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चेहरे से सफ़ेद दाग हटाने के लिए घरेलू नुस्खे : Home Remedies for White Patches on Face

    यह एक ऑटो इम्यून डिज़ीज़ है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्य प्रणाली में होने वाली गड़बड़ी का परिणाम है। ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाले मेलेनोसाइट्स नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, नतीजतन त्वचा पर सफेद धब्बे नज़र आने लगते हैं।

    white patches on face

    सफ़ेद दाग क्या होते हैं? (What is White Patches?)

    वैसे तो सभी प्रकार के त्वचा रोग त्रिदोषज होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा कर तदानुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से उभरा एवं बढ़ा हुआ देखे तो उसकी चिकित्सा पहले करें पर प्राय: ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं। आमतौर पर यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है। इसके अलावा शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नज़र आ सकते हैं। यह आम समस्या है जिसके कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल सका है। फिर भी चिकित्सा द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कई बार यह जेनेटिकल कारणों से भी हो सकती है पर ये छूने से दूसरों को संक्रमित नहीं होते हैं। कुछ लोग इसे कुष्ठ रोग यानी लेप्रेसी की शुरुआती अवस्था मानकर इससे बहुत ज्यादा भयभीत हो जाते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। लेप्रेसी से इसका कोई संबंध नहीं है। यह एक प्रकार का चर्म रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता और यूरोपीय देशों में इतना आम है कि वहां इसे रोग की श्रेणी में भी नहीं माना जाता है। चिकित्सा के दौरान डॉक्टर रोगी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचने की सलाह देते हैं। कई बार एक से डेढ़ साल तक की अवधि में यह बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में जरूरी नहीं है कि यह ठीक भी हो। विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है, दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है।

    विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है।

    इसमें दाग का रंग फीका पड़ा हुआ या गहरा, उसके आकार पर निर्भर करता है, जिसके कुछ प्रकार शामिल हैं-

    शरीर के सिर्फ एक हिस्से या किसी एक भाग में- विटिलिगो के इस प्रकार को सेगमेटल विटिलिगो (Segmental vitiligo) कहा जाता है, यह खासतौर पर कम उम्र में ही हो जाता है जो एक या दो साल तक बढ़ता है फिर कम हो जाता है।

    शरीर के एक हिस्से या सिर्फ कुछ हिस्सों में- इस प्रकार के विटिलिगो को स्थानीपकृत (Localized/Focal)विटिलिगो कहा जाता है।

    शरीर के कई हिस्से में- सफेद दाग के सबसे सामान्य प्रकार को सामान्यकृत विटिलिगो (Generalized vitiligo) कहा जाता है, इसमें शरीर के किसी भाग पर हुए सफेद दाग शरीर के अन्य भागों में फैलने लगते हैं।

    म्यूकोजलविटिलिगो- जब सफेद दाग, होंठ, आंखों की पलकों, जननांग, गुदा आदि में होते हैं, अर्थात् जिस स्थान पर चमड़ी व म्यूकस मैम्ब्रेन आपस में मिलता है।

    एक्रोफेसियलविटिलिगो- इसमें सफेद दाग चेहरे, सिर तथा हाथ पर दिखाई देते हैं।

    यूनिवर्सलविटिलिगो- शरीर के अधिकतर भागों पर सफेद दाग दिखाई देते हैं। शरीर के बाल भी सफेद हो जाते हैं तथा रोग तेजी से बढ़ता है।

     

    सफेद दाग क्यों होते हैं? (Causes of White Patches)

    सफेद दाग होने के बहुत सारे कारण होते हैं, जिनमें कुछ निम्नलिखित हैं-

    • फैमिली हिस्ट्री, यानी अगर पैरेंट्स सफेद दाग से पीड़ित रहे हैं तो बच्चों में इसके होने की आशंका रहती है। हालांकि ऐसे मामले 2 से 4 फीसदी ही होते हैं।
    • एलोपेशिया एरियाटा (Alopecia Areata) यानी वह बीमारी, जिसमें छोटे-छोटे गोले के रूप में शरीर से बाल गायब होने लगते हैं। सफेद दाग मस्से या बर्थ मार्क (Halo Nevus) से। मस्सा या बर्थ मार्क बच्चे के बड़े होने के साथ-साथ आस-पास की स्किन का रंग बदलना शुरू कर देता है।
    • केमिकल ल्यूकोडर्मा (Chemical Leucoderma) यानी खराब क्वॉलिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल इस्तेमाल करने से।
    • ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है। कीमोथेरेपी से भी इसकी आशंका रहती है।
    • थाइरॉइड संबंधी बीमारी होने पर।
    • कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनरल्स की कमी से भी सफेद दाग की समस्या हो जाती है। संतुलित डायट न लेने की वजह से शरीर की त्वचा के रंग से थोड़े हल्के रंग के दाग हो सकते हैं। ये दाग पूरी तरह सफेद नहीं दिखते।
    • कई बार किसी फंगल संक्रमण के परिणामस्वरूप भी त्वचा पर सफेद दाग की समस्या होती है।
    • त्वचा में सफेद दाग तब बनने लगते हैं जब रंग उत्पादन करने वाली कोशिका जो हमारे बाल, त्वचा, होंठ आदि को रंग प्रदान करती है वह काम करना बंद कर देती है या नष्ट हो जाती है। इस रोग में दाग की त्वचा का रंग हल्का पड़ जाता है या सफेद हो जाता है। इस बारे में अभी तक चिकित्सक भी नही जान पाये कि ये कोशिका काम करना क्यों बंद कर देती है। आमतौर इस इसको कुछ कारणों से जोड़ा जाता है जैसे-
    • एक ऐसा विकार होना जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) खुद रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।
    • स्व प्रतिरक्षा रोग (Autoimmune disease) जैसे स्वप्रतिरक्षित थायरॉइड रोग या टाईप 1 डायबीटीज का प्रभाव।
    • त्वचा का अधिक धूप (सनबर्न) तनाव या औद्योगिक केमिकल आदि के संपर्क में आना।
    • परिवार में किसी अन्य को यह बीमारी होना (अनुवांशिकता)।
    • लीवर रोग।
    • जलने या चोट लगने से।
    • पाचन तंत्र खराब होने से।
    • शरीर में कैल्शियम की कमी होना।
    • बच्चों के पेट में कृमि।

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    सफेद दाग होने के लक्षण (Symptoms of White Patches)

    symptoms of white patches on face

    सफेद दाग होने के अलावा बहुत सारे लक्षण होते हैं जो निम्नलिखित हैं-

    • सफेद दाग की पहचान में सबसे शुरुआती लक्षण है, त्वचा का रंग फीका पड़ना और उस जगह पर बाल भी सफेद होना।
    • शरीर पर अगर सफेद दाग हो जाये और उसके बाद कहीं चोट लगे और वो जगह भी सफेद हो जाये तब आपको समझ जाना चाहिए कि ये समस्या तेजी से शरीर में बढ़ रही है।
    • ल्यूकोडर्मा का रोग कोई सरलता से ठीक होने वाला रोग नहीं है और न ही ये छूने से फैलता है। आयुर्वेदिक तरीके से उपाय करके इस समस्या को ठीक कर सकते हैं।

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    सफेद दाग से बचने के उपाय (Prevention Tips for White Patches)

     सफेद चकतों या दाग को दूर करने के लिए सबसे जरूरी अपनी जीवनशैली और खान-पान में परिवर्तन करना है। जैसे-

    आहार-

    क्या खायें-

    फल अंगूर, अखरोट, खुबानी, खजूर, पपीता।

    सब्जियां – मूली, गाजर, चुकंदर, मेथी, पालक, प्याज, फलियाँ।

    और पढ़ें: पालक के फायदे

    अन्य खाद्य पदार्थ – गेहूँ, आलू, देशी घी, लाल मिर्च, बंगाली चना, गुड़, पिस्ता, बादाम।

    और पढ़ें: पिस्ता के फायदे

    क्या न खायें-

    फल तरबूज, खरबूजा, संतरा, करौंदा, सूखा आलूबुखारा, काजू, सीताफल, अमरूद।

    सब्जियां – इमली, लहसुन, बैंगन, नींबू, टमाटर, अजमोदा, पपीता।

    दूध उत्पाद – छाछ, दूध, दही या छेना।

    मांसाहारी भोज्य पदार्थ – मछली, लाल मीट।

    अन्य खाद्य पदार्थ – जंक फूड, चॉकलेट, कॉफी, कार्बोनेट पेय पदार्थ, चिकनी तीखी और मसालेदार चीजें।

    जीवनशैली-

    -साबुन और डिअरजेंट का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।

     

    सफेद दाग के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for White Patches on Face)

    सामान्यतः सफेद दाग की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से सफेद दाग की समस्या से राहत पाया जा सकता है-

    तांबे के बर्तन से पानी पीने से सफेद दाग से मिलती है राहत (Intake of Water in Copper Vessel Beneficial for White Patches on Face in Hindi)

    जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करने से ज्यादा फायदा मिलता है। 

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    हल्दी और सरसों का तेल सफेद दाग से राहत दिलाने में फायदेमंद (Turmeric and Mustard Oil Beneficial for White Patches on Face in Hindi)

    Turmeric and Mustard oil for white patches

    हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर बनाया गया मिश्रण दाग वाली जगह लगाने से राहत मिलती है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे आराम मिलेगा।

    नीम की पत्ती और शहद सफेद दाग से राहत दिलाने में फायदेमंद (Neem and Honey Beneficial for White Patches on Face in Hindi)

    Neem for white patches

    नीम की ताजी कोपल का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें। एक बड़ी चम्मच नीम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन आप उम्रभर भी कर सकते हैं। इसके अलावा दो चम्मच अखरोट पाउडर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को दाग वाली जगह पर 20 मिनट तक लगाकर रखें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें।

    बथुआ सफेद दाग से राहत दिलाने में फायदेमंद (Bathua Beneficial for White Patches on Face in Hindi)

    सफेद दाग से ग्रस्त व्यक्ति को रोज बथुआ की सब्जी खानी चाहिए। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन से चार बार धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकालकर उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तो उसे उतारकर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें।

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    डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)

    अगर सफेद दाग के समस्या को शुरुआती दौर में पकड़ना चाहते हैं तो हल्का-सा दाग होने पर डॉक्टर के पास जाएं। लोग अक्सर इसे कैल्शियम या आयरन की कमी से पैदा हुई समस्या मानकर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। एक्सपर्ट वुट लैंप (Wood Lamp) टेस्ट के जरिए देखते हैं कि समस्या सफेद दाग की है या नहीं। इसके लिए अंधेरे कमरे में दाग पर खस तरह की लाईट डालकर चेक करते हैं। इस टेस्ट के लिए कंसल्टेंसी फीस के अलावा अलग से कोई रकम नहीं ली जाती।

    इस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में निदान करवाकर उचित चिकित्सा लेनी चाहिए। इस रोग को पूरी तरह से निरोग करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से बचना चाहिए।

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