ो का दर्द कम करने के लिए करते हैं। इसके अलावा आयुर्वेद में जंगली प्याज का इस्तेमाल सांस नली में सूजन, घाव, कृमि रोग, पेट के रोग आदि बीमारियों के लिए उपचार के रुप में किया जाता है। तो चलिये इस जंगली प्याज के बारे में विस्तार से जानें।
जंगली प्याज कंद (bulb) वाला शाकीय पौधा होता है। इसके शल्क कन्द नाशपाती आकार का होता है तथा स्वाद में यह तीखा होता है। जंगली प्याज जून से सितम्बर तक फलता और फूलता है।
जंगली प्याज प्रकृति से कड़वा, तीखा और गर्म तासीर का होता है। इसके सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ती है। यह कृमिरोग, उल्टी, कुष्ठ तथा विष के असर को कम करने में सहायता करता है। इसके अलावा यह वात को तो कम करता है लेकिन पित्त को बढ़ाता है। जंगली प्याज कफ निकालने और सूजन कम करने में भी सहायक होता है।
जंगली प्याज का वानास्पतिक नाम Urginea indica (Roxb.) Kunth (अर्जीनिया इण्डिका) Syn-Urginea senegalensis Kunth है। जंगली प्याज Liliaceae (लिलिएसी) कुल का होता है। जंगली प्याज को अंग्रेजी में Indian squill (इण्डियन सिक्विल) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में जंगली प्याज को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Jangali Pyaj in-
Sanskrit-कोलकन्द, वनपलांडु;
Hindi-वन कांदा, जंगली प्याज;
Urdu-जंगली प्याज (Jangali piyaz);
Kannada–अडविरिरुल्ली (Adavirirulli);
Gujrati-जंगली कांदो (Jangli kando), पाण कंदो (Pann kando);
Tamil-नारी वेंगायम (Nari vengayam);
Telegu-अडवितेला गड्डा (Advitela gadda), नकावल्लीगड्डा (Nakavalligadda);
Bengali-कांदा (Kanda), जंगली प्याज (Jangli pyaz);
Nepali-वनप्याज (Vanpayaz);
Punjabi-फाफोर (Phaphor);
Marathi-रानकांदा (Rankanda), कोलकांदा (Kolkanda);
Malayalam-कट्टुल्ली (Kattulli)।
English-इण्डियन स्क्विल (Indian squill);
Arbi-उन्सुले हिंदी (Unsule hindi), बसफलाफार-ए-हिन्दी (Basullafar-e-hindi);
Persian-प्याज ए दश्त ए हिन्दी (Pyaz e dast e hindi), पियाज सहराई (Piyaz sahrai)
ब्रोंकाइटिस में मुँह, नाक और फेफड़े के बीच का हवा का मार्ग सूज जाता है। विशेष रुप से ब्रोंन्कियल ट्यूब्स के लाइनिंग में सूजन आ जाती है। जंगली प्याज के रस से बने सिरप का सेवन करने से ये सूजन कम हो जाता है।
बच्चों को सबसे ज्यादा कृमि रोग होता है। वन पलाण्डु का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पीने से पेट में जो कृमि होता है वह नष्ट हो जाता है। कृमि के कारण जो पेट में दर्द होता है उससे भी राहत मिलती है।
जंगली प्याज का काढ़ा बनाकर 20 मिली मात्रा में पीने से पेट संबंधी सामान्य समस्याओं में लाभ मिलता है।
जंगली प्याज के कंद का काढ़ा बनाकर पीने से किडनी के बीमारी में तथा अश्मरी या किडनी स्टोन को तोड़कर निकालने में बहुत मदद मिलती है।
अगर गर्भाशय या यूटेरस से ब्लीडिंग हो रहा है तो जंगली प्याज का प्रयोग बहुत लाभकारी होता है। इसका प्रयोग गर्भाशयगत रक्तस्राव की चिकित्सा में किया जाता है।
आजकल अर्थराइटिस की परेशानी किसी भी उम्र में हो जाती है। जंगली प्याज के कंद को पीसकर त्वचा में लगाने से आमवात के दर्द से आराम मिलता है।
अगर किसी कारण एलर्जी के रुप में खुजली हो गया है तो जंगली प्याज का इस तरह से प्रयोग करने पर बहुत लाभ मिलता है। जंगली प्याज के कंद को पीसकर त्वचा में लगाने से जोड़ो का दर्द और खुजली दोनों में आराम मिलता है।
कई बार ऐसा होता है कि अल्सर का घाव ठीक होने का नाम ही नहीं लेता है। जंगली प्याज घाव को ठीक करने और भरने में सहायता करता है। जंगली प्याज का काढ़ा बनाकर व्रणों को धोने से घाव जल्दी ठीक होता है।
आयुर्वेद में जंगली प्याज का इस्तेमाल शल्ककंद के रूप में किया जाता है।
बीमारी के लिए जंगली प्याज के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए जंगली प्याज का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से मिचली (उत्क्लेश), मूत्र से खून आना, दिल का दौरा एवं मृत्यु भी हो सकती है। इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्शानुसार ही किया जाना चाहिए।
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