वानस्पतिक नाम : Amberboa divaricata
Kuntze (एम्बरबोआ डायवेरीकैटा) Syn-Volutarella divaricata
Benth. ex Hook.f.
कुल : Asteraceae (ऐस्टरेसी)
अंग्रेज़ी नाम : Oligochata (ओलिगोचैटा)
संस्कृत-ब्रह्मदण्डी, अजदण्डी, कंटपत्रफला; हिन्दी-बादार्दव, बढ़ावाड; उर्दू-डाबा (Daba), डमाहो (Damaho); मराठी-साकई (Sakayi)।
अरबी-शौकत अल बाडा (Shokat-al-bada); फारसी-बादवर्द (Baadvard)।
परिचय
यह पौधा समस्त भारत में गंगा के ऊपरी मैदानों तथा उत्तर-पश्चिमी हिमालय में 1000 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है। जिस प्रकार विष्णु भगवान की नाभि से निकले हुए कमलदण्ड के ऊपर कमल पुष्प होता है, उसी प्रकार इस पौधे से निकले हुए पुष्पदण्ड के ऊपरी भाग में गुलाबी वर्ण के, कण्टकयुक्त तथा देखने में कमल के जैसे पुष्प लगते हैं। इसीलिए इसे ब्रह्मदण्डी कहते हैं। इसका पौधा लगभग 30 से 100 सेमी0 ऊचाँ तथा कण्टकों से युक्त होता है। इसके पुष्प शाखा के अग्र भाग पर लगे हुए गोल, खिलने पर कटोरी की आकृति के जैसे, बैंगनी, गुलाबी, नारंगी या भूरे रंग के तथा गंधयुक्त होते हैं। पुष्पों के चारों ओर बारीक एवं कोमल कांटे रहते हैं। क्षुप के मध्य भाग से एक लम्बी डंडी निकलती है, जिसके अग्रभाग पर घुंडी के आकार के लम्बे, गोल, चिकने तथा भूरे रंग के, कंटकयुक्त फल होते हैं।
आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव
औषधीय प्रयोग मात्रा एवं विधि
रसायन वाजीकरण :
प्रयोज्याङ्ग : पञ्चाङ्ग।
मात्रा : चूर्ण 1-2 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
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