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क्या आपको पता है कि ब्राह्मी वटी क्या (brahmi benefits in hindi) है? अगर आपको नहीं पता तो यह जान लीजिए कि ब्राह्मी वटी का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। सदियों से आयुर्वेदाचार्य ब्राह्मी वटी के इस्तेमाल से रोगों को ठीक करने का काम कर रहे हैं।आयुर्वेद में यह बताया गया है कि ब्राह्मी वटी मानव मस्तिष्क के लिए अमृत के समान औषधि है। यह हिमालय की तराइयों में पाए जाने वाले ब्राह्मी पौधे से तैयार किया जाता है।
इसके पौधे नदियों के किनारे या अन्य नम स्थानों पर भी पाए जाते हैं। आइए जानते हैं कि आप ब्राह्मी वटी का प्रयोग किन-किन रोगों में कर सकते हैं और स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैंः-
ब्राह्मी वटी (brahmi benefits in hindi) तनाव से छुटकारा दिलाने में मदद करती है, सांसों की बीमारी, विष के प्रभाव को ठीक करती है। इसके साथ ही यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) को मजबूत करती है। यह मष्तिस्क तथा स्मरण शक्ति को स्वस्थ बनाती है।
आप ब्राह्मी वटी का प्रयोग कई रोगों को ठीक करने के लिए कर सकते हैं, जो ये हैंः-
ब्राह्मी वटी के सेवन से मस्तिष्क की दुर्बलता एवं मस्तिष्क संबंधी सभी विकार नष्ट होते हैं। ब्राह्मी वटी स्मरण शक्ति एवं बुद्धि को भी बढ़ाती (brahmi uses) है। मस्तिष्क संबंधी कार्य अधिक करने वाले लोगों जैसे- विद्यार्थी, अध्यापक आदि को ब्राह्मी वटी का सेवन जरूर करना चाहिए।
कई लोगों को ह्रदय संबंधी विकार होते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्राह्मी वटी का सेवन रोज करना चाहिए। इससे वातनाड़ियों तथा हृदय से संबंधित रोग तुरंत ठीक हो जाते हैं।
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जो मरीज नींद ना आने की परेशानी से ग्रस्त हैं उनको ब्राह्मी वटी का प्रयोग (brahmi uses) करना चाहिए। इसके लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ब्राह्मी वटी के इस्तेमाल की जानकारी जरूर लें।
ब्राह्मी वटी हिस्टीरिया में लाभदायक साबित होती है। हिस्टीरिया से ग्रस्त मरीज ब्राह्मी वटी के उपयोग से लाभ पा सकते हैं।
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जो रोगी बार-बार बेहोश हो जाते हैं या जिनको मिर्गी आती है उन्हें ब्राह्मी वटी का सेवन करना चाहिए। इसके साथ–साथ सुबह–शाम ब्राह्मी घी 3-6 माशे तक दूध में मिलाकर पीना चाहिए। भोजन के बाद सारस्वतारिष्ट भी पीना चाहिए। इससे बहुत लाभ (brahmi uses) होता है।
ब्राह्मी मानव स्नायु तंत्र के लिए टॉनिक का काम करती है। यह मस्तिष्क को शांति प्रदान करने के अलावा स्नायु कोषों का पोषण भी करती है, ताकि आपको स्फूर्ति मिले।
हाई ब्लडप्रेशर आज आम बीमारी हो गई है। अनेकों लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसमें ब्राह्मी वटी का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है।
आज डायबिटीज घर-घर की बीमारी बन चुकी है। ऐलोपैथिक तरीकों के अलावा आप ब्राह्मी वटी का प्रयोग कर भी डायबिटीज में लाभ (brahmi benefits) पा सकते हैं।
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अगर आप खांसी से पीड़ित हैं और आयुर्वेदिक तरीके से खांसी को ठीक करना चाहते हैं तो ब्राह्मी वटी का सेवन करना आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है।
ब्राह्मी वटी के अधिक सेवन से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
इसलिए ब्राह्मी वटी का सेवन किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के दिशा-निर्देश में ही करना चाहिए।
ब्राह्मी वटी का खुराक ये हैः-
250 – मिलीग्राम
अनुपान – गुलकन्द, दूध, मधु, मक्खन, आँवले का मुरब्बा, ब्राह्मी, शर्बत।
आयुर्वेद के अनुसार, ब्राह्मी वटी स्वाद में कसैली, तीखी व ठंडी तासीर वाली बूटी है। यह बल बढ़ाने वाली, त्रिदोष का नाश करने वाली वटी है। ब्राह्मी वटी आयु बढ़ाने वाली, प्रसूति महिलाओं के स्तनों के दूध को बढ़ाने वाली तथा मस्तिष्क को शांति देने वाली है। यह जन्मजात तुतलाहट की बीमारी में भी ब्राह्मी लाभप्रद है। महर्षि चरक ने ब्राह्मी को मनुष्य रोगों को ठीक करने वाली एक अचूक औषधि (brahmi benefits) बताया है।
आप इन घटकों के प्रयोग से ब्राह्मी वटी बना सकते हैंः-
क्र.सं. | घटक द्रव्य | उपयोगी हिस्सा | अनुपात |
1 | ब्राह्मी (Centella asiatica (Linn.) Urban.Syn-Hydrocotyl asiatica Linn.) | 2 भाग | |
2 | शंखपुष्पी | 2 भाग | |
3 | वचा (Acorus calamus Linn.) | कन्द | 1 भाग |
4 | काली मिर्च (Piper nigrum Linn.) | फल | 1/2 भाग |
5 | गोजिह्वा | 2 भाग | |
6 | स्वर्णमाक्षिक भस्म | 1 भाग | |
7 | रससिन्दूर | 1 भाग | |
8 | जटामांसी क्वाथ (Nardostachys jatamansi DC. Syn-N. grandiflora DC.) Q.S. मर्दनार्थ |
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