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Abhayarishtam Benefits: अभयारिष्ट के ज़बरदस्त फायदे – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

अभयारिष्ट का परिचय ( Introduction of Abhayarishta)

अभयारिष्ट (Abhayarishtam) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे कई जड़ी-बूटियों को गुड़ के घोल में किण्वित यानी फर्मेंट करके बनाया जाता है। पेट की बीमारियों विशेषकर कब्ज  और बवासीर के लिए यह एक अच्छी औषधि है। अभयारिष्ट, बवासीर के लिए पतंजली द्वारा दी जाने वाली प्रमुख औषधियों (Patanjali medicine for Piles) में से एक है। आइये इस औषधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

अभयारिष्ट के उपयोग और फायदे (Abhayarishtam Benefits and uses in Hindi)

अभयारिष्ट कई तरह की बीमारियों में उपयोग में लायी जाती है। खासतौर पर इसका प्रयोग बवासीर और कब्ज़ दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा भी यह औषधि कई रोगों में फायदेमंद है। आइये अभयारिष्ट के प्रमुख फायदों (abhayarishta benefits in hindi) के बारे में जानते हैं।

पाचन दुरुस्त करती है अभयारिष्ट (Abhayarishtam Improves Digestion) :

अभयारिष्ट में ऐसे गुण होते हैं जो मल-मूत्र की रुकावट को दूर करती है और पाचन को दुरुस्त रखती है। मल-मूत्र में रुकावट संबंधित रोग होने पर आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका इस्तेमाल करें। आप पतंजलि द्वारा निर्मित अभ्यारिष्ट ( patanjali abhayarishta ) का उपयोग कर सकते हैं. 

कब्ज़ दूर करने में सहायक है अभयारिष्ट (Abhayarishta Benefits for Constipation in Hindi)

आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज़ की समस्या से पीड़ित रहते हैं। इसकी सबसे प्रमुख वजह अनियमित जीवनशैली और खराब खानपान है। अभयारिष्ट सिरप (patanjali abhayarishta) कब्ज़ को दूर करने में बहुत फायदेमंद है। अभयारिष्ट में बराबर मात्रा में कुमार्यासव मिलाकर लेने से अपच के कारण होने वाली कब्ज दूर होती है।

बवासीर की समस्या ठीक करती है अभयारिष्ट (Abhayarishta benefits for Piles in Hindi)

बवासीर होने की सबसे मुख्य वजह अपच के कारण होने वाली कब्ज़ है। कब्ज़ की वजह से शौच के समय दिक्कतें आती हैं और दर्द होता है। अभयारिष्ट बवासीर की समस्या को ठीक करती है और दर्द से राहत दिलाती है। अभयारिष्ट मुख्य रूप से बवासीर के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।

यदि रोगी को मस्सों में बहुत अधिक दर्द हो तो, दर्द समाप्त करने के लिए अर्शकुठार रस, बोलबद्ध रस, कामदुधा रस, सूरण बटक आदि में से किसी एक दवा का सेवन करें। दर्द कम होने के बाद अभयारिष्ट का सेवन अधिक लाभदायक होता है। बवासीर की प्रारम्भिक अवस्था में ही इसका प्रयोग किया जाए तो यह रोग को बढ़ने नहीं देता। आप बाज़ार से या ऑनलाइन, पतंजलि द्वारा निर्मित अभयारिष्ठ सिरप (patanjali abhayarishta) खरीद कर उपयोग कर सकते हैं।

लीवर और आंतों के लिए फायदेमंद है अभयारिष्ट (Abhayarishta Benefits for Liver and Intestine in Hindi)

अभयारिष्ट (Patanjali Abhayarisht) दवा का प्रयोग सभी प्रकार के बवासीर, लीवर से जुड़ी समस्याओं, गांठों और मस्सों के इलाज में किया जाता है। इसके प्रयोग से होने वाले दस्त आंतों को कमजोर नहीं करते। इसलिए यह आंतों में दूषित मल का संचय नहीं होने देता है।

और पढ़ेंदस्त में सुगन्धबाला के फायदे

अभयारिष्ट की खुराक ( Dosages of Abhayarishtam) :

12-24 ml अभयारिष्ट लें और इसे ताजे साफ़ पानी के साथ मिलाकर सेवन करें।  

अभयारिष्ट से जुड़े पतंजलि उत्पाद कैसे खरीदें ( How to Buy Patanjali abhayarishta Products) :

आप 1mg पोर्टल से पतंजलि द्वारा निर्मित अभयारिष्ट (patanjali abhayarishta) खरीद सकते हैं।  खरीदने के लिए यहां क्लिक करें।

आयुर्वेद में अभयारिष्ट के बारे में उल्लेख (Abhayarishta in Ayurveda) :

अभयारिष्ट के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है –

अभयायास्तुलामेकां मृवीकार्द्धतुलां तथा। विडङ्गस्य दशपलं मधूककुसुमस्य च॥

चतुर्द्रोणे जले पक्त्वा द्रोणमेवावशेषयेत्। शीतीभूते रसे तस्मिन् पूते गुडतुलां क्षिपेत्॥

श्वदंष्ट्रा त्रिवृतां धान्यं धातकीमिन्द्रवारुणीम्। चव्यं मधुरिकां शुण्ठीं दन्तीं मोचरसं तथा॥

पलयुग्ममितं सर्वं पात्रे महति मृन्मये। क्षिप्त्वा संरुध्य तत्पात्रं मासमान्निधापयेत्॥ –

( भैषज्य रत्नावली 9/175-178)

इसके अनुसार अभयारिष्ट में निम्न द्रव्य हैं –

क्र.सं.

घटक द्रव्य

उपयोगी हिस्सा

  अनुपात

1-

अभया (Terminalia chebula)

फलमज्जा

4,800 किलो

2-

मृद्वीका (द्राक्षा) (Vitis vinifera Linn.)

शुष्क फल

2400 किलो

3-

विडङ्ग (Embelia ribes)

फल

480 ग्राम

4-

मधुक कुसुम (Schleichera oleosa)

पुष्प

480 ग्राम

5-

जल (Water)

49.152 लीटर (क्वाथार्थ 12.288 लीटर)

6-

गुड़ (Jaggery)

4800 किलो

7-

श्वदंष्ट्रा (गोक्षुर) (Tribulus terrestris)

फल

96 ग्राम

8-

त्रिवृत्त (Operculina turpethum)

मूल

96 ग्राम

9-

धान्यक (Coriandrum sativum)

फल

96 ग्राम

10-

धातकी (Woodfordia fruticosa)

पुष्प

96 ग्राम

11-

इन्द्रवारुणी (Citrullus colocynthis)

मूल

96 ग्राम

12-

चव्य (Piper retrofractum Vahl. )

काण्ड

96 ग्राम

13-

मधुरिका (मिश्रेया) (Foeniculum vulgare)

फल

96 ग्राम

14-

शुण्ठी (Zingiber officinale)

कंद

96 ग्राम

15-

दन्ती (Baliospermum montanum)

मूल

96 ग्राम

16-

मोचरस (शाल्मली) (Salmalia malabarica)

निर्यास

96 ग्राम

अभयारिष्ट के इस्तेमाल से जुड़ी सावधानियां (Precautions related to Abhyarishtam)

इसका प्रयोग उचित मात्रा में, रोग और रोगी का बल, रोगी की पाचन-शक्ति और कब्ज का ध्यान में रखकर करना चाहिये।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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