वैरिकोज वेन्स (अपस्फीत शिरा) के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा। इसके बारे में जानने से पहले यह जानते हैं कि शिराओं का क्या काम होता है। परिसंचरण तंत्र (Circulatory system) में, शिरायें (vein) वे रक्त वाहिकायें होती हैं जो रक्त को हृदय की ओर ले जाती हैं। पल्मोनरी और अम्बलिकल शिरा को छोड़कर कुछ शिराओं में ऑक्सीजेनेटेड ब्लड बहता है (ऑक्सीजन मिला हुआ)। अधिकतर शिरायें ऊतकों (टिशु) से डीऑक्सीजेनेटेड रक्त को वापस (ऑक्सीजन का ह्रास) फेफड़ों में ले जाती है। शिराओं की संरचना और काम धमनियों से पूरी तरह से अलग होते हैं, शिराएँ ऊतकों से रक्त को हृदय की ओर ले जाती है।
हमारी स्किन के नीचे दिखने वाली नीली नसों पर आपने भी कभी गौर किया है? शायद आपने कभी सोचा ही नहीं होगा कि ये नसें तकलीफदेह भी हो सकती हैं। दरअसल हमारी त्वचा की सतह के नीचे मौजूद नसें जब बढ़ने लगती हैं तो ये बढ़ी हुई नसें वैरिकोज वेन्स (अपस्फीत शिरा) कहलाती है। कोई भी शिरा या वेन वेरीकोज वेन हो सकती है।
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शिराएँ ऊतकों से रक्त को हृदय की ओर ले जाती है। शिराओं को गुरुत्वाकर्षण के विपरीत रक्त को टाँगों से हृदय में ले जाना पड़ता है। ऊपर की ओर के इस प्रवाह की सहायता करने के लिए शिराओं के भीतर वाल्व होते हैं। वाल्व रक्त को केवल ऊपर की ही ओर जाने देती है। जब वाल्व दुर्बल हो जाते हैं या कहीं-कहीं नहीं होते हैं तो रक्त भली भाँति ऊपर की ओर चढ़ नहीं पाता और कभी-कभी नीचे की ओर बहने लगता है। ऐसी दशा में शिराएँ फूल जाती हैं और लंबाई बढ़ जाने से टेढ़ी-मेढ़ी भी हो जाती है। ये ही वेरीकोस वेन्स कहलाती है।
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जब शिराओं में रक्त के सही तरह से संचरण न होने के कारण सूजन आने लगती हैं तो इस लक्षण के अलावा और भी लक्षण होते हैं जो वैरिकोज वेन्स के कारण होते हैं-
-नीली या गहरी बैंगनी नसें।
-पैरों में भारीपन महसूस होना।
-मांसपेशियों में ऐंठन।
-पैरों के निचले हिस्से में सूजन।
-रस्सियों की तरह दिखने वाली सूजी हुई या मुड़ी हुई नसें।
-लम्बे समय तक बैठने या खड़े होने के बाद दर्द होना।
-एक या एक से ज्यादा नसों के आस-पास खुजली होना।
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जैसा कि पहले चर्चा की गई है कि शिराएँ ऊतकों से रक्त को हृदय की ओर ले जाती है और जब रक्त ऊपर की ओर नहीं जा पाता है तो शिराएं फूलने लगती हैं। प्रभावी उपचार के लिए सटीक निदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। आयुर्वेद के अनुसार, वात (वायु और अंतरिक्ष) के असंतुलन वैरिकोस नसों के होने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रक्त और पित्त (गर्मी) की भूमिका को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार वात संतुलन को बनाये रखने के लिए उपचार एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है।
इनके अलावा वैरिकोज वेन्स होने के बहुत सारे कारण होते हैं, जैसे-
बढ़ती उम्र- उम्र बढ़ने के साथ वैरिकोज वेइन्स का खतरा काफी बढ़ सकता है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ वेन्स का लचीलापन कम हो सकता है जिससे खिंचाव बढ़ सकता है। इसके अलावा नसों के वॉल्व खराब हो जाने से दिल की तरफ जाने वाला ब्लड उल्टी दिशा में बह सकता है जिससे नसों में ब्लड जमा हो जाता है और वैरेकोस वेन बन जाता है।
महिलाओं में सम्भावना ज्यादा- महिलाओं में वैरेकोज वेन होने की सम्भावना ज्यादा होती है। प्रेगनेंसी और पीरियड्स के दौरान होने वाले हार्मोनल चेंजेस वैरेकोस वेन होने का खतरा बढ़ा देते हैं। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी और गर्भनिरोधक गोलियां भी इस जोखिम को बढ़ा सकती है।
मोटापा- बढ़ा हुआ वजन नसों पर ज्यादा दबाव डाल सकता है जिससे वैरिकोज वेइन्स होने की सम्भावना बढ़ सकती है।
फैमिली हिस्ट्री- अगर परिवार के किसी सदस्य को वैरिकोज वेन्स की समस्या रह चुकी है तो अन्य सदस्यों में भी वैरिकोज वेन्स होने का जोखिम बढ़ जाता है।
लम्बे समय तक एक ही स्थिति में खड़े या बैठे रहना- अगर लगातार एक ही स्थिति में बैठे या खड़े रहा जाए तो नसों में खिंचाव बढ़ सकता है और ब्लड फ्लो सही तरीके से नहीं होने के कारण वैरिकोज वेन्स की समस्या हो सकती है। वैरिकोज वेन होने से त्वचा में एग्जि़मा या घाव होने की भी संभावना होती है।
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वैरिकोज वेन्स से बचने के लिए या होने पर स्थिति को बेहतर अवस्था में लाने के लिए जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाना ज़रूरी होता है, साथ ही कुछ चीजों से परहेज भी करनी चाहिए। वैसे तो यह एक ऐसा रोग है जिसमें उपचार से अधिक सावधानियां जरूरी हैं, फिर भी अगर कभी इसके लक्षण प्रतीत हों तो कुछ इस तरह करें-
जीवनशैली-
-अपनी शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं।
-अपनी दिनचर्या में व्यायाम को एक जरूरी अंग बनाएं। इससे पैरों में रक्त का संचार बढ़ेगा और दर्द से राहत मिलेगी।
-ज्यादा देर तक एक जगह पर न बैठे।
-बैठने पर ध्यान रखें कि पैर एक दूसरे के ऊपर क्रॉस न हों।
-सोते समय पैरों को सर के लेवल से थोड़ा उठाकर रखें (जैसा अस्पतालों के बेड होते हैं)।
-मोटापा कम करने पर ध्यान दें।
-शरीर पर ज्यादा टाईट कपड़े नही पहनें।
-पैर की विभिन्न मांसपेशियों को लचीला और स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करें।
-ज्यादा हील या ऊँची एड़ी वाले चप्पल और जूते नहीं पहनें।
आहार-
-विटामिन-ए वाले पदार्थ जैसे गाजर, शलजम आदि का सेवन करें क्योंकि ये वेरीकोज वेन्स के कारण बने घाव को भरने में सहायक होता है।
-विटामिन-बी युक्त आहार जैसे फल, दालें, छाछ/लस्सी लेते रहें क्योंकि ये रक्तवाही शिराओं के वाल्वस को मजबूत बनाने में सहायक होता है।
-विटामिन-सी एवं बायोफ्लेवनोइड्स वाले आहार लें क्योंकि ये रक्त के प्रवाह को सुचारू रखते हैं जिससे शिराओं के फैलाव को रोकने में सहायक होते हैं।
-लौकी पर्याप्त मात्रा में खाएं क्योंकि इसमें पाया जाने वाला जिंक भी आंतरिक घाव भरने एवं कोलेजेन के निर्माण में सहायक होता है।
-रूटीन एक ऐसा केमिकल है जिसका प्रयोग वेरीकोज वेन्स के इलाज में भी किया जाता है यह विशेषकर खट्टे फलों में पाया जाता है जैसे नींबू संतरा आदि।
-लेसिथिन नामक एमिनोएसिड भी फैट को गलाता है जिससे रक्त का बहाव नियंत्रित रहता है।
-पानी का भरपूर सेवन करें; कम से कम एक दिन में आठ ग्लास पीना चाहिए।
परहेज-
-नमक और शक्कर (कम मात्रा में लें)।
-आइसक्रीम न खायें
-तले हुए, प्रोसेस्ड और रिफाइंड आहार खाने से बचें।
-जंक फूड्स न खायें।
-पशुजन्य प्रोटीन्स न खायें।
-शराब से दूर रहें।
वैरिकोज वेन्स होने के आम कारकों में -गर्भावस्था, मोटापा, गर्भनिरोधक गोलियां, कब्ज, यौवन और रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन आदि आते हैं। वैरिकोज वेन्स के लिए मेडिकल और सर्जिकल उपचार बहुत महंगा हो सकता है।
वैसे तो वैरिकोस नसों के लिए कई शल्य और गैर-शल्य चिकित्सा विकल्प उपलब्ध है। आयुर्वेदिक उपचार में इसकी प्रभावशीलता या शून्य साइड इफेक्ट्स के साथ सबसे अधिक मांग है। इसलिए वैरिकोज वेन्स की गंभीरता और असुविधा को कुछ कम करने के लिए कुछ घरेलू उपचारों को आजमा सकते हैं।
एप्पल साइडर विनेगार वैरिकोज वेन्स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक उत्पाद है जिससे बंद रक्त का बहना शुरु हो जाता है। जिससे वैरिकोज वेन्स में भारीपन और सूजन काफी हद तक कम हो जाता है। समस्या होने पर एप्पल साइडर विनेगार को लगाकर उस हिस्से की मालिश करने से लाभ मिलता है। इस उपाय को नियमित रूप से रात को बिस्तर पर जाने से पहले और अगली सुबह फिर से करना चाहिए। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ ही महीनों में वैरिकोज वेन्स का आकार कम होने लगता है, या फिर एक गिलास पानी में दो चम्मच एप्पल साइडर विनेगार को मिलाकर पीये। अच्छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का एक महीने में दिन में दो बार सेवन करने से परिणाम अच्छा मिलता है।
लाल शिमला मिर्च को वैरिकोज वेन्स के इलाज के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। विटामिन-सी और बायोफ्लेवोनॉयड्स का स्रोत होने के कारण यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और संतुलित और सूजी हुई नसों के दर्द को कम करने में मदद करती है। गर्म पानी में एक चम्मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
वैरिकोज वेन्स के इलाज के लिए रक्त परिसंचरण को बढ़ाना आवश्यक होता है। जैतून के तेल की मालिश से ब्लड का सर्कुलेशन बढ़ने में मदद मिलती है, इससे दर्द और सूजन कम होता है। जैतून के तेल और विटामिन-ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा-सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनट तक एक से दो महीने के लिए करें।
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लहसुन, सूजन और वैरिकोज वेन्स के लक्षणों को कम करने के लिए एक उत्कृष्ट जड़ी बूटी है। यह भी रक्त वाहिकाओं में हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालने और रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करती है। छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलाये। फिर इसमें जैतून के तेल को भी मिलाएं। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण से कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर 15 मिनट के लिए सूजन वाली नसों पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेट कर रातभर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित रूप से दोहराये। इसके अलावा अपने आहार में ताजे लहसुन को शामिल करें।
बुचर ब्रूम वैरिकोज वेन्स की असुविधा से राहत देने में बहुत ही उपयोगी होता है। इस जड़ी बूटी में रुसोगेनिन्स नामक गुण सूजन को कम करने में मदद करता है और एंटी-इफ्लेमेंटरी और एंटी-इलास्टेज गुण नसों के ब्लॉकेज को कम करने में मदद करता है। इसके लिए बुचर ब्रूम को दैनिक खुराक के रूप में 100 मि.ग्रा. की मात्रा में दिन में तीन बार लें। जड़ों और पौधों के बीज से बना बुचर ब्रूम की खुराक में कैल्शियम, क्रोमियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, पोटेशियम, सेलेनियम, सिलिकॉन और जिंक के साथ विटामिन-बी और सी होता है। यह पोषक तत्वों को मजबूत बनाने और नसों की सूजन को कम करने के साथ पैरों के रक्त प्रवाह में सुधार करने में मदद करते हैं। लेकिन उच्च रक्तचाप वाले लोग इस जड़ी-बूटी के सेवन से पहले चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेते हैं।
अखरोट रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने के लिए बहुत ही प्रभावी जड़ी-बूटी है, इसलिए यह वैरिकोज वेन्स के लक्षणों को आसानी से कम कर सकती है। इसमें एस्ट्रिंजेंट के अलावा गल्लिक एसिड और कई प्रकार के आवश्यक तेल भी होते हैं जो सूजन के साथ-साथ दर्द को कम करने में मदद करते हैं। अखरोट के तेल में एक साफ कपड़े को डूबाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करने से लाभ मिलता है।
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अजमोद विटामिन-सी से समृद्ध एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो सेल की मरम्मत और कोलेजन के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है। साथ ही इसमें शामिल रुटीन नामक तत्व, कोशिकाओं को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसलिए वैरिकोज वेन्स के लक्षणों को कम करने में बहुत उपयोगी होता है। एक कप पानी में एक मुट्ठी ताजा अजमोद लेकर उसे पांच मिनट के लिए उबाल लें। फिर इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे की तेल की एक-एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।
जब नसों में यह लक्षण नजर आने लगे तो डॉक्टर से तुरन्त संपर्क करना चाहिए-
–वेरीकोज वेंस दर्दयुक्त है।
-आपके पैरों के दर्द या सूजन, बुखार, लालिमा या पैरों के घावों में एकाएक वृद्धि हो गई है।
-आपके पैरों में घाव उत्पन्न हो गए हैं जो ठीक नहीं हो रहे हैं।
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