पित्तपापड़ा गेंहूं और चने के खेतों में अपने आप उगने वाला एक पौधा है. ग्रामीण इलाकों में पित्तपापड़ा को कई बीमारियों के घरेलू इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक-संहिता में भी पित्तपापड़ा के काढ़े और चूर्ण को बुखार की आयुर्वेदिक दवा के रूप में माना गया है. कई जगहों पर इस पौधे को पर्पट नाम से भी जाना जाता है. इस लेख में हम आपको पित्तपापड़ा के फायदे, औषधीय गुण और उपयोग के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.
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गेंहूं के खेतों में पाए जाने वाले इस छोटे से पौधे की लम्बाई 5-20 सेमी के बीच होती है. इसकी पत्तियों छोटे आकार की होती हैं और इसके फूलों का रंग लाल व नीला होता है. सर्दियों के मौसम में ये गेंहूं के खेतों में ज्यादा पाए जाते हैं. आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में पित्त या वात के प्रकोप से होने वाले बुखार से राहत दिलाने में इसका उपयोग किया जाता है. पर्पट के संदर्भ में कहा गया है कि – एक पर्पटक श्रेष्ठ पित्त ज्वर विनाशन, अर्थात पर्पट पित्तज्वर की श्रेष्ठ औषधि है।
पित्तपापड़ा का वानस्पतिक नाम Fumaria indica (Haussk.) Pugsley (फ्यूमैरिया इंडिका)
Syn-Fumaria parviflora var.indica (Hausskn.) Parsa. यह Fumariaceae (फ्यूमैरिएसी) कुल का पौधा है. आइए जानते हैं अन्य भाषाओं में किन नामों से पुकारा जाता है.
Fumitory in :
आमतौर पर पित्तपापड़ा का सबसे ज्यादा उपयोग बुखार के इलाज में किया जाता है. लेकिन बुखार के अलावा भी यह कई रोगों जैसे कि सर्दी-जुकाम, आंखों के रोगों आदि में लाभदायक है. आइये जानते हैं कि पित्तपापड़ा के पौधे का उपयोग हम किन किन समस्याओं में कर सकते हैं.
बुखार होना एक आम समस्या है. कई बार वात या पित्त दोष के असंतुलन से बुखार हो जाता है इन्हें आयुर्वेद में पित्तज्वर और वातज्वर का नाम दिया गया है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार पित्तपापड़ा में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो बुखार को जड़ से खत्म करने में मदद करते हैं. आइये जानते हैं कि बुखार से आराम पाने के लिए पित्तपापड़ा का उपयोग कैसे करें.
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पित्तपापड़ा के रस को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोगों में फायदा मिलता है. अगर आप आंखों से जुड़ी किसी गंभीर समस्या से परेशान हैं तो बिना चिकित्सक की सलाह लिए इसका उपयोग ना करें.
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अगर आप मुंह की बदबू से परेशान हैं या इसकी वजह से लोगों के बीच आपको शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है, तो पित्तपापड़ा आपके लिए बहुत उपयोगी है. इसके लिए पित्तपापड़ा का काढ़ा बनाकर गरारा करें. इस काढ़े से गरारा करने से मुंह की दुर्गंध के साथ-साथ मुंह की कई बीमारियां भी दूर हो जाती हैं.
मौसम बदलने पर अधिकांश लोग सर्दी-जुकाम से परेशान हो जाते हैं. ऐसे लोगों को पित्तपापड़ा के काढ़े का सेवन करना चाहिए. 10-20 मिली पित्तपापड़ा के काढ़े को पीने से दोष संतुलित होते हैं और कब्ज, खांसी एवं सर्दी-जुकाम में आराम मिलता है।
अगर आपको उल्टी हो रही है और आप घरेलू उपायों से उल्टी रोकना चाहते हैं तो पित्तपापड़ा का उपयोग करें. इसके लिए 10-20 मिली पर्पट या पित्तपापड़ा के काढ़े में शहद मिलाकर सेवन करें. इसके सेवन से उल्टी जल्दी बंद हो जाती है.
नागरमोथा और पित्तपापड़ा के 50 ग्राम चूर्ण को 3 लीटर पानी में उबालें. उबालने के बाद जब पानी आधा बचे तो आंच बंद कर दें और इसे ठंडा होने दें. इसके बाद इस मिश्रण की 10-20 मिली मात्रा पिएं साथ ही खाने में भी इसका उपयोग करें. ऐसा करने से शरीर में मौजूद आम पचता है और दस्त में फायदा मिलता है.
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पेट में कीड़े पड़ जाना एक गंभीर समस्या है. इसके कारण भूख कम लगती है और पेट में दर्द महसूस होता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो पित्तपापड़ा तथा विडंग का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
2-4 ग्राम पर्पट पञ्चाङ्ग चूर्ण के सेवन करने से लीवर की कार्य क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा इस चूर्ण का सेवन करने से खून की कमी भी दूर होती है।
कई लोगों को पेशाब करते समय दर्द होने लगता है. आयुर्वेद में इस समस्या को मूत्रकृच्छ्र कहा जाता है. इस्सके इलाज के लिए 10-20 मिली पञ्चाङ्ग काढ़े का सेवन करें. इससे पेशाब ज्यादा होती है जिससे दर्द कम होता है और मूत्र मार्ग से जुड़ी कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं.
पित्तपापड़ा हाथों की जलन दूर करने में सहायक है. इसके लिए पित्तपापड़ा या पर्पट की पत्तियों के रस का सेवन करें. इससे हथेली की जलन दूर होती है.
अगर आप खुजली से परेशान हैं तो पित्तपापड़ा का सेवन करें. विशेषज्ञों के अनुसार पित्तपापड़ा का अवलेह बनाकर 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खुजली दूर होती है.
मिरगी रोग के इलाज में पित्तपापड़ा का सेवन फायदेमंद रहता है. इसके लिए 10-20 मिली की मात्रा में पित्तपापड़ा काढ़े का सेवन करें। खुराक की अधिक जानकारी के लिए चिकित्सक से संपर्क करें.
सिफलिश के घावों को ठीक करने के लिए आप पर्पट का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए पित्तपापड़ा (पर्पट) की पत्तियों के रस को घाव पर लगाएं. इसे लगाने से घाव कुछ दिनों में ठीक होने लगते हैं.
शरीर में जलन होने पर पर्पट या पित्तपापड़ा का सेवन करना उपयोगी होता है. इसके लिए पित्तपपड़ा के रस का शरबत बनाकर 10 मिली की मात्रा का सेवन करें. इस शरबत को पीने से शरीर की जलन कम होती है.
विशेषज्ञों के अनुसार पित्तपापड़ा के निम्न भाग सेहत के लिए उपयोगी हैं.
पञ्चाङ्ग
सामान्य रूप से पित्तपापड़ा के काढ़े का सेवन 10-30 मिली की मात्रा में और रस या जूस का सेवन 5-10 मिली मात्रा में करना चाहिए. इसके अलावा पित्तपापड़ा के चूर्ण को 1-3 ग्राम और पेस्ट को 2-4 ग्राम की मात्रा में लें. अगर आप गंभीर बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पित्तपापड़ा का सेवन करना चाह रहे हैं तो पहले चिकित्सक से सलाह लें.
पित्तपापड़ा कहां पाया या उगाया जाता है?
भारत में यह 2600 मी की ऊँचाई तक पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड आदि राज्यों में गेहूँ के खेतों में पाया जाता है।
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