Written by: Dixit rajput
EPA (इकोसापेंटेनोइक एसिड) और DHA (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड) फिश-ऑयल में पाए जाने वाले दो ओमेगा-3s हैं। ये दोनों हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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फिश-ऑयल ट्राइग्लिसराइड्स (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करता है, और ब्लड-प्रेशर को स्थिर करता है। जिससे दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
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ओमेगा-3s याददाश्त, फोकस और मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। साथ ही बढ़ती उम्र के साथ याद्दाश्त कमजोर होने के खतरे को भी कम करते हैं।
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अपने एंटी-इंफ्लामेट्री गुणों के कारण फिश-ऑयल, जोड़ों के दर्द, जकड़न और रुमेटीड गठिया जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
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डीएचए (DHA) रेटिना की झिल्ली का एक जरुरी कम्पोनेंट है। फिश ऑयल का सेवन करने से बढ़ती उम्र के साथ आंखों में होने वाली परेशानी और रूखेपन की समस्या से राहत मिलती है।
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ओमेगा-3 फैटी एसिड स्किन को अंदर से हाइड्रेट करते हैं, और मुंहासे एवं पपड़ी वाली स्किन से छुटकारा दिलाते हैं। साथ ही वे स्कैल्प और बालों को भी स्वस्थ रखते हैं।
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अधिकांश वयस्कों को रोजाना लगभग 250 से 500 mg, EPA और DHA (दोनों मिलाकर) की आवश्यकता होती है। हालांकि यह खुराक हर व्यक्ति के स्वास्थ्य और शरीर की जरूरतों पर निर्भर करती है। इसलिए इसे लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से जांच कराएं।
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फिश ऑयल कैप्सूल आपके शरीर को रोजाना पोषण देने का एक आसान तरीका है। दिल से लेकर बालों तक, इसके कई फायदे हैं। लेकिन कोई भी नया सप्लीमेंट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
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