आजकल पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD or PCOS ) महिलाओं में पाई जाने वाली एक आम समस्या हो गई है। अनुचित खान-पान एवं आधुनिक जीवनशैली के वजह से पीसीओडी का प्रॉब्लम होता है। साथ ही महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण भी ये रोग होने का खतरा होता है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) की समस्या महिलाओं में प्रजनन काल में देखी जाती है, 16–35 वर्ष की महिलाएँ इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है और कई बार तो उन्हें भीतर चल रही इस बीमारी का पता भी नहीं चलता। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण अंडाशय (ovary) में छोटी-छोटी गाँठे बन जाती है जिन्हें सिस्ट भी कहा जाता है। यह तरल युक्त पदार्थ से बनी होती है जो धीरे-धीरे आकार में बड़ी हो जाती है, इसमें एक साथ कई छोटी-बड़ी सिस्ट बन जाती है। इस बीमारी का सीधा असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है जिससे वह गर्भधारण में असमर्थ हो जाती है। लेकिन इस संदर्भ में घरेलु नुस्खे फायदेमंद (Home remedies for PCOS) साबित हो सकते हैं।
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आयुर्वेद में वात, पित्त, कफ को रोग का कारण कहा गया है अत: अनुचित खान-पान और तनावयुक्त जीवन के कारण आजकल महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की समस्या ब़ढ़ती जा रही है। पहले यह समस्या 30–35 वर्ष की महिलाओं में देखी जाती थी परन्तु अब 16–20 वर्ष की लड़कियों में भी यह समस्या देखी जाती है। इस रोग में तीनों दोषों की अत: वात, पित्त, कफ का असर होता है। कफ के कारण इसमें तरल पदार्थ युक्त गांठे बन जाती है तथा पित्त और वात के कारण हार्मोन का असंतुलन और अन्य शारीरिक लक्षण देखे जाते है।
यह इन्सुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। इसमें शरीर इन्सुलिन के प्रति कम प्रभावशाली हो जाता है और रक्त में शर्करा का स्तर असंतुलित हो जाता है। अत्यधिक इन्सुलिन के कारण ओव्युलेशन की प्रक्रिया बाधित होती है और अण्डाशय अधिक टेस्टोस्टेटोन बनाता है। यह इन्सुलिन प्रतिरोध अधिक शर्करा सेवन, वसायुक्त एवं विषाक्त पदार्थों के सेवन के कारण होता है।
यह शरीर के अन्दर लम्बे समय से चल रहे सूजन संबंधी विकार (inflamnation) के कारण होता है।
लम्बे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के कारण हार्मोन असंतुलित हो सकता है, जिससे PCOS होने की संभावना रहती है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक खतरनाक हार्मोन असंतुलन है जो स्त्रियों के प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। यह उनके अंडाशय को कमजोर बना देता है। जब अंडाशय से अंडे नहीं निकल रहे होते हैं तो उस पर सिस्ट बन जाता है। ये सिस्ट एंड्रोजेन नाम का एक हॉर्मोन पैदा करते हैं जो कि पीसीओएस के लिए जिम्मेदार है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) होने के पीछे बहुत सारे कारण है जिनमें से ये प्रमुख है-
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कुछ लक्षण इतने आम होते हैं कि इस बीमारी को समझना मुश्किल हो जाता है-
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से बचने के लिए अपने जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाना जरूरी होता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लिए भी सबसे पहले लोग घरेलु उपायों को ही आजमाते हैं, तो चलिये उनके बारे में विस्तार से जानते है-
शोध के अनुसार दालचीनी इंसुलिन के स्तर को बढ़ने से रोकता है और मोटापे को कम करता है। इसके लिए एक चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर 2–3 महीनों तक पिये।
एक बर्तन में एक गिलास पानी गर्म करें अब इसमें 7–8 पुदीने की पत्तियों को डालकर दस मिनट तक उबालें। इसे छानकर चाय की तरह पिएँ, कुछ हफ्तों तक इसका सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होता है तथा शरीर में अतिरिक्त बालों का बढ़ना कम हो जाता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में वजन तेजी से बढ़ता है अत: मेथी का सेवन करें। मेथी शरीर में ग्लूकोज के चयापचय को बढ़ावा देती है और इंसुलिन को बढ़ने से रोकती है। मेथी के बीजों को रात को पानी में भिगो दें तथा खाली पेट एक चम्मच भीगे हुए बीजों को शहद के साथ लें। दोपहर के भोजन एवं रात के भोजन से पहले भी इसे लें। ये घरेलु नुस्खा (Home remedies for PCOS)आजमाने से लाभ मिल सकता है।
एक चम्मच मुलेठी के चूर्ण को एक कप पानी में डालकर उबाल लें। इसका काढ़ा बनाकर चाय की तरह पिएँ, कुछ दिन तक इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आती है तथा शोध के अनुसार पाया गया है कि मुलेठी की जड़ का चूर्ण ओव्युलेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।
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तुलसी के अन्दर एन्टी-एन्ड्रोजेनिक गुण पाए जाते है। प्रतिदिन 8–10 तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पिएँ।
पीसीओएस एक प्रजनन क्षमता से संबंधित अंत स्रावी रोग है, अत: इसमें मासिक धर्म में अनियमितता देखी जाती है। मासिक धर्म बहुत कम या 2–3 महीने में एक बार आता है, कुछ स्थितियों में अधिकता भी देखी जाती है। यदि यह अनियमितता लम्बे समय तक बनी रहे और साथ ही चेहरे और शरीर पर पुरुषों के समान बाल उगना, यौन इच्छा में कमी, सिर के बालों का झड़ना, चेहरे पर मुँहासे निकलना आदि लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि ऐसे में अण्डाशय में कई गाँठे बन चुकी होती है जिन्हें सिस्ट कहते हैं। यदि समय पर इस रोग का उपचार न किया जाए तो कैंसर होने की भी संभावना होती है।
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