वानस्पतिक नाम : Bryophyllum pinnatum (Lam.) Oken (ब्रायोफाइलम् पिन्नेटम्)
Syn-Kalanchoe pinnata (Lam.) Pers.
कुल : Crassulaceae (क्रस्यूलेसी)
अंग्रेज़ी नाम : Air plant (एयर प्लान्ट)
संस्कृत-पर्णबीज; हिन्दी-पथरचूर; उर्दू-चबेहयात (Chubehayat); कन्नड़-गन्दू कलिन्गा (Gandu kalinga); गुजराती-घायमारी (Ghayamari); तमिल-रुनाकल्ली (Runakalli); तेलुगु-सिंमजमुदु (Simajmudu); बंगाली-कोपपाता (Koppata), पत्थरकफंची (Patharkunchi); नेपाली-अजम्मरी (Ajmmari); मलयालम-इलामुलाच्ची (Ilamulacchi), इलामरुंगा (Elamarunga)।
अंग्रेजी-लाइफ प्लान्ट (Life-plant); अरबी-खुशनुल्हयात (Khushnulhayat), फारसी-चूबेहयात (Chubehayat), लख्मेहयात (Lakhmhaiyat)।
जख्मे हयात् के नाम
हिन्दी-हायजा, रुंगरु, तात्रा, जख्मेहयात्; उत्तराखण्ड-बकलपत्ता (Bakalpatta), पतकफआरी (Patkuari); कन्नड़-गन्दु कलिंगा (Gandu kalinga); गुजराती-पानफूट्टी (Panfutti); तमिल-मलाइकल्ली (Malaikkalli); तेलुगु-सिमजमुदु (Simajamudu); मलयालम-लाल मुलक (Lal mulacc); नेपाली-हथोकाने (Hathokane); पंजाबी-हेजा (Haiza), रूगंरू (Rungru)। अंग्रेजी-फ्लेम कैलन्चोय (Flame kalanchoe); फारसी-जख्मेहयात (Zakhme-e-hayaat)।
परिचय
यह बहुवर्षायु पौधा होता है। यह वनस्पति भारत के उष्णकटिबंधीय मैदानी भागों पाई जाती है। पर्णबीज के अतिरिक्त इसकी एक प्रजाति और पाई जाती है, जिसे जख्में हयात कहते हैं। कई स्थानों पर पाषाणभेद के स्थान पर इसका प्रयोग किया जाता है। इसके पत्र अतिसार में अत्यन्त उपयोगी होते हैं।
यह लगभग 1.2 मी ऊँचा, मांसल, अरोमश, बहुवर्षायु शाकीय पौधा होता है। इसका काण्ड ऊँचा, सीधा तथा 4-कोणीय होता है, पुराने काण्ड हलके वर्ण के तथा नवीन काण्ड रक्ताभ-श्वेत वर्ण के होते हैं।
यह 30-120 सेमी ऊँचा, मोटा, बृहत्, सीधा, मांसल, बहुवर्षायु शाकीय पौधा होता है। इसका काण्ड कुंठाग्र चतुष्कोणीय तथा नवीन शाखाएँ रक्ताभ-श्वेत वर्ण की होती हैं।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
पर्णबीज
यह पथरी का भेदन करने वाला वस्तिशोधक, त्रिदोषशामक, बवासीर, गुल्म, मूत्रकृच्छ्र तथा व्रण का शमन करने वाला है।
इसके पत्र व्रणरोपक व रक्त स्भंक होते हैं। इनका प्रयोग रक्तस्राव, अतिसार, अश्मरी तथा विसूचिका में किया जाता है। मूत्रकृच्छ्र और पथरी की यह एक लोकप्रिय औषधि है।
पर्णबीज मूत्रल, रक्तप्रदर तथा रक्तपित्तशामक होता है।
इसके पत्र रक्तस्रावरोधक, पूयरोधी एवं स्भंक क्रियाशीलता प्रदर्शित करते हैं।
जख्मे हयात्
इसके पत्र कषाय, अम्ल, मूत्रल, स्तम्भक, रक्तस्तम्भक, विबन्धकारक, पिच्छिल, बलकारक, मृदुकारक, तापहर (शैत्यकारी), क्षति-विरोहक, जठराग्नि दीपक, जीवाणुनाशक तथा शोथनाशक होते हैं।
इसके पत्र कीटनाशक क्रियाओं को प्रदर्शित करते हैं।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
जख्मे हयात् के प्रयोग
प्रयोज्याङ्ग : त्वक्, पत्र तथा पञ्चाङ्ग।
मात्रा : स्वरस 10-20 मिली या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
विशेष : इसका सेवन गर्भावस्था, प्रसूता त्रियों तथा शिशुओं में निषिद्ध है।
अश्मरी की चिकित्सा में अत्यंत लाभकारी है।
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