क्र.सं. | घटक द्रव्य | प्रयोज्यांग | अनुपात |
1 | असगन्ध (Withania Somnifera) | पंचांग | 1.600 कि.ग्रा. |
2 | जल (Water) | 1280 ली. | |
3 | गो घृत (Ghee) | 800 ग्रा. | |
4 | गो दुग्ध (Milk) | 3.200 ली. |
मात्रा– 3-6 माशा, मिश्री के साथ दें।
उपयोग– सन्धि–शूल, अनिद्रा, बाजीकरण
अनुपान– गो दुग्ध
गुण और उपयोग– यह वातरोगों की अति उत्तम औषध है, इसके सेवन से जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, अंगों का सूनापन अथवा शिथिलता, चक्कर आना, अनिद्रा, दुर्बलता, कार्य करने में अशक्तता, नपुंसकता जैसी समस्याएँ नष्ट होती हैं। यह स्नायुमण्डल को बल प्रदान कर शरीर को हृष्ट–पुष्ट बनाता है साथ ही यह उत्तम वाजीकरण एवं वीर्यवर्द्धक योग है।
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