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Madhurparni: फायदे से भरपूर है मधुरपर्णी- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

वानस्पतिक नाम : Stevia rebaudiana (Bertoni) Bertoni (स्टीविया रिबोडियाना) Syn-Eupatorium rebaudianum Bertoni

कुल : Asteraceae (ऐस्टरेसी)

अंग्रेज़ी नाम : Sweet herb (स्वीट हर्ब)

संस्कृत-मधु पत्र; हिन्दी-मधुरपर्णी, स्टीविया; गुजराती-मधुरपर्णी (Madhurparni); तमिल-सीनी तुलसी (Seeni tulsi); तेलुगु-मधुपत्री (Madhupatri); मराठी-मधुपर्णी (Madhuparni)।

अंग्रेजी-कैन्डी लीफ (Candy leaf), हनी लीफ (Honey leaf), स्वीट लीफ ऑफ पैराग्वे (Sweet leaf of Paraguay)।

परिचय

समस्त भारत में मुख्यतया राजस्थान, केरल एवं महाराष्ट्र में इसकी खेती की जाती है। इसका पौधा लगभग 1 मी0 तक ऊचा तथा रोमश काण्ड से युक्त होता है। इसके पत्र मीठे होते हैं, इसलिए इसे मधुरपर्णी कहते हैं। यह पौधा मूलत दक्षिण अमेरिका के पैराग्वे में प्राप्त होता है। जहाँ यह नदियों के किनारे या नमी वाली भूमि पर मिलता है।

आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव

इसके पत्र अल्परक्तशर्करा कारक, मधुर, रक्तभारशामक, मूत्रल, हृद्य, पाचक, दीपक, क्षुधावर्धक, जीवाणुनाशक, पूयरोधी, फपैंदनाशक तथा विषाणुरोधी होते हैं।

औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि

  1. मुखपाक-इसके पत्रों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक में लाभ होता है।
  2. मधुरपर्णी के पत्रों का प्रयोग मधुमेह, हृद्दाह, उच्चरक्त कोलेस्ट्रॉलजन्य उच्च रक्तचाप अजीर्ण, उदररोग, क्षुधानाश, ग्रहणी व्रण व अवसाद जन्य विकारों की चिकित्सा में किया जाता है।
  3. मुलेठी तथा स्टीविया के पत्रों का क्वाथ बनाकर पिलाने से अम्लपित्त तथा उदर विकारों में लाभ होता है।
  4. स्टीविया पञ्चाङ्ग को छाया में सुखाकर उसमें बड़ी इलायची, अदरख तथा तुलसी पत्र मिलाकर क्वाथ बनाकर पीने से क्षुधा की वृद्धि होती है तथा कफज-विकारों का शमन होता है।
  5. स्टीविया पञ्चाङ्ग में कुटकी तथा पुनर्नवा मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से यकृत्शोथ में लाभ होता है।
  6. स्टीविया पञ्चाङ्ग को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर या पञ्चाङ्ग का क्वाथ बनाकर पीने से मधुमेह तथा पूयमेह में लाभ होता है।
  7. इसका प्रयोग गर्भ निरोधक के रूप में किया जाता है।
  8. वातरक्त-इसके पत्रों को पीसकर लगाने से गठिया में लाभ होता है।
  9. ब्राह्मी, शंखपुष्पी तथा स्टीविया के पत्रों का काढ़ा बनाकर पिलाने से मनोवसाद तथा अनिद्रा में लाभ होता है।
  10. स्टीविया के पत्र तथा अर्जुन छाल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से उच्चरक्तचाप में लाभ होता है तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का नियत्रण होता है।

प्रयोज्याङ्ग  :पत्र।

मात्रा  :क्वाथ 10-20 मिली।

और पढ़े: कोलेस्ट्रॉल के घरेलू उपचार

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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