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Banda: बांदा के फायदे, उपयोग और औषधीय गुण – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

बांदा के पौधे अक्सर किसी और पेड़ पर उगते हैं और ऐसा माना जाता है कि जिस पेड़ पर ये उगते हैं वह पेड़ जल्दी ही सूख जाता है. यही कारण है कि पेड़ के जिस हिस्से पर यह पौधा उगता है उस हिस्से को काट दिया जाता है. अपने इस अवगुण के बावजूद भी यह हम सबकी सेहत के लिए बहुत उपयोगी है. आयुर्वेद के महान विशेषज्ञ चरक और सुश्रुत दोनों ने ही अपने ग्रंथों में बांदा के फायदों का उल्लेख किया है. इस लेख में हम आपको बांदा के फायदे, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

Contents

बांदा क्या है? (What is Banda?)

बांदा का पौधा हिमालय की पहाड़ियों के साथ-साथ दक्षिण भारत के मैदानी भागों में पाया जाता है. इसकी शाखाएं गोल, चिकनी और लगभग 90-120 सेमी लम्बी होती हैं और पेड़ से लटकती हुई रहती हैं. इसके फूलों का रंग नारंगी, लाल और हल्का गुलाबी होता है. इसके फल अंडे के आकार में लगभग 1.3 सेमी लंबे और 0.६ सेमी की गोलाई लिए होते हैं और पकने के बाद ये गुलाबी रंग के नजर आते हैं.

अन्य भाषाओं में बांदा के नाम (Name of Sickle mistletoe in Different Languages)

बांदा का वानस्पतिक नाम Dendrophthoe falcata (Linn.f.) Etting. (डेन्ड्रोप्थीं फॉलकैटा) है और यह Loranthaceae (लोरेन्थैसी) कुल का पौधा है. आइए जानते हैं कि अन्य भाषाओं में बांदा को किन नामों से जाना जाता है.

Sickle mistletoe in :

  • Hindi: बन्दा, बांदा, बंदाक
  • English : Sickle mistletoe
  • Sanskrit : वन्दा, बान्दा, वृक्षादनी, वृक्षरुहा, वृक्षभक्ष्या
  • Urdu: बांदा (Banda);
  • Odia : ब्रीडहोन्गो (Bridhongo), मडंग (Madang)
  • Kannad : वनधूलू (Vandhulu)
  • Guzrati : बांदो (Bando);
  • Tamil : पुल्लरी (Pulluri), पुल्ल्रुबी (Pullarubi);
  • Telugu : बादनीका (Badnika);
  • Bengali : बरमांदा (Barmanda), मान्दा (Manda)
  • Nepali :ऐजेरु (Ajeru)
  • Punjabi : अमुट (Amut);
  • Marathi :बांडागुल (Bandagul);
  • मलयालम-इट्टक्कान्नी (Ittkkanni)

बांदा के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Banda in Hindi)

  • बान्दा मधुर, तिक्त, कषाय, शीत, लघु, रूक्ष तथा त्रिदोषहर, विशेषत कफपित्तशामक होता है।
  • यह व्रणरोपक, रसायन, वृष्य, ग्राही, विषघ्न, मूत्रविरेचक; शोफ, व्रण, विष, ग्रह, वातविकार, अश्मरी, शर्करा, मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात तथा वातरक्त में लाभप्रद होता है।
  • इसकी त्वक् स्तम्भक तथा मादक होती है।
  • इसका पौधा शीतल, वाजीकर तथा मूत्रल होता है।
  • इसकी काण्डत्वक् व्रण, मासिकस्राव विकृति, श्वास तथा उन्माद में लाभप्रद होती है।

बांदा के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Banda in Hindi)

बांदा के औषधीय गुणों के आधार पर आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा इसे सेहत के लिए बहुत उपयोगी माना गया है. आइए जानते हैं कि किन बीमारियों और समस्याओं के घरेलू इलाज के लिए बांदा का उपयोग किया जा सकता है.

कान के दर्द से आराम दिलाने में उपयोगी (Benefits of Banda for Ear Pain in Hindi)

अगर आप कान के दर्द से परेशान हैं तो राहत पाने के लिए बांदा की पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए इन पत्तियों का रस निकाल लें और 1 से 2 बूँद रस कान में डालें. इसे डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है.

मुंह में छाले की समस्या से राहत दिलाता है बांदा ( Banda gives relief from Mouth Ulcers in Hindi)

ज्यादा तैलीय और मसालेदार भोजन करने से मुंह में छाले पड़ जाते हैं. हालाँकि इनके अलावा भी कई अन्य कारण हैं जिनकी वजह से मुंह में छालों की समस्या होती है. मुंह के छालों से आराम पाने के लिए बांदा के पत्तों का काढ़ा बनाकर उससे गरारे करें.

और पढ़ेंः मुंह के छाले के लिए घरेलू इलाज

पेट दर्द दूर करने में सहायक है बांदा (Benefits of Banda for Abdominal Pain in Hindi)

पेट में हल्का दर्द होने पर आप घरेलू उपायों की मदद से दर्द से राहत पा सकते हैं. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, बांदा के पञ्चाङ्ग चूर्ण और रसोन के कन्दों को काञ्जी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।

और पढ़ें : पेट दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज

दस्त रोकने में मदद करता है बांदा (Banda relieve the symptoms of Diarrhea)

दस्त होना एक आम समस्या है और अक्सर खराब खानपान या फूड पाइजनिंग की वजह से यह समस्या होती है. अगर आप दस्त से परेशान हैं और घरेलू उपायों की मदद से इससे आराम पाना चाहते हैं तो बांदा का उपयोग करें. इसके लिए बेर, आम, जामुन या बबूल के पेड़ों पर होने वाले बान्दा के पत्तों के रस का (5 मिली) सेवन करें. यह रस दस्त को रोकने में कारगर है।

और पढ़ेंः दस्त को रोकने के लिए असरदार घरेलू नुस्खे

गर्भपात की रोकथाम में सहायक है बांदा (Banda Benefits in Prevention of Abortion in Hindi)

गर्भावस्था के तीसरे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर बंदाक, पयस्या, गुडूची, कमल तथा अनन्तमूल का सेवन दूध के साथ करना लाभकारी होता है। इसके सेवन से गर्भपात की संभावना कम होती है.

हाथी पाँव (फाइलेरिया) की समस्या के इलाज में सहायक है बांदा (Banda Helps in Treatment of Filariasis In Hindi)

बंदाक की जड़ के चूर्ण (1-2 ग्राम) को घी के साथ सेवन करने से साथ ही इसकी जड़ को जाँघों में सूत्र से बांधने पर हाथी पांव में लाभ होता है। अगर आप हाथी पाँव की समस्या से ग्रसित हैं तो किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के परामर्श अनुसार बांदा का उपयोग करें.

और पढ़ेंः फाइलेरिया (हाथी पांव) की बीमारी में खैर (खादिर) से फायदा

बुखार कम करने में उपयोगी है बांदा (Benefits of Banda in reducing Fever in Hindi)

बुखार होने पर अधिकांश लोग घरेलू उपचार से ही इलाज करने का प्रयास करते हैं। दरअसल अधिकांश घरेलू इलाज बुखार से राहत दिलाने में काफी कारगर हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बुखार होने पर आप बांदा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सुबह बांदा और बिल्व फल मज्जा से बने चूर्ण (1-2 ग्राम) को छाछ और घी के साथ सेवन करें. इसके सेवन से बुखार में आराम मिलता है।

बांदा के उपयोगी भाग (Useful Parts of Banda in Hindi)

विशेषज्ञों के अनुसार बांदा के निम्न भाग सेहत के लिए उपयोगी हैं :

  • जड़
  • पत्तियां
  • फल
  • फूल

बांदा का उपयोग कैसे करें (How to use Banda in Hindi)

अगर आप बांदा का उपयोग किसी बीमारी के घरेलू उपाय के रूप में करना चाहते हैं तो पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें.

बांदा कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Banda found or Grown?)

बांदा का पौधा विश्व में उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, उष्णकटिबन्धीय एशिया तथा श्रीलंका में पाया जाता है। पूरे भारत में यह पर्णपाती वनों में, हिमालय में 900-2300 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है. इसके अलावा यह जम्मू-कश्मीर से भूटान, गंगा के मैदानी भागों में असम से दक्षिण की ओर केरल तक मैदानी, पहाड़ी एवं प्रायद्वीपों में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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