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डायबिटीज : प्राकृतिक उपचार

डायबिटीज के मरीज़ों की अधिक और तेज़ी से बढ़ती संख्या के कारण भारत को विश्व की डायबिटीज राजधानी (Diabetes Capital Of World) के नाम से जाना जाता है। यहां शहरी क्षेत्रों में 9% और ग्रामीण क्षेत्रों में 3% लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं। कुल रोगियों की अनुमानित संख्या 4 करोड़ तक पहुंच चुकी है, और इतने ही लोग डायबिटीज की संभावित खतरे पर भी हैं। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले कुछ वर्षों में यह आंकड़ा दुगुना हो सकता है।

ऐसी भयावह होती स्थिति में हमारा प्राचीन आयुर्वेद और योग विज्ञान एक उम्मीद की किरण जगाता है। ऐसा दावा किया जाता है कि प्राकृतिक विधियों और अनुशासित जीवन शैली से इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। अपने चिकित्सकीय कैरियर के दौरान मैं ऐसे बहुत से लोगो के संपर्क में आया हूं जिन्होने घरेलू नुस्खों से अपनी रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को चमत्कारिक रूप से नियंत्रित किया है, कुछ मरीज तो इंसुलिन की बजाय अब सिर्फ दवाइयों (ओरल हाइपोग्लाइसिमिक) का सेवन करते हैं।

इसके बावजूद भी घरेलु उपचार और प्राकृतिक उपचारों के बारे में लोगों के दिमाग में बहुत से सवाल होते हैं। इंटरनेट पर मिलने वाले सभी प्राकृतिक नुस्खें क्या सही हैं? क्या इनका प्रभाव किसी वैज्ञानिक शोध या क्लिनिकल ट्रायल में प्रमाणित हुआ है? इनकी सही मात्रा (डोज) और सेवन का तरीका क्या है? योग और प्राणायाम तो पूरी तरह से स्वस्थ लोगों के लिये भी है, तो फ़िर डायबिटीज के रोगियों के लिये ये किस प्रकार से भिन्न हैं? इस लेख में इन्ही सभी सवालों का जबाब ढूंढने की कोशिश की गयी है।

घरेलू औषधियां या हर्बल उपचार

हमारे रोज़मर्रा के जीवन में काम आने वाले बहुत से मसालों, फ़लों और सब्जियों में डायबिटीज रोधी गुण पाये जाते हैं। आयुर्वेद और हमारे अन्य ग्रंथों में ऐसे सैंकड़ों पेड़ पौधों और औषधियों का वर्णन है परंतु यहां पर सिर्फ़ उन 10 हर्बल उपचारों के बारे में बताया गया है, जो आपके किचन और रोज़ाना की जिंदगी का हिस्सा है तथा जिनकी ब्लड शुगर घटाने की क्षमता किसी ना किसी शोध या क्लिनिकल ट्रायल में प्रमाणित हुई है।


करेला :
बिटर गार्ड या करेले का आधा कप रस सुबह सुबह खाली पेट पीने से ना केवल डायबिटीज नियंत्रित होती है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति अगर इसका सेवन करे तो उसे भविष्य में यह रोग होने की संभावना भी कम हो जाती है। करेला ग्लूकोज (शुगर) के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है, इसमें इस प्रकार के रसायन पाये जाते है, जो इंसुलिन की तरह काम करते है। अत: यह ना केवल ब्लड शुगर घटाता है बल्कि कार्बोहाइड्रेट (शुगर) को पचाने में भी मदद करता है। करेले का रस पीने में कड़वा लगता है, इस कड़वाहट से बचने के लिये आप इसमें आंवला या नींबू का रस मिला सकतें हैं।


ग्वारपाठा (एलोवेरा) :
दो अलग अलग शोधों में एलोवेरा के डायबिटीज रोधी गुण प्रमाणित हुए हैं। इसका सेवन भी रस के रूप में सुबह के समय किया जाता है। इसके अलावा आप इसकी सब्जी बनाकर भी उपयोग कर सकते हैं। खून में आने वाली अतिरिक्त शुगर को एलोवेरा पचा देता है, जिससे बहुत सालों से डायबिटीक लोगों में भी यह प्रभावी है। एलोवेरा में लैक्सेटिव (कब्ज रोधक) गुण पाये जाते है, अत: अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त की समस्या भी आ सकती है।


अमरूद :
डायबिटीज के रोगियों को अमरूद का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसकी ब्लड शुगर घटाने की क्षमता के बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, परंतु यह कोलेस्ट्रोल और उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करता है, जो अधिकतर मामलों में डायबिटीज के साथ जुड़े होतें हैं। इसके अलावा इसमें फ़ाइबर की अधिक मात्रा होने के कारण यह पेट से शुगर का पूरी तरह अवशोषण नहीं होने देता, जिससे खून में शुगर की मात्रा कम हो जाती है।


नीम :
नीम के पेड़ का आयुर्वेद में बहुत महत्व है, यह मलेरिया, रक्त की सफ़ाई और डायबिटीज के लिये एक प्रभावी औषधी है। एक चम्मच नीम का पाउडर सुबह शाम लेने पर ब्लड शुगर में प्रभावी गिरावट आती है, इसके अलावा यह गोलियों और नीम चाय के रूप में भी बाज़ार में उपलब्ध है। घर पर नीम की औषधि बनाने के लिये नीम की नयी पत्तियों और कोंपलों को लें और उनका पेस्ट बना लें, अब इसे बोलस के रूप में रोज़ाना सुबह शाम पानी के साथ लें।


जामुन :
जामुन के बीजों में जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है। विभिन्न चिकित्सकीय शोध में पाया गया है कि इस तत्व से रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) में 30% तक की गिरावट लायी जा सकती है। जामुन सीधा पेन्क्रियाज (जो इंसुलिन हार्मोन बनाता है) को प्रभावित करता है, और हमारे शरीर की इंसुलिन बनाने की क्षमता व इंसुलिन की सक्रियता, दोनों को प्राकृतिक रूप से दुरुस्त करता हैं। अगर आप प्री-डायबिटीक हैं, या पारिवारिक और अन्य कारणों से आपमें इस रोग के होने की संभावना है, तो आपको जामुन के फ़ल का सेवन करना चाहिये। अगर आप डायबिटीज से ग्रसित हैं, तो जामुन के बीज़ों का पाउडर बना लीजिये और एक एक चम्मच सुबह शाम पानी के साथ लीजिये।


दालचीनी :
दालचीनी एक प्रकार का मसाला है जो कि शरीर के उतको में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) घटा देता है, (यह रेजिस्टेंस ही टाइप 2 डायबिटीज का कारण है)। कुछ अन्य शोधों के अनुसार यह एंज़ाइम अभिक्रिया में भी दखल देता है। टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में रोज़ाना दालचीनी के सेवन से डायबिटीज और संबंधित हृदय रोगों के लक्षणों में सुधार देखा गया हैं।


मेथी :
मेथी या फ़ेनुग्रीक सदियों से भारतीय रसोई का हिस्सा रही है। साधारण खान पान में इसका प्रयोग मसाले के रूप में होता है। डायबिटीज के रोगी मेथी के बीजों का पाऊडर बना कर इसे पानी के साथ ले सकते है, या सीधा खा सकते हैं। मेथी इंसुलिन हार्मोन की सक्रियता को बढा कर और पेट में शुगर के अवशोषण को कम करके डायबिटीज को नियंत्रित करती है। कुछ लोगों में मेथी के प्रति एलर्ज़ी देखी गयी है, अगर मेथी के सेवन के बाद आपको खुज़ली या शरीर पर चकत्ते निकलने लगते हैं, तो इसका सेवन ना करें।


हल्दी :
हल्दी के दर्द निवारक और एंटीबायोटिक (जीवाणु रोधी) गुणों के बारे में सब जानतें हैं। इन गुणों के अलावा हल्दी ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करती है। अपनी नियमित दवाओं के साथ हल्दी का सेवन करने से आपकी डायबिटीज बिगड़ती नहीं हैं। अधिक मात्रा में हल्दी के सेवन से डायरिया या अपच जैसी शिकायत आ सकती है।


आंवला :
विटामिन C से भरपूर आंवला आपके जोड़ों, मसूड़ों को तो स्वस्थ रखता ही है, बल्कि शरीर को शुगर का सही उपयोग करने में भी मदद करता है, जिससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित हो जाती है। इंसुलिन का उत्पादन और इसका स्त्राव बढाने में भी आंवला सहयोग करता है। आंवले का सेवन जूस के रूप में करेले के जूस के साथ मिलाकर किया जा सकता है।


लहसुन :
विभिन्न चिकित्सकीय शोधों में लहसुन की डायबिटीज रोधी क्षमता के बारे में मिले जुले परिणाम मिलें हैं। यह सीधे तौर पर ब्लड शुगर पर प्रभाव नहीं डालता, परंतु ऐसा देखा गया है कि डायबिटीज की दवाओं के साथ लहसुन के निरंतर प्रयोग से बेहतर परिणाम मिलतें है। इसके अलावा यह हृदय रोगों की संभावना को कम करता है, यह तथ्य इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि 80% डायबिटीज के मरीज हृदय रोगों से भी ग्रसित होतें है। बाकी आपके खाने को स्वादिष्ट बनाने में लहसुन का योगदान तो अतुलनीय है ही।


ज़ीवनशैली (लाइफ़स्टाइल) में बदलाव :

डायबिटीज मुख्यत: आरामदायक जीवन शैली से जुड़ी बीमारी है। अगर आप अपने खान पान में थोड़ा बदलाव कर लें, और थोड़ा व्यायाम या शारीरिक श्रम शुरू कर दें तो आप अपनी डायबिटीज को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकतें है, और अगर आप डायबिटीक नहीं है, तो भविष्य में इस रोग से बच सकतें है। आईये देखतें है कि हमें अपनी आरामदायक लाइफ़स्टाइल में क्या बदलाव करना है :
1) शारीरिक रुप से सक्रिय (एक्टिव) रहें, इससे ना केवल आपका वजन कम होगा, बल्कि ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहेगा।
2) हल्के फ़ुल्के व्यायाम की आदत डालें, रोज़ाना थोड़ा थोड़ा चलें, संभव हो तो लिफ़्ट की जगह सीढियों का प्रयोग करें।
3) कोई खेल खेलें, या कोई ऐसी एक्टिविटी करें जिसमें आपको मज़ा आता हो। यह ना केवल आपके लिये व्यायाम का काम करेगा, बल्कि आपको खुश रखेगा और तनाव के स्तर में भी कमी लायेगा। ध्यान रहे कि मानसिक तनाव, डायबिटीज और हृदय रोगों के मुख्य कारणों में से एक है।
4) नियत समय पर खाना खाएं। डायबिटीज के रोगियों खासकर इंसुलिन पर निर्भर लोगों को दिन में तीन फ़ुल मील (भोजन) और एक या दो बार स्नैक्स की सलाह दी जाती है। हर 4-5 घंटे में कुछ ना कुछ खाते रहें, जिससे कि आपके शुगर लेवल में ज्यादा बदलाव ना हो।
5) पोषक व फ़ाइबर से भरपूर खाना खायें, तले भुने और वसा (फ़ैट) की अधिकता वाले भोजन से बचें। दूध, चीज जैसे डेयरी उत्पाद लेते समय कम फ़ैट वाले उत्पादों का चयन करें।
6) शुगर या शर्करा का सेवन कम से कम करें, केक, पेस्ट्री, कैंडी के आकर्षण से बचें।
7) खूब पानी पिएं, या ऐसे पेय पदार्थ पिएं जिनमें शुगर ना हो।
8) नमक का प्रयोग कम से कम करें, यह मुख्यत: हृदय रोगों से जुड़ा होता है। खाना बनाते समय नमक कम डालें और डिब्बा बंद भोजन (प्रोसेस्ड फ़ूड) कम खायें, इस प्रकार के भोजन को लंबे समय तक संरक्षित रखने के लिये इसमें नमक की ज्यादा मात्रा मिलायी जाती है।
धूम्रपान बिल्कुल ना करें।
9) शराब का सेवन ना करें। शराब के साथ आपके शरीर में अतिरिक्त कैलोरी जाती है, जबकि इसमें पोषक तत्वों की मात्रा शून्य होती है। इसके अलावा एल्कोहल आपकी डायबिटीज की दवाओं के साथ रिएक्शन भी कर सकता है और आपको गंभीर साइड इफ़ेक्ट झेलने पड़ सकतें हैं।

योग और प्राणायाम :
प्राचीन भारतीय विधा योग और प्राणायाम शरीर को निरोग रखने के साथ ही डायबिटीज जैसे रोग में भी प्रभावी है। डायबिटीज के लिये सामान्य प्राणायाम और कुछ विशेष आसन बतायें जाते है। योग और प्राणायाम इस रोग में दो स्तरों पर काम करतें हैं। एक तरफ़ जहां आसनों से शारीरिक सक्रियता आती है, जिससे वजन, रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल कम होता है तथा इंसुलिन की सक्रियता बढती है, वहीं मानसिक स्तर पर योग आपके मन को आनंदित करता है, और तनाव में भी कमी लाता है।

 

कपाल भाति अनुलोम विलोम भ्रामरी
   
इस प्राणायाम में पेट को अंदर की तरफ़ धक्का देते हुए सांस बाहर की ओर छोड़नी होती है, सांस अंदर लेने का प्रयास नहीं करना है। डायबिटीज रोगियों को यह 10 मिनट तक करना होता है। शुरुआत और अन्त हमेशा बाये नथुने से ही करनी है, नाक का दाँया नथुना बंद करें व बायें से लंबी साँस लें, फिर बायें को बंद करके, दायें नथुने से लंबी साँस छोडें। अब दाँये से लंबी साँस लें और बायें वाले से छोडें। यह क्रम जारी रखें। डायबिटीज रोगियों को यह 10 मिनट तक करना होता है। दोनो अंगूठों से कान पूरी तरह बन्द करके, दो उंगलियों को माथे पर रख कर, छः उंगलियों को दोनो आँखो पर रख कर लंबी साँस लेते हुए गले से भौंरे जैसी आवाज निकालनी होती है। डायबिटीज रोगियों को यह 5 बार तक करना होता है।

आसन : निम्न आसन वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है। टाइप-2 डायबिटीज के 20 लोगो को 40 दिनों तक यह आसन करवाने पर उनके ब्लड शुगर लेवल में काफी हद तक गिरावट आयी और वजन भी कम हुआ.

 

ताड़ासन – 2 से 3 मिनट शवासन – 5-10 मिनट भुजंगासन – 3 से 7 बार
   
ताड़ के पेड़ के समान खड़े होकर कमर और गर्दन को सीधी रखते हुए शरीर को ऊपर की ओर खींचें, हाथ की उंगली से पैर की उंगली तक तनाव महसूस करें। शव के समान लेट जायें। हाथ और पैरों को फ़ैला लें, और सारे शरीर को धीरे धीरे तनाव मुक्त करें। पेट के बल लेटते हुए सारा भार हाथो पर डालते हुए शरीर के उपरी भाग को उठाने का प्रयास करें।
सूर्य नमस्कार  – 6 बार

त्रिलोकासन – 1 मिनट

सूर्य नमस्कार अपने आप में पूर्ण व्यायाम है। सूर्य नमस्कार की विभिन्न मुद्राओं को करें। यह आसन कठिन माना जाता है, अत: इसे उचित मार्गदर्शन में ही करें। दोनों पैरो को दो- तीन फुट की दूरी पर रखते हुए खड़े हो जाएं सांस लेते हुए बाएं पैर पर धीरे धीरे वजन ड़ालते हुए घुटने से मोड़ें दूसरा पैर ना मोड़ें कुछ देर इस स्थिति में बनें रहें

डायबिटीज को साइलेंट किलरके नाम से जाना जाता है। शुरूआती स्तर पर इसके लक्षण इतने सामान्य होते है कि अक्सर मरीज का ध्यान इन पर नहीं जाता। बहुत से लोगों में इस रोग का या तो पता ही नहीं चलता, या फ़िर जब तक पता चलता है तब तक शरीर के अंगों को काफ़ी नुकसान हो चुका होता है। एक समय पर शहरी और अमीर लोगों का रोग मानी जाने वाली डायबिटीज आज गांवो कस्बों तक अपने पैर पसार चुकी है। प्राकृतिक उपचार व तरीके जैसे कि हर्बल उपचार, जीवनशैली में परिवर्तन और योग आदि आपको इस रोग से बचा सकतें और अगर आप पहले से ही डायबिटीक है तो डायबिटीज से लड़ने में आपकी मदद कर सकतें है। ये सभी तरीके आपको अधिक महंगी और उच्च दवाओं पर निर्भर होने से बचाते हैं। आपको इन सब तरीकों का प्रयोग अपनी नियमित डायबिटीज की दवाओं के साथ करना चाहिये, नियमित समय पर शुगर की जांच करवाते रहना चाहिये। ध्यान रखें, आपको बिना डाक्टर की सलाह लिए किसी भी दवा को ना तो बन्द करना है, ना ही उसकी उसकी खुराक में परिवर्तन करना है।

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Dr Deepesh Kariwala is a practicing Dentist & Healthcare administrator with varied experience in government and private sector. He is active in general and medical content development since 7 years.