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Putrajeevak: पुत्रजीवक बीज से होते हैं भरपूर फायदे – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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पुत्रजीवक का परिचय (Introduction of Putrajeevak)

पुत्रजीवक नाम सुनने पुत्र संतान प्राप्ति जैसी ही बात दिमाग में आती है। यह सच भी है क्योंकि पुत्रजीवक (Putrajeevak) का प्रयोग महिलाओं के लिए बांझपन दूर करने के लिए औषधि के रुप में किया है। ये माना जाता है कि इससे गर्भाशय मजबूत होता है और संतानोत्पत्ती करने की क्षमता बढ़ती है। यहां तक कि ये पुरूषों के नपुसंकता में भी फायदेमंद होता है। ये महिला और पुरूष दोनों के यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ कई और बीमारियों से राहत दिलाने में भी मदद करता है। पुत्रजीवक के बीज (Putrajeevak Beej) का एन्टीऑक्सिडेंट और एन्टी इंफ्लैमटोरी गुण आयुर्वेद में कई तरह के बीमारियों से लड़ने में  मदद करता है। इनके बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ते है।

पुत्रजीवक क्या होता है? (What is Putrajeevak in hindi?)

पुत्रजीवक अपने नाम की तरह ही संतान के प्राप्ति के लिए औषधि के रुप में काम करता है। संतान प्राप्ति के लिए महिलायें रूद्राक्ष की तरह इसके बीजों की माला गले में धारण करते हैं। इसके बीजों को तागे में गूंथकर पुत्र प्राप्ति के लिए स्त्रियां गले में पहनती हैं तथा बच्चों के गले में भी पहनाती हैं जिससे वे स्वस्थ बने रहें। इसके बीज, पत्ता या जड़ को दूध के साथ सेवन करने से मृतवत्सा (जिसके बालक मर जाते हैं) को पुत्र की प्राप्ति होती है और वह दीर्घायु होता है।

यह 12-15 मी ऊँचा, छोटे से मध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है। इसके फल गोल-नुकीले, अण्डाकार होते हैं। बीज बेर की गुठली के जैसे कड़े, झुर्रीदार तथा 5 मिमी व्यास (डाइमीटर) के होते हैं।

प्राचीन युग से पुत्रजीवक का प्रयोग आयुर्वेद में प्रजनन संबंधी रोगों (reproduction)  के लिए औषधि के रूप में किया जाता रहा है। पितौजिया मधुर, कड़वा, रूखा और ठंडे तासीर का होता है। यह कफवात दूर करने में भी मदद करता है।

इसके फल वेदनाशामक होते हैं। इसके बीज के सेवन से कमजोरी और सूजन कम होने के साथ-साथ शरीर के मल-मूत्र निकालने में भी मदद करते हैं। यहां तक कि पुत्रजीवक के पत्ते काम शक्ति बढ़ाने में भी मदद करते हैं।

अन्य भाषाओं में पुत्रजीवक के नाम (Name of Putrajeevak Beej in Different Languages in Hindi)

पुत्रजीवक का ‍वानस्पतिक नाम Putranjiva roxburghii Wall. (पुत्रंजीवा रॉक्सबर्घाई) Syn-Drypetes roxburghii (Wall.) Hurus होता है। लेकिन पुत्रजीवक  Euphorbiaceae (यूफॉर्बिएसी) कुल का है। अंग्रेजी में उसको Child life tree (चाइल्ड लॉइफ ट्री) कहते हैं।

लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में पुत्रजीवक को कई नामों से पुकारा जाता है। जैसे-

  • Sanskrit-पुत्रजीव, पुत्रजीवक, गर्भद, यष्टीपुष्प, अर्थसाधक;
  • Hindi-जियापोता, पितौजिया, पुत्रजीव, जुति;
  • Uttarakhand-जूटी (Juti);
  • Odia-मोलोकोलि (Molokoli), सुतजीवा (Sutajivah);
  • Urduपैशन्दिया (Paishandia);
  • Konkani-समन (Saman);
  • Kannadaपुत्रजीव (Putra jiva), पुत्रजीवी (Putrajivi);
  • Gujrati-पुत्रन जीव (Putran jiva);
  • Tamil-इरुकोली (Irukoli);
  • Teluguकुदुरु जीवि (Kuduru jivi);
  • Nepali-पुत्रन्जीवा (Putranjiva);
  • Panjabi-जियापुत्रा (Jiyaputra);
  • Bengali-पुत्रन्जीवा (Putranjiva);
  • Marathi-जीवपुत्रक (Jivputrak), पुत्र जीव (Putran jiv);
  • Malayalamपोंगालम (Pongalam)।
  • English-इण्डियन अमुलेट प्लान्ट (Indian amulet plant), स्पूरीयस वाइल्ड ओलिव (Spurious wild olive)।

पुत्रजीवक  के फायदे (Putrajeevak Beej Uses and Benefits in Hindi)

पुत्रजीवक के गुणों के आधार पर आयुर्वेद में पुत्रजीवक को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। विशेष रुप से   पुरुष और महिला दोनों के यौन संबंधी समस्या और प्रजनन संबंधी समस्या के लिए उपचार स्वरूप इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा और भी किन बीमारियों के लिए ये फायदेमंद है चलिये इसके बारे में जानते हैं।

और पढ़ेंयौन रोग में प्याज के फायदे

सिरदर्द में फायदेमंद पुत्रजीवक (Uses of Putrajeevak beej to Treat Headache in Hindi)

अगर दिन भर काम करने के बाद सिर में दर्द होता है तो पुत्रजीवक का इस्तेमाल (shivlingi beej uses in hindi) इस तरह से करें। पुत्रजीवक फल के रस को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द कम होता है।

कफ में पुत्रजीवक से फायदा (Putrajeevak beej to Treat Chest Congestion in Hindi)

सर्दी-खांसी के कारण छाती में जो कफ जम जाता है उसको निकालने में पुत्रजीवक काम करता है। पुत्रजीवक के रस को थोड़ा गर्म करके (5 मिली) में हींग डालकर पीने से छाती की जकड़न दूर होती है। इससे छाती से कफ निकल जाता है और राहत मिलती है।

बार-बार प्यास लगने से दिलाये राहत पुत्रजीवक (Shivlingi or Putrajeevak beej Benefits to Get Relief from Thirst Feeling in Hindi)

कभी-कभी किसी बीमारी के कारण बार-बार प्यास लगने का एहसास होता है। पुत्रजीवक के पत्ते एवं बीज का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से प्रतिश्याय (Coryza)या तृष्णा (प्यास) में लाभ होता है।

हाथीपांव के बीमारी से दिलाये राहत पुत्रजीवक (Putrajeevak Vati help to treat Elephantiasis in hindi)

हाथीपांव के इलाज में पुत्रजीवक का सेवन करना फायदेमंद होता है।    5-10 मिली पुत्रजीवक के रस का सेवन करने से हाथी पांव रोग के परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।

फोड़े-फुंसी को सुखाने के लिए पुत्रजीवक का प्रयोग(Putrajeevak Beej Heals Blister in Hindi)

पुत्रजीवक फल मज्जा को पीसकर लेप करने से दर्द वाला फोड़ा-फून्सी कम होता है। इसके अलावा पुत्रजीवक की छाल को पीसकर लेप करने से फोड़े-फून्सी मिटते हैं।

और पढ़ेंफोड़ा सुखाने में सुदर्शन के फायदे

बुखार से दिलाये राहत पुत्रजीवक (Putrajeevak beej help to deal with Fever in hindi)

मौसम बदला कि नहीं बुखार के तकलीफ से सब परेशान हो जाते हैं। बुखार के लक्षणों से राहत पाने के लिए10-20 मिली पुत्रजीवक पत्ते के काढ़े का सेवन करने से ज्वर में लाभ होता है।

विष चिकित्सा में लाभकारी पुत्रजीवक (Putrajeevak Beej for Poison in Hindi)

कई बार बिच्छु या साँप के काटने पर उसके जहर के असर को कम करने में पुत्रजीवक असरदार रुप से काम करता है। पुत्रजीवक का सेवन इस तरह से करने पर विष का प्रभाव कुछ हद तक कम होता है। 1-2 ग्राम पुत्रजीवक फल मज्जा को नींबू के रस में पीसकर पीने से विष के असर करने का गति कम होता है।

पुत्रजीवक का उपयोगी भाग (Useful Part of Putrajeevak in Hindi)

आयुर्वेद में पुत्रजीवक के पत्र, बीज (putrajeevak vati) तथा फल मज्जा का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। चिकित्सक के परामर्शानुसार सेवन करना चाहिए।

पुत्रजीवक का सेवन कैसे करना चाहिए? (How to Use Putrajeevak in Hindi?)

हर बीमारी के लिए पुत्रजीवक का सेवन और इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इसके बारे में पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए पुत्रजीवक का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

पुत्रजीवक कहां पाया और उगाया जाता है (Where is Putrajeevak is Found or Grown in Hindi)

पुत्रजीवक वृक्ष भारत के उष्ण प्रदेशों में पाये जाते हैं।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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