वानस्पतिक नाम : Bacopa monnieri (Linn.)
Wettst. (बैकोपा मोनिएरी)
Syn-Herpestis monnieri (Linn.) Kunth
कुल : Scrophulariaceae
(क्रोफूलेरिएसी)
अंग्रेज़ी नाम : Bacopa (बैकोपा)
संस्कृत-कपोतवङ्का, सोमवल्ली, सरस्वती, ब्राह्मी, ऐद्री; हिन्दी-ब्राह्मी, जलनीम; उड़िया-ब्राम्ही (Brahmi); असमिया-ब्रह्मी (Brahmi); कन्नड़-नीरब्राह्मी (Neerbrahmi), ओडेगल (Audegal); गुजराती-जल ब्राह्मी (Jal brahmi); तमिल-नीराब्रह्मी (Neerabrahmi); तेलुगु-शम्ब्रनी चेट्टु (Shambrini chettu); बंगाली-ब्राह्मीशाक (Brahmishak); नेपाली-मेधा गिरी (Medha giree); मराठी-ब्राह्मी (Brahmi); मलयालम-बार्ना (Barna); मणिपुरी-ब्रह्मी-साक (Brahmi-sak)।
अंग्रेजी-वाटर हायस्सोप (Water hyssop), बेबी टियरस् (Baby tears)।
परिचय
यह वनस्पति समस्त भारत में आर्द्र एवं दलदली भूमि पर लगभग 1200 मी की ऊँचाई तक पाई जाती है। बंगाल में इसका अधिक प्रयोग किया जाता है, अत इसे बंगीय ब्राह्मी भी कहते है। जल के समीप पैदा होने तथा स्वाद में नीम जैसी कड़वी होने की वजह से इसे जलनीम भी कहा जाता है। इसका पौधा लगभग 10-30 सेमी लम्बा, भूमि पर फैलने वाला, मांसल तथा शाखा-प्रशाखाओं से युक्त होता है। इसकी पत्तियाँ मांसल तथा चिपचिपे स्राव से युक्त होती हैं। इसके पुष्प श्वेत अथवा गहरे नीलाभ वर्ण के होते हैं। इसकी फली लम्बी, अण्डाकार, चिकनी तथा नुकीली होती हैं।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
प्रयोज्याङ्ग :पञ्चाङ्ग।
मात्रा :स्वरस 5 मिली। चूर्ण 2 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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