धान्वन्तर गुटिका (सहस्रयोगम् 8/130-134) क्र.सं. घटक द्रव्य प्रयोज्यांग अनुपात
मात्रा– 1 ग्राम
अनुपान– पनस पत्र, भूनिम्ब, जीरक, इन सबका क्वाथ।
गुण और उपयोग– यह गुटिका विशेष रूप से वायु का अनुलोमन करती है अर्थात् वायु को सम्पूर्ण शरीर से अच्छी प्रकार से गति कराती है जिस कारण शरीर में वातरोग उत्पन्न नहीं होते हैं। इसके साथ ही यह गुटिका श्वासरोग, खांसी, क्षय रोग, हिचकी तथा वमन आदि रोगों में लाभ पहुँचाती है। इसके सेवन से कफ की लार आना भी बन्द हो जाता है।
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