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इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण, कारण और घरेलू उपचार: Home Remedies for Irritable Bowel Syndrome (IBS)

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) एक आम बीमारी है और यह बड़ी आंत (large intestine) को प्रभावित करती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द एवं मरोड़ होना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होना इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) के मुख्य लक्षण है। यदि लम्बे समय तक इस समस्या को अनदेखा किया गया तो यह अधिक गम्भीर हो सकती है। कुछ मामलों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की आंत भी क्षतिग्रस्त (intestine) हो सकती है। हालांकि यह बहुत सामान्य नहीं होता है। शुरूआत में खान-पान, जीवनशैली में बदलाव एवं तनाव कम करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का खतरा नहीं होता है लेकिन यह बीमारी दैनिक दिनचर्या को अधिक प्रभावित करती है। इस कैंसर रहित बीमारी के मरीजों में इसके लक्षण, घातक और सामान्य दोनों ही तरीकों से नजर आ सकते हैं। एक ओर जहां कुछ रोगियों में लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उन्हें पता भी नहीं चल पाता, वहीं दूसरी ओर कुछ मरीजों में इससे बहुत-सी शारीरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। यह बीमारी घातक नहीं होती और इलाज द्वारा इसे ठीक भी किया जा सकता है। इस बीमारी का इलाज, इस बात पर निर्भर करता है कि आंत का कौन सा हिस्सा इससे प्रभावित है और रोगी में इसके लक्षण कितने ज्यादा या कम नजर आ रहे हैं। यह परेशानी पुरुषों से ज्यादा महिलाओ में होती है।

    irritable bowel syndrome

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम पाचन तंत्र के काम में लम्बे समय से या बार-बार हो रहे परिवर्तनों के कारण समस्या पैदा होती है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम कोई रोग नहीं है, बल्कि यह एक साथ होने वाले कई लक्षणों का समूह है। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) कम से कम 1015 प्रतिशत वयस्कों को प्रभावित करता है।

     

    Contents

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्या होता है? (What is Irritable Bowel Syndrome (IBS)?

    रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कई कारण हैं। आंत की मांसपेशियों में संकुचन (Contractions) हमारे आंत की दीवार मांसपेशियों की परत से मिलकर बनी होती है। जब हम भोजन करते हैं तो भोजन को पाचन तंत्र में भेजने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, लेकिन जब मांसपेशियां सामान्य से अधिक सिकुड़ (Contract) जाती हैं तो पेट में गैस बनने लगती है और सूजन आ जाती है जिसके कारण आंत कमजोर हो जाती है और भोजन को पाचन तंत्र में भेज नहीं पाती है। इसके कारण व्यक्ति को डायरिया होने लगता है और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या हो जाती है।

    अधिकतर रोगियों में तनाव के समय यह समस्या अधिक रहती है। तनाव होने पर आम तौर पर एड्रिनल ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोनों का स्राव होता है। तनाव की वजह से पूरे पाचन तंत्र में जलन होने लगती है जिससे पाचन नली में सूजन आ जाती है और इन सबका नतीजा यह होता है कि पोषक तत्वों का शरीर के काम आना कम हो जाता है। महिलाओं में हार्मोनल बदलाव भी इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की वजह से हो सकता है। कई महिलाओं में यह समस्या माहवारी के दिनों के आस-पास बढ़ जाती है। संवेदनशील कोलन या कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह समस्या पैदा हो सकती है। कई बार पेट में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम हो सकता है। माइल्ड सेलिएक डिजीज से आंतों को नुकसान पहुँचने के कारण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण उभरने लगते हैं।

     

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of  Irritable Bowel Syndrome)

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग दिखायी देते हैं। आपको बता दें कि मल के साथ खून आना इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण नहीं है। मल के साथ खून निकलना (Bleeding), लगातार दर्द होना और बुखार रहना हेमोरॉइड (hemorrhoids) और अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण हैं, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण निम्न हैं-

    constipation symptoms of IBS

    कब्ज या दस्त-इस बीमारी में व्यक्ति को दस्त या कब्ज की समस्या होती है जो कम या ज्यादा हो सकती है। कई बार दस्त सामान्य और कई बार रक्त के साथ होते हैं। हालांकि घरेलू उपचार की मदद से इससे आराम मिल जाता है लेकिन कुछ समय के बाद समस्या फिर से शुरू हो जाती है। यदि रोगी के मल में रक्त आना शुरू हो जाता है तो उसे एनीमिया भी हो सकता है।

     

    वजन कम होना-इस बीमारी में मरीज का वजन कम होना बेहद ही आम होता है। खासकर अगर बीमारी के दौरान दस्त की समस्या हो जाये तो उसके शरीर में पानी की कमी की समस्या भी पैदा हो जाती है।

    और पढ़े- वजन कम करने का डायट

    भूख में कमीइरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या होने पर मरीज को भूख कम लगने लगती है और कभी-कभी तो उसका जी भी मिचलाने लगता है।

    पेट में ऐंठन और दर्द-इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के रोगियों में पेट में दर्द या ऐंठन होना सबसे आम लक्षण होता है। हालांकि कभी-कभी यह इतना हल्का होता है कि मरीज को पता हीं नहीं लगता कि कइसका कारण क्या है और वह इसका उपचार सामान्य पेट दर्द समझ कर ही करता है।

     

    बुखार-कभी-कभी इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के मरीज को हल्का या तेज बुखार भी हो जाता है।

    पेट में कब्ज होना। गंभीर रूप से डायरिया से पीड़ित होना। पेट के निचले हिस्से में दर्द और मरोड़ होना, भोजन करने के बाद पेट में मरोड़ और दर्द अधिक बढ़ जाना। पेट में अधिक गैस बनना और सूजन होना सामान्य से अधिक पतला या सूखा मल (hard stool) निकलना। पेट चिपक जाना। पेट में अलग-अलग तरह से मरोड़ और दर्द होना। मल में श्लेष्म (mucus) निकलना। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से पीड़ित कुछ लोगों को पेशाब या यौन संबंधी (Sexual issues) समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या होने पर, इस तरह के लक्षण नजर आते हैं। भले ही इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम एक घातक बीमारी नहीं है लेकिन हो यदि इसे नजरअंदाज किया जाए तो इससे होने वाली अन्य समस्याएं रोगी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन खराब होने के संकेत देने लगता है। वहीं कुछ मरीजों में इन लक्षणें के अलावा, जी मिचलाना, मल में असामान्य तरल निकलना जैसे लक्षण भी देखे जाते हैं।

    और पढ़े-दस्त (लूज मोशन) के कारण, लक्षण, घरेलू उपचार और परहेज

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम क्यों होता है? (Causes of Irritable Bowel Syndrome)

    अधिकतर रोगियों में तनाव के समय यह समस्या अधिक रहती है। जैसे नए जॉब के शुरुआती दिन, इंटरव्यू के पहले, कोई दूसरा तनाव का कारण जिसके लिए मरीज संवेदनशील है। व्यक्तित्व विकार, अवसाद, चिंता, यौन शोषण और घरेलू हिंसा का इतिहास आंत्र सिंड्रोम विकसित करने के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। आँतों से सम्बंधित ये गतिविधियां मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। ये नियंत्रण भी सुचारू नहीं रह जाता। इसलिए इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम को मस्तिष्क-आंत विकार (ब्रेन-गटडिसऑर्डर) कहा जाता है।

    कुछ मरीजों में एक निश्चित तरह के खाद्यपदार्थ के सेवन से परेशानी बढ़ती है, जैसे चॉकलेट, फूल गोभी, दूध, बीन्स शराब गैस युक्त पेय चॉकलेट्स चाय और कॉफी प्रोसेस्ड स्नैक्स वसायुक्त आहार तले हुए आहार के कारण पेट में गैस बनता है जिसके कारण पेट में अधिक तनाव उत्पन्न होता है और मल कड़ा हो जाता है। इसके कारण पेट में दर्द शुरू हो जाता है और भोजन भी आसानी से नहीं पच पाता। परिणामस्वरूप व्यक्ति के आंत में इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है। इसी कारण से पेट में दर्द होता है और आंत में बैक्टीरिया या वायरस की संख्या बढ़ जाने से पेट में हलचल शुरू हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या हो जाती है।

     

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से बचने के उपाय और सावधानियां (Prevention or Precaution Tips for  Irritable Bowel Syndrome)

    इस रोग में पाचन शक्ति मंद रहती है, इसलिए जब आप कम खायेंगे तो पाचन तंत्र प्रभावी तरीके से काम कर पायेगा रोग ठीक होने तक भर पेट खाना न खाएं, भूख से अधिक भी कभी नही खाएं तीन रोटी की भूख है तो ढाई रोटी ही खायें।

    एक समय के आहार में केवल एक अनाज और एक दाल या सब्जी ही लें। रोटी और चावल दोनों को इकट्ठे खाने की कोई आवश्यकता नहीं। एक आहार में या तो चावल खाईये या फिर केवल रोटी। जब आप ऐसा करेंगे तो पाचन तंत्र पर अधिक दबाव नहीं पड़ेगा। भांति-भांति के व्यंजन पचाने के लिये आपके तंत्र को भांति-भांति के एंजाइम बनाने पड़ते हैं और जब एंजाइम बनने में कमी रह जायेगी तो आपका भोजन भी सही से नहीं पचेगा। ब्याह-शादियों या अन्य दावतों में भी इस नियम का पालन करें। चुन लें कि आपको कौन-से एक अनाज और एक दाल सब्जी या अन्य व्यंजन लेना है।

    दही या मट्ठा (छाछ) का उपयोग- इनका उपयोग भोजन के अंत में ही करें। पहले कभी नहीं। खाली पेट दही या मट्ठा का उपयोग करने से एसिडिटी और अफारा बढ़ जाया करते हैं क्योंकि हमारे आमाशय का तेजाब दही के लाभकारी बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है और खाली पेट लिया दही या मट्ठा केवल एसिडिक आहार बनकर आपके कष्ट को बढ़ा देता है। दही या मट्ठा में PBF मिला कर लेंगे तो लाभकारी बैक्टीरिया जल्दी बढ़ेगा और राहत भी जल्दी मिलेगी।

    मसाले मिर्च- मसालों में जीरा, काली मिर्च, अदरक, धनियां, दालचीनी, सौंफ, मेथी, जावित्री, लोंग, जायफल, अजवायन इत्यादि सभी आपके लिए लाभकारी हैं। केवल लाल और हरी मिर्च से बचें या कम खाएं। लाल और हरी मिर्च को छोड़कर सभी प्रकार के मसाले आपके लिए लाभकारी हैं।

    कितनी बार खाना चाहिए-रोग ठीक होने तक रोजाना केवल दो या तीन बार ही आहार लें। प्रातराश (Breakfast), दोपहर का भोजन (Lunch), और रात्रि का भोजन (Dinner), दो आहारों के बीच कम से कम चार घण्टे का अंतराल रखें।

    बार-बार के खाने से बचें-दो आहारों के अंतराल में स्नैक्स जैसे बिस्कुट, नमकीन इत्यादि से भी बचे। खाने के समय का अनुशासन कड़ाई से पालें। यह नहीं होना चाहिए कि किसी दिन नाश्ता 8 बजे किया और कभी सुबह 10 बजे। खाने के दैनिक समय में 15 मिनट से आधे घण्टे से अधिक हेरफेर नहीं होना चाहिए।

    8/16 नियम-8 घंटे के भीतर दो भोजन करना और  16 घंटे का उपवास करने को 8/16 के नियम से जाना जाता है। जब आप दोपहर 12 से 1 बजे के बीच और रात को 8 से 9 बजे तक दो भरपेट भोजन लेते हैं और 16 घंटे के लिये अपने पाचन तंत्र को आराम देते हैं तो चमत्कारिक लाभ मिलते हैं। कोशिश कीजिये कि सप्ताह में कम से कम दो दिन आप इस नियम को जरूर पालें। आपको इन दो दिनों में केवल अपना सुबह का नाश्ता नहीं लेना है, केवल दोपहर और रात के भोजन ही लेने हैं। सुबह से दोपहर तक जब भी आपको भूख का आभास हो तो पानी या नीम्बू पानी पी लिया करें, यह पेट के तंत्र को मजबूत भी करेगा और आराम भी देगा। लेकिन यह नियम तभी पालें जब आपको केवल IBS की शिकायत हो। यदि इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के साथ एसिड सम्बन्धी कोई रोग हों जैसे कि गैस्ट्रिटाइटिस, जर्ड (GERD), पेप्टिक अल्सर, एसिडिटी इत्यादि; तो आपको तीन या चार बार हल्के सुपाच्य आहार लेने चाहिए। आंत्रशोथ (Ulcerative colitis) में भी तीन या चार हल्के आहार लेना लाभकारी रहता है। इस 16 घंटे की उपवास अवधि में पानी, बिना दूध की चाय या नीम्बू पानी ले सकते हैं।

    एक आहारीय उपवास-अगर संभव हुआ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‍ तो उपचार अवधि में कभी कभार दिन भर में केवल एक भोजन ही लें, रात के समय। इसे एक आहारीय उपवास कहा जाता है। इसे आप माह में एक दिन भी करेंगे तो लाभ मिलेगा, बिना अनाज का आहार आजकल के अनाज, विशेषकर गेहूँ भी कुछ एक के पाचन में बाधा पहुंचती है। क्या आपको अनाज सही से हजम हो जाते है; इसे जानने का आसान उपाय है, लगातार तीन से पाँच दिन तक केवल दाल, सब्जी और दही का ही सेवन करें, यदि आपको लाभ अनुभव हो तो पेट के पूरी तरह ठीक होने तक अनाज का उपयोग बंद कर दें। आपको बहुत जल्द लाभ मिलेगा। यदि आपको अनाज तंग न भी करते हैं तो भी सप्ताह में एक या दो दिन केवल सब्जियां, दाल और फल का ही सेवन करना चाहिए।

    आराम से भोजन करें-भोजन को हमेशा धीरे-धीरे खाएं; जल्दबाजी कभी न करें, मुँह की लार में सैलवरी एमलेज़ (salivary) नामक एंजाइम होता है जो कष्टकारी स्टार्च को मैलटोस में बदल देता है। मन लगा कर, ध्यानपूर्वक, पूरे आराम से भोजन करने की आदत डालिये। भोजन के हर कौर को आनंद पूर्वक इतना चबाइये कि ये निगलने की बजाय पानी की तरह गटकने योग्य हो जाये।

     

    इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Irritable Bowel Syndrome)

    संग्रहणी रोग अथवा ग्रहणी (IBS) पेट का एक ऐसा रोग है जो जनसंख्या के एक बड़े दर्जे को परेशान करता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से आराम पाया जा सकता है।

    छाछ और हींग इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से दिलाये राहत (Buttermilk and Hing Beneficial in Irritable Bowel Syndrome in Hindi)

    buttermilk for IBS

    छाछ में चुटकी भर हींग व जीरा मिलाकर सेवन करें। संग्रहणी या इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम  की गैस में लाभ मिलेगा।

    काली मिर्च और काला नमक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से दिलाये राहत (Black Pepper and  Kala Namak Beneficial in Irritable Bowel Syndrome in Hindi)

    -इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से अगर बार-बार परेशान रहते हैं तो कालीमिर्च और काला नमक- दोनों 33 ग्राम मट्ठे के साथ लें, इससे जल्दी आराम मिलेगा।

     

    -इसके अलावा हरड़ का चूर्ण और थोड़ा-सा काला नमक पानी में अच्छी तरह घोलें। फिर इसे सुबह-शाम पिएं। इस योग से कब्जकारी संग्रहणी में लाभ मिलता है।

     

    -अदरक, तुलसी, कालीमिर्च तथा लौंग का काढ़ा पीने से वातज संग्रहणी के उपद्रव जैसे पेट की गैस, तनाव में लाभ मिलता है।

     

    हरड़ की छाल, पीपल, सोंठ और काला नमक-सबको 1010 ग्राम की मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण मट्ठे के साथ सेवन करें। 15 दिनों तक चूर्ण खाने से वातज संग्रहणी में लाभ मिलने लग जाता है।

    नींबू का मिश्रण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से दिलाये राहत (Lemon Mixture Beneficial in Irritable Bowel Syndrome in Hindi)

    4 ग्राम पिप्पली का सेवन नींबू के रस तथा सेंधा नमक के साथ करें। यह भूख जगाने का उत्तम उपाय होता है।

    और पढ़ें: पिप्पली के फायदे

    हींग का मिश्रण इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से दिलाये राहत (Hing Beneficial in Irritable Bowel Syndrome in Hindi)

    हींग, अजवायन और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम गरम पानी के साथ भोजन के बाद लें।

    जीरा, हींग और अजवायन का चूर्ण सब्जियों में डालकर खाने से संग्रहणी रोग के अपचन में आराम मिलता है।

    और पढ़े- जाने अजवाइन के सेवन के फायदे

    सोंठ और मिश्री  इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से दिलाये राहत (Dry Ginger Mixture Beneficial in Irritable Bowel Syndrome in Hindi)

    आधा चम्मच सोंठ के चूर्ण में जरा-सी मिश्री मिलाकर सेवन करें। यह संग्रहणी में भूख को जगाने का कार्य करता है।

    डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When to See a Doctor?)

    यदि आपके पेट की स्थिति में लगातार बदलाव हो रहा हो। अतिसार अथवा दस्त हो और आप अचानक वजन घटाने जैसे लक्षण प्राप्त हो रहे हो, गम्भीर पेट दर्द जो रात में और रेक्टल रक्तस्राव में प्रगति करता है, आपको जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।