वानस्पतिक नाम : Catunaregam spinosa (Thunb.) Tirveng. (कटुनेरेगम स्पाइनोसा)
Syn-Xeromphis spinosa (Thunb.) Keay; Randia dumetorum (Retz.) Lam., Gardenia spinosa Thunb.
कुल : Rubiaceae (रूबिएसी)
अंग्रेज़ी नाम : Emetic Nut (इमेटिक नट)
संस्कृत-मदन, छर्दन, पिण्ड, नट, करहाट, मरुवक, शल्यक, विषपुष्पक, श्वसन, पिचुक, कण्टकी, करहाटक, शल्य, कण्ठ, बस्तिशोधन, मादन; हिन्दी-मैनफल, मदनफल; उड़िया-पोटुआ (Potua); उर्दू-मैनफल (Mainphal); उत्तराखण्ड-करहर (Karhar), मैनफल (Mainphal); असमिया-गुरोल (Gurol);
कोंकणी-गद्दी (Gaddi); कन्नड़-मंगरिकै (Mangrikkei); गुजराती-मींढोल (Mindhol), मींढल (Mindhal); तैलुगु-बसन्त कड़िमि चेट्टु (Basant kadimi chettu), मण्डचेट्टु (Mandchettu), मंगचेटटु (Mangchettu); तमिल-मरूक्कलम (Marukkalam), पुंगारै (Pungarei); बंगाली-मेनफल (Meinphal), मयना कांटार गाछ (Mayana kantar gach); नेपाली-मैदल (Meidal), मैनफल (Meinphal); पंजाबी-अरारा (Arara); मराठी-गेल (Geil), गेलफल (Geilphala); मलयालम-कारा (Kara)।
अंग्रेजी-बुशी गार्डेशीया (Bushy Gardenia), कॉमन एमेटिक नट (Common emetic nut); अरबी-जौजुल् कौसुल (Juzul kosul), जौजुलकी (Jauzulaki); फारसी-झुझ्-उल्-कुच् (Juz-ul-kuch)।
परिचय
समस्त भारत विशेषत हिमालय में लगभग 1200मी0 की ऊचाई तक इसके पौधे पाये जाते हैं। इसके पौधे लगभग 9 मी0 तक ऊचें व मजबूत कांटों से युक्त होते हैं। इसके फल गोल, कच्ची अवस्था में हरे पक्वावस्था में पीत वर्ण के तथा चिकने होते हैं। फल के सूख जाने पर मज्जा भी सूख जाती है, किन्तु बीज उसमें चिपके रहते हैं, इसे मदनफल पिप्पली कहते है। इसके बीज
कृष्णवर्ण के तथा फलमज्जा में दबे हुए होते हैं। चरकसंहिता में वर्णित वमनोपग दशेमानि में इसका उल्लेख नहीं है, किन्तु वमनार्थ मदनफल की प्रशंसा करते हुए मदनसर्वगदा विरोधि तु‘ ऐसा उल्लेख मिलता है। ग्रहणी में भल्लातक क्षार में मदनफल का प्रयोग एवं मदनपुष्प की शिरोविरेचन के रूप में गणना की गई है। चरकसंहिता के कल्प स्थान में मदनफल कल्प का वर्णन विशेष रूप से वमन हेतु प्राप्त होता है।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
मैनफल मधुर, तिक्त, उष्णवीर्य, लघु, वमनकारक, विद्रधिनाशक, रूक्ष, प्रतिश्याय नाशक, व्रण, कोढ़, कफ, अफारा, सूजन और गुल्म तथा व्रण को नष्ट करता है।
देशी चिकित्सा विज्ञान में जितनी वामक औषधियाँ हैं, उनमें मैनफल सर्वश्रेष्ठ है। बिना किसी उपद्रव के इसके फलों के सेवन से वमन हो जाता है। (परन्तु वमन के लिए इसका प्रयोग चिकित्सक की देख-रेख में करना चाहिए।)
इसके फल उद्वेष्टरोधक, स्वेदजनन, कफनिसारक, गर्भस्रावक, कृमिहर तथा प्रवाहिकारोधी होते हैं।
इसके बीज क्षुधावर्धक होते हैं।
इसकी त्वचा अतिसाररोधी, स्भंक, वामक तथा निद्राजनन होती है।
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग :फल, त्वक्, मूल, बीज।
मात्रा :चूर्ण (वमन हेतु) 3-6 ग्राम, चूर्ण (सामान्य प्रयोग हेतु) 1-2 ग्राम।
दुष्प्रभाव निवारण :कतीरा एवं शीतल पदार्थ।
प्रतिनिधि-द्रव्य :राई।
विशेष :
वामक होने के कारण इसका प्रयोग गर्भावस्था, अतिसार एवं बालकों में निषेध है।
मदनफल वामक होता है, अत इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्शानुसार करना चाहिए।
उष्ण प्रकृति के व्यक्तियों में इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए।
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