साधारण जल के अलावा, प्रकृति ने हरे नारियल में भी जल भरा है। नारियल का पानी स्निग्ध, मधुर स्वाद वाला, बलदायक, शीतल और पाचन में हल्का होता है। यह अधिक प्यास (तृष्णा), पित्त, वात एवं जिगर की गर्मी को दूर करता, पाचक-अग्नि को बढ़ाता तथा मूत्र-प्रणाली के सभी अंगों को शुद्ध करता है। अतः सभी ऋतुओं में विशेषकर, ग्रीष्म ऋतु में दूसरे ठण्डे पेय-पदार्थों (जैसी- कार्बोनाईज्ड, शीतल पेय आदि) के स्थान पर इसका पान किया जाए, तो बहुत उपयोगी रहेगा।
जल के अतिरिक्त, हम लोग अपने दैनिक जीवन में दूध, दही, घी, तेल आदि पदार्थों का सेवन भी प्रायः नियमित रूप से करते हैं। इनके गुण-दोषों के बारे में ठीक ज्ञान न होने से अनेक प्रकार की भान्तियाँ हो जाती हैं। अतः संक्षेप में इनके गुण-कर्मों का उल्लेख किया जा रहा है।
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