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Muktadi Vati: बहुत हितकारी है मुक्तादि वटी- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात

  1. मोती पिष्टी 24 ग्राम
  2. स्वर्ण वर्क 7.2 ग्राम
  3. चाँदी का वर्क 12 ग्राम
  4. नागकेशर ( Messua ferrea. Linn. Syn-M. roxburghii Wight.)स्त्रीकेशर 24 ग्राम
  5. कमलकेशर (Nymphea alba Linn.) 12 ग्राम
  6. जीरागुलाब 12 ग्र्राम
  7. केशर 6 ग्राम
  8. कपूर (Cinnamomum camphor Nees & Eberm.) 3 ग्राम
  9. कहरवा 12 ग्राम
  10. जहरमोहरा खताई 12 ग्राम
  11. संगेयशव 12 ग्राम
  12. गोरोचन 12 ग्राम
  13. गोदन्ती भस्म समभाग
  14. गुलाब अर्क (Rosa centifolia Linn.) Q.S. मर्दनार्थ

मात्रा 1-1 वटी

अनुपान गौदुग्ध, स्त्रीदुग्ध

गुण और उपयोगयह वटी बच्चों के लिए बहुत लाभदायक है, बच्चों में होने वाले बुखार, सूखारोग, दूध पचकर दस्त हो जाना या उल्टी होना एवं खाँसी जैसी समस्याओं में यह अमृत के समान गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से बच्चे य्ष्टपुष्ट एवं स्वस्थ रहते है। इस वटी में उत्तम सुधांश (Calcium) पोषक जैसे गोदन्ती भस्म, मोतीपिष्टी, कहरवा, जहरमोहरा, संगेयशव रहते है जिस कारण इसके सेवन से बच्चों में अस्थिनिर्माण की प्रक्रिया में सहायता मिलती है।